Kurhani By Election 2022: कुढ़नी उप चुनाव के लिए 5 दिसंबर को वोटिंग होनी है. राज्य में कुढ़नी ही एक मात्र सीट है, जिस पर उप चुनाव हो रहे हैं. यहां पर भाजपा और महागठबंधन की ओर से प्रत्याशियों का ऐलान हो चुका है.
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पटना: Kurhani By Election 2022: पूर्व विधायक अनिल सहनी ने कुढ़नी उप चुनाव में महागठबंधन के प्रत्याशी पर सवाल खड़ा कर दिया है. उन्होंने कहा कि क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कुढ़नी में कोई अति पिछड़ा उम्मीदवार नहीं मिला, जो उन्होंने पूर्व मंत्री मनोज कुशवाहा को टिकट दिया है.
महागठबंधन में सबठीक नहीं!
उन्होंने कहा कि जदयू के इस फैसले से विधानसभा क्षेत्र के अति पिछड़ा समाज में नाराजगी है. हालांकि उन्होंने महागठबंधन प्रत्याशी की जीत का दावा भी किया. अनिल सहनी वही हैं, जिनको एलीटीसी घोटाले में सजा होने की वजह से कुढ़नी में उप चुनाव हो रहा है. वो आरजेडी के टिकट पर 2020 के चुनाव में कुढ़नी से जीत कर विधायक बने थे, लेकिन बीच में ही उनकी विधायकी चली गयी.
आरजेडी ने हासिल की थी जीत
कुढ़नी उप चुनाव के लिए 5 दिसंबर को वोटिंग होनी है. राज्य में कुढ़नी ही एक मात्र सीट है, जिस पर उप चुनाव हो रहे हैं. यहां पर भाजपा और महागठबंधन की ओर से प्रत्याशियों का ऐलान हो चुका है. महागठबंधन की ओर से दो बार के विधायक रहे पूर्व मंत्री मनोज कुशवाहा को टिकट मिला है, जो जदयू प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं, तो भाजपा ने पूर्व विधायक केदार गुप्ता को फिर से टिकट दिया है, जो 2015 से 2020 तक इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में 712 वोटों के अंतर से राजद प्रत्याशी अनिल सहनी से चुनाव हार गये थे.
वहीं, मनोज कुशवाहा का नामांकन हो चुका है, जिनके नामांकन में महागठबंधन के तमाम नेता शामिल हुये थे, लेकिन इसमें जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा प्रमुख थे.
आरजेडी ने छोड़ी जेडीयू के लिए सीट
2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू एनडीए का हिस्सा थी, जिसमें एनडीए प्रत्याशी के रूप में केदार गुप्ता को टिकट मिला था, क्योंकि वो सिटिंग विधायक थे, तब मनोज कुशवाहा का टिकट कट गया था, लेकिन 2022 में उप चुनाव आया, तो मनोज कुशवाहा की किस्मत ने साथ दिया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर राजद ने कुढ़नी सीट से दावेदारी छोड़ दी.
हालांकि इस सीट से राजद के सिटिंग विधायक अनिल सहनी थे, जिससे सीट पर उसका दावा बनता था, लेकिन जदयू नेताओं का कहना था कि कुढ़नी लड़ने के लिए उन्होंने गोपालगंज सीट पर दावा नहीं किया था. उसी समय से तय था कि जब कुढ़नी सीट पर उप चुनाव होंगे, तो जदयू का प्रत्याशी होगा.
पार्टी और प्रत्याशी पर रहा सस्पेंस
कुढ़नी से महागठबंधन से राजद लड़ेगा या जदयू. इसको लेकर लंबे समय तक सस्पेंस था. जदयू के बड़े नेता भी इस बात को मान रहे थे कि हम अपना प्रत्याशी उतारना चाहते हैं, लेकिन सिटिंग सीट राजद की है, लेकिन राजद नेता और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने सीट से अपना दावा छोड़ दिया, जिससे जदयू प्रत्याशी के रूप में मनोज कुशवाहा को चुनाव लड़ने का मौका मिला.
मनोज कुशवाहा ने कुढ़नी सीट से उसी समय से लड़ने की तैयारी शुरू कर दी थी, जब अनिल सहनी को लेकर कोर्ट का फैसला आया था. उसी समय श्रीकृष्ण जयंती समारोह में उन्होंने पूरी ताकत झोंकी थी. वो क्षेत्र में लगातार घूम रहे थे.
अनिल सहनी के विरोध की वजह?
अब जिस तरह से पूर्व विधायक अनिल सहनी ने कुढ़नी में महागठबंधन के प्रत्याशी के रूप में अति पिछड़ा का कार्ड चला है. माना जा रहा है कि उसका असर जमीनी स्तर पर हो सकता है. अनिल सहनी के विरोध की एक वजह और भी है, वो कुढ़नी सीट से अपनी पत्नी फूलमती देवी को चुनाव लड़वाना चाहते थे. इसको लेकर उन्होंने पार्टी में नेताओं से बात भी की थी.
अनिल सहनी के विरोध का असर?
अनिल सहनी के चुनाव लड़ने को लेकर कुढ़नी में चर्चा भी हो रही थी. कहा जा रहा था कि अनिल सहनी की जगह पर उनकी पत्नी को उतारा जाना चाहिये.
अब चुनाव प्रचार शुरू हो चुका है. ऐसे में अनिल सहनी के विरोध का क्या असर पड़ता है, इसका पूरा सच वोटों की गिनती के साथ सामने आयेगा, लेकिन बयान देकर उन्होंने एक सवाल खड़ा कर दिया है.
उपेंद्र कुशवाहा के खास मनोज 2 बार रहे विधायक
वहीं, मनोज कुशवाहा की बात करें, तो उन्हें टिकट इसलिए मिला, क्योंकि वो इस सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं. साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के करीबी है. माना जा रहा है कि जदयू के वीटो की वजह से ही राजद इस सीट को छोड़ने को राजी हुई.
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