Chanakya Niti: चाणक्य ने बताया कैसे लक्ष्मी रहेगी आपके पास, धन की तीन गतियों का भी किया जिक्र
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Chanakya Niti: चाणक्य ने बताया कैसे लक्ष्मी रहेगी आपके पास, धन की तीन गतियों का भी किया जिक्र

कहा गया है धन की तीन गतियां होती हैं दान, भोग और नाश. ऐसे में जो व्यक्ति धन का उपयोग सतकर्मों में नहीं करता उसका उपयोग अपने संसाधनों को बेहतर बनाने और लोगों की सेवा में नहीं करता उसको तीसरी गति से गुजरना पड़ता है. मतलब उसके धन का नाश होता है.

(फाइल फोटो)

Chanakya Niti: कहा गया है धन की तीन गतियां होती हैं दान, भोग और नाश. ऐसे में जो व्यक्ति धन का उपयोग सतकर्मों में नहीं करता उसका उपयोग अपने संसाधनों को बेहतर बनाने और लोगों की सेवा में नहीं करता उसको तीसरी गति से गुजरना पड़ता है. मतलब उसके धन का नाश होता है. जी हां आचार्य चाणक्य ने भी अपने नीति शास्त्र में भी कुछ इसी तरह की बातों का जिक्र किया है. 

ऐसे में चाणक्य के नीति शास्त्र को सबसे प्रासंगिक सिद्धांतों में से एक माना गया है. आचार्य चाणक्य के नीति शास्त्र के सिद्धांत हो अर्थशास्त्र, समाज शास्त्र, कूटनीति या राजनीति शास्त्र के सिद्धांत हो इन पर अमल कर ही सही मायने में आप बेहतर बन सकते हैं. चाणक्य के नीति शास्त्र के सिद्धांतों पर चलकर लोग अपने जीवन को सफल और सुखद बना सकते हैं.  

चाणक्य के नीति शास्त्र में नीति ज्ञान का वृहद भंडार है. जो हर उम्र के लोगों के लिए सीखने की चीज है. वैसे सीखने की कोई उम्र नहीं होती लेकिन अगर चाणक्य के नीति शास्त्र के सिद्धांतों को कोई बचपन से ही अपने जीवन में उतार ले तो वह पूरी जिंदगी बेहतर इंसान बनकर जी सकते है. ऐसे में चाणक्य की नीतियों को जीवन में जरूर अपनाना चाहिए. चाणक्य ने साफ और स्पष्ट तौर पर अपने नीति शास्त्र में कहा है कि आपका जब वक्त बुरा हो कौन-कौन आपके साथ होगा और कौन आपसे किनारा कर रहा होगा.   

चाणक्य के इस श्लोक को पढ़िए-
आत्मापराधवृक्षस्य फलान्येतानि देहिनाम् ।
दारिद्रयरोग दुःखानि बन्धनव्यसनानि च॥

आचार्य चाणक्य की मानें को बुरा कर्म करने वाले लोग इसका बुरा फल भी पाते हैं. ऐसे में अगर आपको मां लक्ष्मी का कृपा पात्र बना रहना है तो आपको अच्छे कर्म करना चाहिए, धन का सदुपयोग करना चाहिए और साथ ही आपको झूठ बोलने और दूसरों को नुकसान पहुंचाने से बचना चाहिए. चाणक्य बताते हैं कि मनुष्य के जीवन में की गई गलतियां एक पेड़ के समान होती है. इसी के आधार पर उसे जीवन में दरिद्रता, दुख, रोग, बंधन और विपत्तियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में सजा के तौर पर फल मनुष्य अपराध के हिसाब से अपने जीवन में भोगता है. 

चाणक्य कहते हैं कि आप जैसा फल या फसल बोएंगे आपको वैसा ही काटना होगा. ऐसे में धन को संजो कर रखने वालों पर हमेशा लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है लेकिन जो लोग धन की कद्र नहीं करते ऐसे लोगों के पास से लक्ष्मी सदा के लिए चली जाती है और दरिद्रता उनके घर वास करने लगती है. 

चाणक्य ये भी कहते हैं कि आप अपने अर्जित धन जो आपने नैतिक तरीके से अर्जित किए हैं उसका कुछ हिस्सा दान करें उसे सतकर्मों में लगाएं. लोगों की सहायता करें जिसे इसकी जरूरत है. जो व्यक्ति खूब धनी हो और कंजूस हो उसके पास लक्ष्मी नहीं टिकती. उसका धन समय के साथ नष्ट हो जाता है. 

चाणक्य कहते हैं कि किसी को धोखा देकर और दुःख पहुंचाकर कमाया गया धन आपके पास ज्यादा देर तक नहीं टिकता और और कंगाल हो जाते हैं. ऐसे में इस तरह के कर्मों के जरिए अमीर होने की कोशिश तो बिल्कुल ना करें. 

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