Good News: बिहार के किसानों के लिए खुशखबरी, ICAR के वैज्ञानिकों ने धान की नई प्रजाति की विकसित, कम पानी में भी होगी अच्छी पैदावार
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Good News: बिहार के किसानों के लिए खुशखबरी, ICAR के वैज्ञानिकों ने धान की नई प्रजाति की विकसित, कम पानी में भी होगी अच्छी पैदावार

Good News: बिहार के किसानों के लिए खुशखबरी सामने आ रही है.  भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों ने स्वर्ण पूर्वी धान 5 नाम से धान की नई और खास प्रजाति को विकसित किया है. इस धान की प्रजाति से खेती करने से किसानों को काफी लाभ होगा. 

Good News: बिहार के किसानों के लिए खुशखबरी, ICAR के वैज्ञानिकों ने धान की नई प्रजाति की विकसित, कम पानी में भी होगी अच्छी पैदावार

पटनाः Good News: जिन किसानों के पास पानी के पर्याप्त संसाधन नहीं होते हैं. उन्हें धन की खेती करने में बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कई किसान धान की खेती के लिए वर्षा पर निर्भर होते हैं तो कुछ नहरों के पानी से खेती करते हैं. सही समय पर पानी नहीं मिल पाने की वजह से फसल का विकास ठीक से नहीं हो पता है. इसी को देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्वी अनुसंधान परिसर पटना के वैज्ञानिकों ने स्वर्ण पूर्वी धान 5 नाम से धान की खास प्रजाति को विकसित किया है. जिससे कम पानी और सूखे में भी किसानों को अच्छी फसल मिलेगी.

इस अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों ने अब तक कई धान के किस्म को विकसित किया है. जिसमें सबसे नवीन स्वर्ण पूर्वी धान 5 है. सामान्य अवस्था में प्रति हेक्टेयर 44 क्विंटल धान तो वहीं सूखे की स्थिति में 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन होगा. इस खास प्रजाति में पोषक तत्व जिंक और आयरन की मात्रा दूसरे प्रजाति की अपेक्षा ज्यादा है. सूखा रोधी धान की उन्नत प्रजाति है. इसमें रोग एवं कीटों के प्रति प्रतिरोधकता क्षमता अधिक है. फैसलों में होने वाले बीमारी भी जल्दी नहीं होता है.

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ICAR पटना के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ संतोष कुमार ने बताया कि कम पानी में अधिक उत्पादन के लिए इस प्रजाति को इजात किया गया है. 110 से 115 दिन में फसल पूरी तरीके से तैयार हो जाता है. ऐसे इलाके जहां पानी कम है, वैसे किसानों के लिए यह वरदान साबित हो सकती है. सामान्य अवस्था में 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज देगी.

35 से 40% पानी की बचत इससे हो सकती है. हाल के दिनों में माननीय प्रधानमंत्री ने 109 धान की प्रजाति किसानों को सौंपी है. इसमें यह भी एक प्रजाति है. यह जलवायु परिवर्तन के अनुकूल प्रजाति है. अन्य धान जैसी ही रेट तय की गई है. इसका भी रेट उसी के आसपास है और जैसे वह खेती करते हैं. वैसे ही उसको भी लगाना है, लेकिन सीधी बुवाई हम लोग करने को बोलते हैं. तभी उसका फायदा ज्यादा हो. इस धान के अंदर पोटेंशियल है कि कम पानी में अधिक पैदावार होगा.

इनपुट- सनी कुमार,पटना 

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