Bihar News: बिहार के बगहा में अनुमंडल अस्पताल की हालत खस्ता है. यहां अल्ट्रासॉउन्ड औऱ मोर्चेरी भवन व मोर्चेरी वाहन का घोर अभाव है.
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बगहा: नेपाल और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित बिहार का बगहा अनुमंडल अस्पताल बदहाल है. वर्ष 1980 में स्थापित इस अस्पताल में चिकित्सा की आज भी संपूर्ण व्यवस्था नहीं है, हालांकि मिशन 60 डेज के तहत इस अस्पताल का कायाकल्प जरूर किया गया लेकिन ओपीडी औऱ इमरजेंसी समेत प्रसव की सुविधा को छोड़कर MNCU, अल्ट्रासॉउन्ड औऱ मोर्चेरी भवन व मोर्चेरी वाहन का घोर अभाव है. जबकि पोस्टमार्टम रूम जीर्ण क्षीण अवस्था में है. जहां बरसात के दिनों में जलभराव के कारण शवों को रखने औऱ उनके अंत्यपरिक्षण कार्य में भारी दिक्क़तें होती हैं.
सीमावर्ती इलाके के तमाम लोगों के शव ठेलें पर लाना पड़ता है क्योंकि इस ज़िला के सदर अस्पताल के दर्ज़ा में नामित अस्पताल के स्थापना के 45 वर्षों बाद न तो शव रखने के लिए यहां AC भवन मिला है औऱ ना हीं एक अदद शव वाहन नसीब हुआ है. लिहाजा कभी कभार मुश्कील घड़ी में यहां इंसानियत शर्मसार होनें वाली तस्वीरें सामने आती हैं. ज़ब शव को तितर वितर रखना पड़ता है. वहीं रात में इस अस्पताल में नियमित पोस्टमार्टम की अब तक व्यवस्था नहीं की जा सकी है औऱ स्टाफ की भी कमी है जिसका खामियाजा मृतकों के शवों के साथ साथ परिजनों को भुगतना पड़ता है.
बताया जा रहा है कि बगहा में करीब 50 लाख की लागत से शवगृह बना, लेकिन 6 साल बीतने के बाद भी यह उद्घाटन का इंतजार कर रहा है आलम यह है की बिना उपयोग के हीं अब यह शवगृह जर्जर होकर खंडहर में तब्दील हो रहा है. दरअसल जीरो डिग्री पर शवगृह में 72 घंटे तक शव को सुरक्षित रखने के लिए भवन का निर्माण हुआ था लेकिन इसमें सभी उपकरण और AC हीं नहीं लगाए गए हैं.
जिले के कमलनाथ तिवारी अनुमंडलीय अस्पताल में सिस्टम की मार झेल रहे पोस्टमार्टम हाउस में जहां लाशों को पोस्टमार्टम के लिए दो से तीन दिनों तक इंतजार करना पड़ता है. संसाधन के अभाव में लाशें सड़ती रहती हैं तो वहीं अस्पताल परिसर में वर्षों पहले इस वातानुकूलित शवगृह का निर्माण कराया गया लेकिन अभी तक यह उपयोग में नहीं आया है. शवगृह में अब तक कोई उपकरण नहीं लगाया गया है. अस्पताल में शवों को सुरक्षित पोस्टमार्टम और पोस्टमार्टम के बाद भी पहचान वगैरह के लिए शवों को 72 घंटे सुरक्षित रखे जाने के उद्देश्य से इस मोर्चरी का निर्माण 2016 में बीएमसीआईएसएल के माध्यम से करीब 50 लाख में कराया गया था. इससे संबंधित कोई उपकरण आज तक नहीं लगाए गए हैं . इधर पोस्टमार्टम हाउस की बात करें तो वर्ष 2005-06 में तत्कालीन सांसद कैलाश बैठा की निधि से दो छोटे कमरों का निर्माण हुआ जो अब जर्जर और बदहाल हो गया है.
बता दें कि बगहा अनुमंडल अस्पताल में मोर्चरी गृह, शव वाहन की आपूर्ति समेत अल्ट्रासाउंड की पुनः शुरुआत और MNCU की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए डॉ अशोक तिवारी ने कई बार स्वास्थ्य विभाग और वरीय अधिकारियों से पत्राचार समेत मिलकर आग्रह किया है. बावजूद इसके विभागीय उदासीनता के कारण सीमा पर मौजूद इस अस्पताल में मूलभूत बुनियादी और अहम सुविधाएं आज भी मरीजों और मृतकों के परिजनों समेत शवों को नसीब नहीं हो पा रही है.
इनपुट- इमरान अजीज