आदित्य ठाकरे का बिहार आकर तेजस्वी यादव से मिलने के क्या हैं सियासी मायने?
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आदित्य ठाकरे का बिहार आकर तेजस्वी यादव से मिलने के क्या हैं सियासी मायने?

दोनों की मुलाकात इस सप्ताह ही हुई और इस घटना का न केवल बीएमसी चुनाव के लिए, बल्कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भी एक बड़ा राजनीतिक प्रभाव है.

दोनों का मिलना आम लोगों की समझ से परे अप्रत्याशित घटनाक्रम था.

पटना: शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे का पटना आना और तेजस्वी यादव से मिलना बिहार और महाराष्ट्र के आम लोगों की समझ से परे अप्रत्याशित घटनाक्रम था. दोनों की मुलाकात इस सप्ताह ही हुई और इस घटना का न केवल बीएमसी चुनाव के लिए, बल्कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भी एक बड़ा राजनीतिक प्रभाव है. राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी का मानना है कि देश में राजनीतिक बाधाएं गिर रही हैं और युवा नेता आम राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी- भाजपा को हराने के लिए उदाहरण पेश कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, भाजपा न केवल राजनीतिक दलों के लिए, बल्कि आम लोगों के लिए भी राजनीतिक विरोधी है. यदि आप राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों को खंगालें तो साल 2021 में देश में प्रति एक लाख लोगों पर 12 लोगों ने आत्महत्या की. उनमें से अधिकांश कम आय वाले लोग, मजदूर, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी, निम्न और मध्यम वर्ग के लोग हैं. वह आत्महत्या क्यों कर रहे हैं? इसका सीधा सा जवाब है..केंद्र की गलत वित्तीय नीतियां.

उन्होंने कहा, नरेंद्र मोदी सरकार देश में नोटबंदी लेकर आई, जिसने निम्न और मध्यम वर्ग के लोगों की कमर तोड़ दी. वे इससे बाहर नहीं आए हैं और इसलिए, वह भाजपा सरकार के खिलाफ हैं. महंगाई उच्चतम स्तर पर है और केंद्र सभी संपत्तियों को निजी कंपनियों को बेच रहा है. आम लोगों का जीवन अब बेहद कठिन है. अगर 2024 के बाद 5 साल तक ऐसी ही स्थिति बनी रही तो कुछ भी हो सकता है. लोग हिंसक रूप से विद्रोह कर सकते हैं. आप गरीब लोगों को मौत के घाट नहीं उतार सकते.

तिवारी ने कहा, 'राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में एक प्रतिबिंब देखा जा रहा है. लोग बड़ी संख्या में उनका समर्थन कर रहे हैं. युवा नेता भी एक साथ आ रहे हैं, एक-दूसरे के साथ बातचीत कर रहे हैं. महाराष्ट्र में आदित्य ठाकरे, बिहार में तेजस्वी यादव, पश्चिम बंगाल में अभिषेक बनर्जी, तमिलनाडु में एमके स्टालिन बीजेपी को हराना चाहते हैं. इसलिए देश में अप्रत्याशित राजनीतिक फैसला हो रहा है और यह एक अच्छा संकेत है.'

तिवारी ने कहा, इस समय नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव एक तरफ हैं और उनके पास बिहार में निर्णायक वोट बैंक हैं. लालू प्रसाद के मतदाता स्वभाव से आक्रामक हैं, जबकि नीतीश कुमार के मतदाता गरीब लोग हैं. बिहार में सरकार चलाना और 2015 के परिणाम को 2024 में दोहराना दो अलग-अलग बातें हैं. इन दोनों नेताओं को बिहार की आम जनता का समर्थन और बीजेपी को हराने के लिए कड़ी मेहनत करनी है.

