बिहार की यूनिवर्सिटी में बिना मान्यता के चल रहे थे डिस्टेंस फर्जी कोर्स, अधर में लटका छात्रों का भविष्य
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बिहार की यूनिवर्सिटी में बिना मान्यता के चल रहे थे डिस्टेंस फर्जी कोर्स, अधर में लटका छात्रों का भविष्य

Bihar News: मुजफ्फरपुर के बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय में बिना मान्यता के डिस्टेंस कोर्स चलाने का मामला सामने आया है. ऐसे में सैकड़ों छात्र का भविष्य अधर में लटक गया है.

बिना मान्यता के चल रहे थे डिस्टेंस फर्जी कोर्स

मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर के बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय में डिस्टेंस एजुकेशन को लेकर विवाद सामने आया है. जिसमें विश्वविद्यालय के डिस्टेंस एजुकेशन विभाग के डायरेक्टर प्रो. संजय कुमार ने पूर्व निदेशक ललन कुमार पर गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि पूर्व निदेशक ललन कुमार ने डिस्टेंस एजुकेशन के नाम पर विश्वविद्यालय में कुछ ऐसे कोर्स चलाए हैं जिसे ना तो UGC से मान्यता मिला था,ना ही बिहार सरकार से और ना ही इस विश्वविद्यालय से मान्यता ली गई है. ऐसे कोर्सज में पारा मेडिकल,बीलिस समेत कई अन्य कोर्स शामिल हैं. इस कोर्स को करने वाले सैकड़ों छात्र का भविष्य अधर में लटक गया है.

प्रो संजय कुमार का कहना है कि सत्र 2014-15 और 2015-16 के दौरान पारा मेडिकल कोर्स के नाम पर सैंकड़ो छात्रों को कोर्स करा कर डिग्री बांटा गया. इसमे लिए गए फीस में भी भारी हेरा फेरी की गई है. जबकि डिस्टेंस कोर्स के लिए UGC द्वारा मान्यता प्राप्त ही नहीं दी गई है. जबकि वो हमेशा कहते रहें हैं कि UGC के गाइडलाइन से ही कोर्स चल रहे हैं, जबकि ऐसा नहीं हैं. उन्होने 2019 में जारी UGC का वो लेटर भी दिखाया जिसमें ये साफ तौर पर दिख रहा हैं कि UGC ने इन कोर्सज को डिस्टेंस में मान्यता नहीं दी है. इसमें इंजिनियरिंग, मेडिकल, फिज़ीओथेरेपी, ओक्यूपेशनल थेरेपी, पारा मेडिकल डीसीपीलिंस, फार्मेसी, डेंटल, आर्किटेक्चर, लॉ, एग्रीकल्चर, होर्टिकल्चर, होटल मैंनेजमेंट समेत कई ऐसे कोर्सज हैं, जो डिस्टेंस से नहीं कराये जा सकते. क्योंकि ये प्रैक्टिकल वाले कोर्स हैं, और इसको लेकर विश्वविद्यालय में व्यवस्था नहीं होती. इस मामले में विश्वविद्यालय थाना में ललन कुमार के खिलाफ आवेदन भी दिया गया हैं.

वहीं इस मामले को लेकर आरोपी प्रो डॉ ललन कुमार ने बताया कि ये सारे आरोप बेबुनियाद हैं. उन्होंने बताया कि स्किल डेवलपमेंट के तहत दूरस्थ शिक्षा निदेशालय ने रेगुलर मोड में पारा मेडिकल का कोर्स शुरू किया था,यहां हेडक्वार्टर में कोई नामांकन नहीं लिया गया, सब अलग अलग इंस्टीट्यूट में लिए गए. जहां प्रैक्टिकल की व्यवस्था थी. ये कोर्स 6 महीने के लिए था जिनकी न्यूनतम योग्यता मैट्रिक तय किया गया था. ये सभी राज्य सरकार और UGC के रिकॉगनेशन के बाद चल रहा है. 2017 में डिस्टेंस एजुकेशन पर रोक लग गई. जिसके बाद कोई नामांकन नहीं हुआ. ये डिस्टेंस के नामांकन नहीं हुआ. जो भी सत्र चले वो नियम के अनुकूल चले. UGC से भी मान्यता प्राप्त थी. 2017 के बाद इसपर रोक लगी है. जिसके बाद एडमिशन ही नहीं हुआ. जो आरोप लग रहे हैं वह गलत है, कोई भी एडमिशन डिस्टेंस मोड में नहीं हैं, बल्कि रेगुलर मोड में हुआ था.

वहीं पूरे मामले को लेकर BRABU मुजफ्फरपुर के VC डॉ दिनेश चंद्र राय ने कहा कि मेरे संज्ञान में भी ये मामला आया है. डिस्टेंस मोड में पारा मेडिकल कोर्स नहीं चलाया जा सकता तो फिर कैसे चल रहा था. इस मामले में विश्वविद्यालय के अधिकारियों से बात की है और उनसे भी रिपोर्ट मांगा है. अगर वो इसे बेबुनियाद बताते हैं तो अपना डॉक्यूमेंट दिखाएं. वहीं कुलपति ने भी कहा कि UGC पारा मेडिकल कोर्स को डिस्टेंस से मान्यता नहीं देती है.. इसके बावजूद मुजफ्फरपुर विश्वविद्यालय में ये कोर्स चल रहा था, इस मामले में थाने में आवेदन दिया गया है.

इनपुट - मणितोष कुमार

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