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Chanakya Niti: चाणक्य के नीति शास्त्र सिद्धांत सबसे ज्यादा प्रासंगिक हैं. आचार्य चाणक्य के नीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, समाज शास्त्र, कूटनीति या राजनीति शास्त्र के सिद्धांत हों इन पर चलकर ही कोई अपने आप को बेहतर बना सकता है. यह नीति मानव को सफल होने का रास्ता दिखाती है. चाणक्य की नीतियों का अध्ययन लोग बड़े पैमाने पर करते हैं. चाणक्य बताते हैं कि विद्या की श्रेष्ठता इतनी है कि यह नीच से नीच व्यक्ति के पास भी हो तो उससे सीखने जानने में बिल्कुल भी कतराने की जरूरत नहीं है. क्योंकि ज्ञान ही है जो मानव को सफल बना सकता है. चाणक्य की मानें तो किसी बेशकीमती वस्तु को गंदगी में भी पड़ा होने पर भी उसकी कीमत कम नहीं होती है. ऐसे में उन्होने कुछ ऐसी चीजों का जिक्र किया है जिसे गंदे से गंदे जगह में भी पड़े होने पर उठाने से नहीं हिचकना चाहिए.
विषादप्यमृतं ग्राह्यममेध्यादपि काञ्चनम् ।
रनीचादप्युत्तमां विद्यांस्त्रीरत्नं दुष्कुलादपि ।।
चाणक्य कहते हैं कि विष से अमृत निकालने की कला में आदमी को माहिर होना चाहिए, मतलब बुरी से बुरी चीज में से अच्छाई को ढूंढ कर निकाल लेना चाहिए और उसे ग्राहण करना चाहिए. ऐसी सोच किसी को भी जिंदगी में ऊंचाईयों पर ले जाने के लिए काफी है.
सत्कुले योजयेत्कन्यां पुत्रं विद्यासु योजतेत् ।
व्यसने योजयेच्छत्रुं मित्रं धर्मे नियोजयेत् ।।
वहीं आगे आचार्य चाणक्य बताते हैं कि किसी को भी अपनी कन्या का विवाह अपने से ऊंचे खानदान में करना चाहिए. साथ ही अगर कन्या गुणवान हो तो उसका हमेशा सम्मान करना चाहिए. चाणक्य कहते हैं कि गुणी कन्या अगर बुरे विचारों वाले लोगों के खानदान में भी हो तो उसका सम्मान करें और उसे अपने घर की बहु बनाने से जरा भी ना हिचकें. क्योंकि उस कन्या का गुण आपके परिवार को स्वर्ग बना देगा. ऐसे में चाणक्य बताना चाहते हैं कि किसी को भी किसी की बुराई के बजाए उसकी अच्छाइयों को देखना चाहिए.
क्योंकि चाणक्य कहते हैं कि एक बेशकीमती चीज चाहे वह सोना ही क्यों ना हो अगर कीचड़ में भी पड़ा हो तो उसकी कीमत कम नहीं होती ऐसे में उसे उठा लेना चाहिए. ऐसे में बुराई के बीच अगर अच्छाई तलाश सकें तो जरूर तलाशनी चाहिए क्योंकि यही गुण आपको महान बनाने के लिए काफी है और इससे आपके जीवन में तरक्की आएगी और आपका जीवन बेहतर से और बेहतर हो पाएगा.
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