यूपी की तर्ज पर बिहार में भी बने एंटी रोमियो स्क्वायड, भाजपा नेता संजय जायसवाल ने की अपील
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यूपी की तर्ज पर बिहार में भी बने एंटी रोमियो स्क्वायड, भाजपा नेता संजय जायसवाल ने की अपील

संजय जायसवाल ने कहा कि जिस तरह यूपी में प्रदेश भर में पिंक बूथों का निर्माण किया गया है, बिहार में भी ऐसे ही पिंक बूथ की जरूरत है. ताकि यहां रुक कर महिलाएं किसी वाहन आदि का इंतजार कर सकें. उन्होंने कहा कि किसी अन्य प्रदेश में हुई अच्छी पहल को अपनाने में राजनीतिक कारणों से हिचकिचाना नहीं चाहिए. 

यूपी की तर्ज पर बिहार में भी बने एंटी रोमियो स्क्वायड, भाजपा नेता संजय जायसवाल ने की अपील

पटनाः छेड़छाड़, दुष्कर्म और महिलाओं-छात्राओं के खिलाफ बढ़ते अन्य अपराधों को देखते हुए भाजपा ने सरकार से चिंता जताई है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने फेसबुक पोस्ट कर उन्होंने सरकार से महिला सुरक्षा की दिशा में ठोस कदम उठाने की अपील की है. उन्होंने मनचलों से परेशान होकर नालंदा की एक छात्रा की आत्महत्या की खबर का उदाहरण सामने रखा और कहा कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए यूपी के एंटी रोमियो स्क्वायड की तर्ज पर बिहार में भी एक विशेष स्क्वायड का गठन करें, जो इस तरह की शिकायत मिलने पर त्वरित एक्शन ले सके.

पिंक बूथों का भी गठन करना चाहिए
संजय जायसवाल ने कहा कि जिस तरह यूपी में प्रदेश भर में पिंक बूथों का निर्माण किया गया है, बिहार में भी ऐसे ही पिंक बूथ की जरूरत है. ताकि यहां रुक कर महिलाएं किसी वाहन आदि का इंतजार कर सकें. उन्होंने कहा कि किसी अन्य प्रदेश में हुई अच्छी पहल को अपनाने में राजनीतिक कारणों से हिचकिचाना नहीं चाहिए. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने लिखा हमें सोचना चाहिए कि ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः’ जैसे मूल्यों का ह्रास क्यों होता चला जा रहा है. एक घटना के दोषियों को सजा मिलती भी नहीं है कि किसी अन्य जगह इसकी पुनरावृत्ति हो जाती है. दूसरी तरफ एक समाज के तौर पर हम कुछ मोमबत्तियां जला कर, फेसबुक पर पुलिस प्रशासन को कोसकर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेते हैं और अपने रोजमर्रा के कामों में लग जाते हैं.

हम दूसरे के दुख को अपना नहीं समझ रहेः संजय
संजय जायसवाल आगे लिखते हैं कि ज्यादा दिन नहीं बीते जब हमारा समाज एक परिवार की तरह होता था. पड़ोसी के घरों में कोई घटना होने पर हमारे घरों के चूल्हे जलने बंद हो जाते थे. लेकिन आज ऐसी घटनाएं इसलिए निरंतर घट रही हैं, क्योंकि हम दूसरों के दुःख दर्द को अपना समझना छोड़ते जा रहे हैं. कई घटनाओं में जाति-धर्म की क्षुद्र राजनीति करने वालों के प्रभाव में आकर गुंडे-मवालियों को छुड़ाने के लिए ही लोगों के इकट्ठे हो जाने की खबरें आती रहती हैं.

 

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