Trending Photos
पटना: Chaiti Chhath Puja 2023: लोक आस्था का महापर्व चैती छठ का आज तीसरा दिन है. आज यानी सोमवार को व्रती शाम में अस्ताचलगामी यानी डुबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगे. जिसके बाद 28 मार्च को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही लोक आस्था का ये महापर्व समाप्त हो जाएगा. बता दें कि छठ महापर्व का त्यौहार साल में दो बार मनाया जाता है. कार्तिक मास में आने वाले छठ के साथ-साथ चैती छठ का भी बिहार, झारखंड में विशेष महत्व है. दोनों छठ में भगवान भास्कर की पूरे आस्था के साथ पूजा-अर्चना की जाती है. इससे पहले रविवार की रात लोगों ने खरना का प्रसाद ग्रहण किया.
चैती छठ की सबसे खास बात ये होती है कि इसे चैत्र नवरात्र के दौरान मनाया जाता है. नवरात्रि के छठवें दिन जिस दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है उसी दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. वहीं नहाय खाय के दिन देवी कूष्मांडा और खरना के दिन स्कंदमाता माता की पूजा की जाएगी. बता दें कि छठ व्रत की गिनती सबसे कठिन व्रत में होती है. ऐसी मान्यता है कि जो व्रती सभी नियमों का पालन करते हुए जो छठ माता की पूजा करते हैं, माता उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं.
अर्घ्य देने का समय
चैती छठ के तीसरे दिन भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए छठ घाट सज कर तैयार हो चुके हैं. अस्ताचलगामी सूर्य को इस बार 27 मार्च शाम 06:36 मिनट पर अर्घ्य देने का शुभ मुहुर्त है. वहीं 28 मार्च को सुबह 06 बजकर 16 मिनट से उगते सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ समय है. उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चैती छठ समाप्त हो जाएगा.
अर्घ्य देने का महत्व
अस्ताचलगामी सूर्य को छठ पूजा के दौरान अर्घ्य देने का विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति को आरोग्यता, यश, आयु, संपदा और आशीष की प्राप्ति होती है. वहीं उगते सूर्य को अर्घ्य देने से विद्या, यश, आरोग्य, आयुऔर बल की प्राप्ति होती है. दोनों ही अर्घ्य का अपना महत्व है.