Muzaffarpur News: केंद्रीय मंत्री के गांव में अस्पताल बना कबाड़खाना, 10 साल से गेट पर लटका है ताला
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Muzaffarpur News: केंद्रीय मंत्री के गांव में अस्पताल बना कबाड़खाना, 10 साल से गेट पर लटका है ताला

Muzaffarpur News: मुजफ्फरपुर में करोड़ों की लागत से बना अस्पताल कबाड़ में तब्दील हो चुका है. एक दशक पहले बना 30 बेड का अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग ने तो बिना दवा के एक डॉक्टर को नियुक्त किया है, लेकिन वो भी दिन के सिर्फ 2 बजे तक ही अस्पताल में रहता है. अस्पताल में आज तक ओपीडी शुरू नहीं हो सका है. ये मामला केंद्रीय राज्य मंत्री के गांव का है, फिर भी वहां अस्पताल चालू करने की पहल नहीं हो रही है. 

केंद्रीय मंत्री के गांव में अस्पताल बना कबाड़खाना, 10 साल से गेट पर लटका है ताला

Muzaffarpur News: बिहार में इन दिनों शहरी इलाके में करोड़ों की लागत से नए-नए अस्पताल भवन बनाए जा रहे है. केन्द्र सरकार से लेकर राज्य की सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगातार विकास कर रही है. बीते दिनों केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने बिहार के कई बड़े सुपरस्पेशलिटी अस्पतालो का उद्घाटन किया है, लेकिन मुजफ्फरपुर का एक वर्षों पहले बने अस्पताल आज तक शुरू नहीं हुआ है. बल्कि इसका भवन जर्जर होता जा रहा है. जगह -जगह से बिल्डिंग का दिवाल झर रहा और दीवार में दरार आ रहा है.

हालांकि, स्वास्थ्य विभाग ने इस अस्पताल में एक डॉक्टर की नियुक्ति तो की है, लेकिन वह डॉक्टर भी दिन के सिर्फ 2 बजे तक ही मिलते हैं. अस्पताल के कोने में बना स्वस्थ उपकेंद्र में एक एएनएम दिखी जो 3 बजे तक की ड्यूटी की बात कह कर निकल गई है.

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हम आपको पारु प्रखंड के चन्दपुरा में बना अस्पताल के बारे में बता रहे है. जो आज तक चालू नहीं होने के कारण भूतों का बसेरा बन जाने की खबर दिखाने के बाद, मिलता जुलता ऐसा ही एक अस्पताल के बारे बताने जा रहे हैं. जो मुरौल प्रखंड के पिलखी गजपति में 2013 में दान में मिली एक एकड़ में 5 करोड़ की लागत से एक अस्पताल बनकर तैयार हुआ है. इस अस्पताल में 30 बेड की सुविधा दी गई थी. जिसका नाम मातृ शिशु अस्पताल रखा गया था, लेकिन आज तक इस अस्पताल को शुरू नहीं किया जा सका है.

यहां तक की अस्पताल में 30 बेड में से एक बेड भी नहीं लगा है. जबकि 18 अक्टूबर 2022 में सरकार स्वास्थ विभाग के उप सचिव शैलेश कुमार की ओर से एक पत्र जारी कर तीन डॉक्टर की पदस्थापना की बात कही गई है. हालांकि, कुछ महीने पहले एक दंत चिकित्सक और एक आयुष चिकित्सक की नियुक्ति की गई है, लेकिन दंत चिकित्सक आते ही नहीं है. जबकि आयुष के डॉक्टर बिना दवा के OPD चलाते है. वह दिन में 2 बजे तक ही अस्पताल में रहते है.

जबकि इसी गांव के रहने वाले डॉ राजभूषण चौधरी निषाद भी चुनाव जीत कर सांसद बने, सांसद बनने के बाद केंद्रीय जलशक्ति राज्य मंत्री बन गए, लेकिन उनके गांव में बना इस अस्पताल के लिए अब तक कोई पहल नहीं किए गए है. लोगों को उम्मीद थी कि डॉ राजभूषण चौधरी निषाद केंद्रीय मंत्री बनने से अस्पताल अब चालू हो जायेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है.

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लोगों से चुनाव के दौरान वादा भी किया था कि चुनाव जीतने के बाद इसे वृहद रूप में शुरू करवाएंगे, लेकिन कई महीनों के बाद भी इस दिशा में कोई पहल नहीं होते दिखा है. आज एक डॉक्टर के सहारे किसी तरह OPD चल रहा है, वह दिन 2- 3 बजे तक ही अस्पताल में रहते हैं, लेकिन अस्पताल में न बेड है, ना मेडिसिन, ना कोई व्यवस्था. यानी पूरा अस्पताल जर्जर हो रहा और पूरे अस्पताल परिसर में जंगल झार से घिरता जा रहा है.

इनपुट - मणितोष कुमार

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