Dhanteras 2022 Yam Deepak Story: धनतेरस पर क्यों जलाते हैं यम का दीपक, ये कथा जानकर चौंक जाएंगे आप
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Dhanteras 2022 Yam Deepak Story: धनतेरस पर क्यों जलाते हैं यम का दीपक, ये कथा जानकर चौंक जाएंगे आप

Dhanteras Yam Deepak Story: मान्यता है कि जो भी धनतेरस के दिन यम का दीपक जलाता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं होता है. इस संबंध में एक कथा भी कही जाती है.  

Dhanteras 2022 Yam Deepak Story: धनतेरस पर क्यों जलाते हैं यम का दीपक, ये कथा जानकर चौंक जाएंगे आप

पटनाः Dhanteras Yam Deepak Story: दीपावली पर्व की शुरुआत धनतेरस से होती है. इसलिए पांच पर्वों वाली दिवाली का धनतेरस एक प्रमुख त्योहार है. धनतेरस की शाम को यम का दीपक जलाने का प्रचलन है. इस दीपक को दक्षिण दिशा में रखा जाता है. दक्षिण दिशा के स्वामी यम हैं और इस दिन उनके नाम से दीपक जलाकर घर में सुख-शांति और आरोग्य की कामना की जाती है. मान्यता है कि जो भी धनतेरस के दिन यम का दीपक जलाता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं होता है. इस संबंध में एक कथा भी कही जाती है.  

यह है लोककथा
धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है. इस प्रथा के पीछे एक लोककथा है. कथा के अनुसार किसी समय में एक राजा थे जिनका नाम हेम था. दैव कृपा से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. ज्योंतिषियों ने जब बालक की कुण्डली बनाई तो पता चला कि बालक का विवाह जिस दिन होगा उसके ठीक चार दिन के बाद वह मृत्यु को प्राप्त होगा. राजा इस बात को जानकर बहुत दुखी हुआ और राजकुमार को ऐसी जगह पर भेज दिया जहाँ किसी स्त्री की परछाई भी न पड़े. दैवयोग से एक दिन एक राजकुमारी उधर से गुजरी और दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गये और उन्होंने गन्धर्व विवाह कर लिया.

यमराज ने खुद बताया उपाय
विवाह के बाद विधि का विधान सामने आया और विवाह के चार दिन बाद यमदूत उस राजकुमार के प्राण लेने आ पहुँचे. जब यमदूत राजकुमार के प्राण ले जा रहे थे उस वक्त नवविवाहिता उसकी पत्नी का विलाप सुनकर उनका हृदय भी द्रवित हो उठा. परन्तु विधि के अनुसार उन्हें अपना कार्य करना पड़ा. यमराज को जब यमदूत यह कह रहे थे, उसी समय उनमें से एक ने यम देवता से विनती की- हे यमराज! क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे मनुष्य अकाल मृत्यु से मुक्त हो जाए. दूत के इस प्रकार अनुरोध करने से यम देवता बोले, हे दूत! अकाल मृत्यु तो कर्म की गति है, इससे मुक्ति का एक आसान तरीका मैं तुम्हें बताता हूं, सो सुनो. कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी रात जो प्राणी मेरे नाम से पूजन करके दीपमाला दक्षिण दिशा की ओर भेट करता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है. यही कारण है कि लोग इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं.

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