कांग्रेस की बिहार इकाई के प्रदेश अध्यक्ष और एमएलसी मदन मोहन झा ने कहा, 'देश का संविधान खतरे में है. इसलिए हर कोई इसे बचाने की कोशिश कर रहा है. आदित्य ठाकरे का बिहार आना और तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार से मिलना एक बड़ा घटनाक्रम है. यह बीएमसी चुनाव से संबंधित नहीं है. विचार देश को बचाने और संविधान को बचाने के लिए रणनीति बनाने का है. इस समय हर संवैधानिक और गैर संवैधानिक संस्था और मीडिया पर भाजपा-आरएसएस का कब्जा है. यहां तक कि बोलने की आजादी भी नहीं दे रहे हैं. जो उनके खिलाफ बोलेते हैं, उन्हें जेल भेज दिया जाता है. उन्होंने डर का माहौल बना दिया है, जहां लोग सहज नहीं हैं और इसलिए, वह देश में विपक्षी दलों का समर्थन कर रहे हैं.'

उन्होंने कहा, 'हमारे नेता राहुल गांधी को भारत जोड़ो यात्रा में बहुत समर्थन मिल रहा है. ऐसा क्यों हो रहा है? यह केवल इसलिए हो रहा है, क्योंकि भाजपा ने विपक्षी दलों और आम लोगों के लिए कोई विकल्प नहीं छोड़ा है. इसलिए, वे एकजुट हो रहे हैं और यात्रा के दौरान इसके प्रतिबिंब दिखाई दे रहे हैं. भारत जोड़ो यात्रा का राजनीतिक अभियानों से कोई लेना-देना नहीं है. यह आम लोगों से जुड़ने का एक माध्यम है. भारत जोड़ो यात्रा कोई राजनीतिक रैली नहीं है, फिर भी लोग बड़ी संख्या में उनके साथ आ रहे हैं. वे संविधान और देश को बचाने के लिए उनकी ओर देख रहे हैं.'

उन्होंने आगे कहा, 'मेरा दृढ़ विश्वास है कि झूठ जल्दी फैलता है, लेकिन यह लंबे समय तक टिकता नहीं है. दूसरी तरफ, सच्चाई धीरे-धीरे फैलती है, लेकिन आखिरकार वहीं टिकती है. भारत जोड़ो यात्रा केवल इस देश में ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका विदेशों में भी प्रभाव है.'

वहीं, भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा, मुंबई और महाराष्ट्र में रहने वाले बिहारी लोग शिवसेना (उद्धव इकाई) के लोगों द्वारा किए गए अपमान और अपमान को नहीं भूले हैं. उन्होंने उत्तर भारत के लोगों का अपमान किया. किस आधार पर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव मुंबई जाएंगे और शिवसेना (उद्धव इकाई) के लिए प्रचार करेंगे?" भाजपा नेता ने आदित्य ठाकरे और तेजस्वी यादव की मुलाकात को वोट बैंक की राजनीति बताया.

उन्होंने कहा, आदित्य ठाकरे बीएमसी चुनाव में बिहारी वोट बैंक को सुरक्षित करने के लिए पटना आए थे, लेकिन उनकी पार्टी को इससे कोई फायदा नहीं होगा. असली शिवसेना जो बाला साहेब की विचारधारा पर चल रही है, वह भाजपा (शिंदे इकाई) के साथ है और सरकार चला रही है, लोग उनके साथ हैं.

मोदी ने कहा, शिवसेना की उद्धव इकाई राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के साथ खड़ी है. उन्होंने वीर सावरकर का अपमान किया है. नीतीश कुमार को अपना स्टैंड बताना चाहिए. उन्होंने विपक्षी एकता का चूल्हा जलाया, लेकिन उनकी खिचड़ी उस पर नहीं पकी. चूल्हे की आंच ठंडी हो गई है, इसलिए वह चुनाव प्रचार के लिए हिमाचल प्रदेश और गुजरात नहीं गए हैं.

भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव और बिहार भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने आदित्य ठाकरे की नीतीश और तेजस्वी से मुलाकात पर आपत्ति जताते हुए कहा, नीतीश और तेजस्वी ने सुशांत की आत्मा को ठेस पहुंचाने के लिए आदित्य ठाकरे से हाथ मिलाया.

आनंद ने कहा, नीतीश-तेजस्वी ने अपनी राजनीति के लिए बिहार और बिहारियों की भावनाओं का अपमान किया. बिहार के ये नेता भूल गए कि एमवीए गठबंधन के यही लोग महाराष्ट्र में बिहारियों को गालियां देते और मारते-पीटते थे और उनकी नौकरी छीन लेते थे.

(आईएएनएस)

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