Janmashtami 2022: कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर तैयार है गोपालगंज का प्राचीन मंदिर, 1850 में बना था मंदिर
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar1309513

Janmashtami 2022: कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर तैयार है गोपालगंज का प्राचीन मंदिर, 1850 में बना था मंदिर

Janmashtami 2022: जन्माष्टमी को लेकर गोपालगंज के सबसे प्राचीन गोपाल मंदिर में तैयारी जोरों पर है. पर्यटक और श्रद्धालुओं को यहां की खूबसूरती खूब लुभाती है. हथुआ राजा के द्वारा सन 1850 में इस मंदिर की नींव रखी थी.

Janmashtami 2022: कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर तैयार है गोपालगंज का प्राचीन मंदिर, 1850 में बना था मंदिर

गोपालगंज:  देशभर में जन्माष्टमी का त्यौहार धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर मंदिरों में रौनक है. ऐसे में गोपालगंज जिले के कृष्ण मंदिरों में भी पूजा की पूरी तैयारी हो गई है. आज सुबह से ही मंदिरों में साफ सफाई व सजावट का काम हो रहा है. बता दें कि भादो महीने के कृष्ण पक्ष के अष्टमी तिथि को रात 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था. जिसे कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है.

हथुआ राजा ने रखी थी नींव
जन्माष्टमी को लेकर जिले के सबसे प्राचीन गोपाल मंदिर में तैयारी जोरों पर है. इस मंदिर की नींव हथुआ राजा के द्वारा सन 1850 में रखी थी. कुल 13 बीघा, 3 कट्ठा में फैले इस मंदिर को बनाने में 10 साल का समय लगा था. जिसके लंबे समय के बाद 15 अप्रैल 1866 को इस मंदिर में श्री कृष्ण भगवान की मूर्ति स्थापित की गई थी. इस वर्ष भी जन्माष्टमी को लेकर मंदिर में तैयारियां की जा रही है. रात में भजन कीर्तन का आयोजन होगा. मंदिर में जन्माष्टमी के दिन दूर-दूर से श्रद्धालु गोपाल मंदिर पहुंचते हैं.

ये भी पढ़ें- टीवी पर कान्हा बन इन एक्टर्स ने मोहा मन, लोगों ने कहा- जय श्री कृष्णा

1850 में बना था मंदिर
1850 में बना यह मंदिर परिसर अपने अद्भुत नक्काशी और आर्किटेक्चर  के लिए भी मशहूर है. यहां आने वाले पर्यटक और श्रद्धालुओं को यहां की खूबसूरती खूब लुभाती है. मंदिर में लगाने के लिए बेल्जियम से शीशे मंगाए गए थे. मंदिर के ऊपर छोटे-छोटे 108 गुम्बजों में लगे सोने के कलश की चोरी साल 1984 में हो गई थी. मंदिर के परिसर में स्थित तालाब को गंगा यमुना-सरयू सहित विभिन्न नदियों के जल से भरा गया था. गोपाल मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की अष्टधातु की मूर्ति का निर्माण हुआ था. मंदिर के दरवाजे और खिड़कियों के शीशे को बेल्जियम से मंगाया गया था. इन शीशे पर इचिंग विधि से काफी खूबसूरती से कृष्ण की लीलाओं को दर्शाया गया है, जो अभी भी जीवंत लगते हैं.

Trending news