Hartalika Teej Aarti: जानिए क्या है तीज माता की आरती, इसके जरिए प्रसन्न होंगी देवी पार्वती
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Hartalika Teej Aarti: जानिए क्या है तीज माता की आरती, इसके जरिए प्रसन्न होंगी देवी पार्वती

Hartalika Teej Aarti: सावन मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया को आने वाला ये व्रत निर्जला किया जाता है. इस दिन महिलाएं मां पार्वती की ही तरह तपस्या के स्वरूप निर्जला रहकर व्रत करती हैं और रात्रि जागरण भी करती हैं.

Hartalika Teej Aarti: जानिए क्या है तीज माता की आरती, इसके जरिए प्रसन्न होंगी देवी पार्वती

पटनाः Hartalika Teej Aarti: सावन मास की तृतीया तिथि का सनातन परंपरा में बहुत महत्व है. इस दिन हरतालिका तीज मनाया जाता है. हरतालिका तीज व्रत वाले दिन विधि विधान भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. माना जाता है कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए रखा था. जिसके लिए उन्होंने कठोर तपस्या की थी. सावन मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया को आने वाला ये व्रत निर्जला किया जाता है. इस दिन महिलाएं मां पार्वती की ही तरह तपस्या के स्वरूप निर्जला रहकर व्रत करती हैं और रात्रि जागरण भी करती हैं. शाम के समय प्रदोष काल में गौरी-शंकर की पूजा की जाती है. इस व्रत का पारण अगले दिन किया जाता है. व्रत रखने वालों को माता पार्वती की इस आरती को जरूर करनी चाहिए. इसके साथ ही शिवजी की भी आरती करनी चाहिए. 

हरतालिका तीज में माता पार्वती की आरती
जय पार्वती माता, जय पार्वती माता.
ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता..
जय पार्वती माता...

अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता.
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता.
जय पार्वती माता...

सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा.
देव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा..
जय पार्वती माता...

सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता.
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता..
जय पार्वती माता...

शुम्भ-निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता.
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा..
जय पार्वती माता...

सृष्ट‍ि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता.
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता.
जय पार्वती माता...

देवन अरज करत हम चित को लाता.
गावत दे दे ताली मन में रंगराता..
जय पार्वती माता...

श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता.
सदा सुखी रहता सुख संपति पाता..
जय पार्वती माता...

भगवान शिव जी की आरती

जय शिव ओंकारा, ओम जय शिव ओंकारा.
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ओम जय शिव ओंकारा...
एकानन चतुरानन पंचानन राजे.
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ ओम जय शिव ओंकारा...

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे.
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥ ओम जय शिव ओंकारा...
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी.
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ओम जय शिव ओंकारा...
श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे.
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥ ओम जय शिव ओंकारा...

कर के मध्य कमंडल चक्र त्रिशूलधारी.
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥ ओम जय शिव ओंकारा...
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका.
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका॥ ओम जय शिव ओंकारा...

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा.
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥ ओम जय शिव ओंकारा...
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा.

भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा.. ओम जय शिव ओंकारा...
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला.
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥ ओम जय शिव ओंकारा...
काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी.
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥ ओम जय शिव ओंकारा...

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे.
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे॥ ओम जय शिव ओंकारा...

आरती के बाद पढ़ें कर्पूरगौरं मंत्र

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्.
सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि..

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