Diwali 2022: अंधेरी रह जाएगी दीया बनाने वालों की दिवाली, जानिए क्यों
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Diwali 2022: अंधेरी रह जाएगी दीया बनाने वालों की दिवाली, जानिए क्यों

पटना सिटी के कुम्हारों में इन दिनों मायूसी छाई हुई है. दीपावली त्योहार को लेकर तीन माह पूर्व से ही कुम्हार का पूरा परिवार मिल कर मिट्टी के दीए और खिलौना बनाये थे. इस बार उनकी कमाई अच्छी होगी, लेकिन कुम्हारों को इस बार भी निराशा हाथ लग रही है.

Diwali 2022: अंधेरी रह जाएगी दीया बनाने वालों की दिवाली, जानिए क्यों

पटना : Diwali 2022 : तेल और घी को छोड़ कर पानी से जलने वाले चाइनीज दीया ने कुम्हारों के उम्मीद पर पानी फेर दिया है. दीपावली त्यौहार में दूसरे के घरों को दीपो से उजाला करने वाले कुम्हार के घर में ही अंधेरा छा गया है. इस बार दीपावली में कुम्हारों को अच्छी कमाई होने उम्मीद थी और दीपावली में काफी मात्रा में दीया और मिट्टी के खिलौने बनाए थे, लेकिन पानी से जलने वाले दीया और चीनी मिट्टी से बने आकर्षक खिलौनों ने कुम्हारों के बनाए गए दीया और खिलौने के बिक्री पर ग्रहण लगा दिया है.

कुम्हारों के घरों में छाई मायूसी
पटना सिटी के कुम्हारों में इन दिनों मायूसी छाई हुई है. दीपावली त्योहार को लेकर तीन माह पूर्व से ही कुम्हार का पूरा परिवार मिल कर मिट्टी के दीए और खिलौना बनाये थे. इस बार उनकी कमाई अच्छी होगी, लेकिन कुम्हारों को इस बार भी निराशा हाथ लग रही है. सरसों तेल और घी के दाम बढ़ने से लोगों का बजट बिगड़ गया है. जिसके कारण लोग मिट्टी के दीए लेने से परहेज कर रहे है और पानी से जलने वाली चाइनीज दीया की खरीदारी कर रहे है. साथ ही मिट्टी के खिलौने की जगह चीनी मिट्टी से बने चमकदार खिलौने की खरीदारी कर रहे है. जिसके कारण मिट्टी के दिये और खिलौना कि बिक्री में काफी कमी आई है,

प्रधानमंत्री ने कहा स्वदेशी सामान उपयोग करें जनता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता से चायनीज सामान छोड़ कर स्वदेशी सामान का उपयोग करने की अपील की है. स्वदेशी सामान महंगा होने के कारण ज्यादातर लोग चाइनीज दीया और खिलौना की खरीदारी कर रहे है. वही कुम्हार के परिवार वालों का कहना है कि इस महंगाई ने उनके आर्थिक स्थिति को और कमजोर कर दिया है. दूसरा और कोई रोजगार न मिलने के कारण मजबूरन परम्परागत कारोबार करना पड़ रहा  है. साल भर त्योहार का इंतजार के बाद कड़ी धुप में काम कर दीया बनाते है. ऊपर से मिट्टी के दीए और खिलौने की बिक्री बहुत कम है, साथ ही मेहनत के अनुपात में उचित रूपये नहीं मिल पा रहा है. आज के दौर में लोग पुरानी परम्परा और मान्यताओं को निभाने के लिए को निभाने के लिए सीमित दिये खरीद कर अपना काम चला रहे है. कुम्हारों ने नए सरकार से संरक्षण देने की उमीद लगाए बैठे है ताकि उनकी स्थिति में सुधार हो.

इनपुट- प्रवीण कांति

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