बिहार के छात्र ने बताया युद्ध के बीच यूक्रेन में कैसे किया MBBS, अस्पताल के बाहर होते थे ड्रोन से हमले
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बिहार के छात्र ने बताया युद्ध के बीच यूक्रेन में कैसे किया MBBS, अस्पताल के बाहर होते थे ड्रोन से हमले

Bihar News: यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध के दौरान बिहार सहित भारत के छात्रों ने वहां किस हालात में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की इसके बारे में बिहार के पंकज कुमार राय ने बताया.

बिहार के छात्र ने बताया युद्ध के बीच यूक्रेन में कैसे किया MBBS

पटना: यूक्रेन और रूस के बीच जब युद्ध छिड़ा तो वहां पढ़ाई करने वाले भारतीय मेडिकल छात्र वर्ष 2022 में स्वदेश लौट आए थे. इसके बाद दोनों देशों के बीच जब तनाव कम हुआ तो बहुत से छात्र एमबीबीएस करने वापस यूक्रेन लौट गए जबकि कुछ ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी. यूक्रेन वापस लौटकर पढ़ाई पूरा करने वाले स्टूडेंट्स में बिहार में पंकज कुमार राय भी शामिल थे. हाल ही में यूक्रेन से एमबीबीएस की पढ़ाई खत्म करने वाले बिहार के डॉ. पंकज राजधानी कीव में प्रैक्टिस कर रहे हैं. रूस यूक्रेन युद्ध के चलते एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान सामने आईं चुनौतियों के बारे में उन्होंने बताया.

उन्होंने कहा कि , " 2018 में मैंने यूक्रेन से एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू की थी, फरवरी 2022 में जब युद्ध शुरू हुआ तब मैं यूक्रेन में था. इसके तुरंत बाद, मैं भारत वापस आ गया. फिर नवंबर में वापस यूक्रेन लौट आया. इस दौरान मैंने ज्यादातर समय अस्पताल में अपने शिक्षकों की मदद करने में बिताता था. दिन में 4-6 सर्जरी में मैं उनकी मदद करता था. इस दौरान युद्ध में घायल सैनिकों को ज्यादातर कीव लाया जाता था. 2022 में यूक्रेन में हर दिन हमले और अलर्ट होते थे. उस समय हमारे पास खाने की भी कमी थी. हमारे सामने बैलिस्टिक मिसाइल, रॉकेट और ड्रोन से हमले होते थे.

पंकज कुमार राय ने बताया कि वो हमले में ये सब हम लाइव देखते थे. उन्होंने बताया कि रात को भी वो सही से सो नहीं पाते थे कि इस बात का होता था कि कही हमला न हो जाए. अस्पताल बाकी स्थानों की अपेक्षा ज्यादा सेफ था इसलिए वो अस्पताल में ज्यादा रहते थे. डॉक्टर्स के लिए अस्पताल में अंडर ग्राउंड कमर बनाए गए थे. इन्हीं हमलों के बीच वो पढ़ाई और काम दोनों साथ साथ करते थे.

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पंकज कुमार राय ने आगे कहा कि, 'घरवालों की उनके लिए चिंताओं से उन्हें तनाव भी होता था. मैंने पहले सुना था कि विदेश में कम एक्सपोजर मिलता है. लेकिन वहां ऐसा कुछ नहीं देखने को मिला. यहां हर शिक्षक ने मुझे आगे बढडने का मौका दिया. एक बार जब मैं डेडबॉडी के बगल से गुजर रहा था. तब मुझसे डॉक्टर ने पूछा कि कभी ऑटोप्सी देखी है. जिसके बाद अगले दिन मुझे बुलाकर मेरे सामने चार से पांच बॉडी का ऑटोप्सी किया. क्लास के बाद खुद ही शिक्षक डिपार्टमेंट में बुलाते हैं. मैंने बहुत सारी सर्जरीज में डॉक्टरों को असिस्ट किया है. इसके अलावा अपनी यूनिवर्सिटी की तरफ से मुझे एक्सीलेंस अवॉर्ड भी मिला है.'

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