बिहार के इस विश्वविद्यालय में ढाई साल में 4 दिन ऑफिस पहुंचे कुलपति, छात्रों ने खोला मोर्चा
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बिहार के इस विश्वविद्यालय में ढाई साल में 4 दिन ऑफिस पहुंचे कुलपति, छात्रों ने खोला मोर्चा

कुलपति का आवास कार्यालय से 10 कदम की दूरी पर है. छात्रों ने आरोप लगाया है कि कुलपति आवास में उन्हें एंट्री नहीं दी जाती है,जिससे अपने काम को लेकर वो वीसी से गुहार भी नहीं लगा पाते हैं. 

बिहार के इस विश्वविद्यालय में ढाई साल में 4 दिन ऑफिस पहुंचे कुलपति, छात्रों ने खोला मोर्चा

मुजफ्फरपुर:Bhimrao Ambedkar University Bihar: बिहार सरकार राज्य में शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. दूसरी तरफ राज्य में एक विश्वविद्यालय ऐसा भी है जहां के कुलपति अपने कार्यालय में बैठना पसंद नहीं करते हैं. मुजफ्फरपुर जिले के बाबा साहब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय (BRABU) के कुलपति अपने 29 महीने के कार्यकाल में महज 4 दिन ही वीसी ऑफिस में अपनी कुर्सी पर आकर बैठे हैं. जिसके चलते छात्रों का कोई भी काम नहीं हो पा रहा है.

कुलपति आवास में एंट्री नहीं
छात्रों ने कुलपति डॉ. हनुमान पांडे पर आरोप लगाते हुए कहा कि अपने 29 महीने के कार्यकाल में कुलपति ने अपना सारा काम आवास से ही निपटाया है. उनका आवास कार्यालय से 10 कदम की दूरी पर है. छात्रों आरोप लगाया है कि कुलपति आवास में उन्हें एंट्री नहीं दी जाती है, जिससे अपने काम को लेकर वो वीसी से गुहार भी नहीं लगा पाते हैं. छात्रों के मुताबिक, वीसी ने 29 महीने में मात्र 4 दिन अपने ही ऑफिस में एंट्री ली है. इसके चलते यूनिवर्सिटी के सारे कामकाज ठप हैं.  इस बारे में जब यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार पूछा गया तो कुलपति का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि अस्वास्थ्य होने के कारण वो कार्यालय में नहीं बैठ रहे लेकिन यूनिवर्सिटी के सभी काम को आवास निपटा रहे हैं.

आवासीय कार्यालय से करते हैं काम
छात्र संगठनों का ने ये आरोप लगाया है कि कुलपति अपने घर के अंदर बने ऑफिस मे भी केवल आर्थिक मामलों का निपटारा करते हैं, जबकि यूनिवर्सिटी के एकेडमिक कार्य अधूरे ही पड़े हैं. एकेडमिक कार्यों का निपटारा नहीं होने से छात्रों को परेशानियों का सामना कर पड़ रहा है. राजद के छात्र नेता चंदन यादव ने कहा कि,ऑफिस में वो नही आते हैं. पहले अपने आवासीय कार्यालय से ही वो काम करते थे. पिछले 6 महीनों से वो अपने आवासीय कार्यालय में भी नहीं आ रहे हैं. 6 महीने पहले उनके द्वारा जो कार्य किया जाता था वो भी केवल फाइनेंशियल कार्यो को ही अंजाम दिया जाता था जबकि एकेडमिक कार्यों का कोई निपटारा नहीं किया जाता था.

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