कॉलेज के पास हॉस्टल लेकिन छात्राएं बाहर रहकर पढ़ाई को मजबूर, तस्वीर भयावह
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कॉलेज के पास हॉस्टल लेकिन छात्राएं बाहर रहकर पढ़ाई को मजबूर, तस्वीर भयावह

  इसमें शायद ही किसी को शंका है कि बिहार में स्कूल कॉलेज और विश्वविद्यालयों को लेकर भवन निर्माण का काम नहीं हुआ हो. बिहार की तकरीबन हर परंपरागत यूनिवर्सिटी को शिक्षा विभाग की तरफ से मुंह मांगी रकम मिली है, लेकिन इन सबके बावजूद गर्ल्स हॉस्टल की समस्या बरकरार है.

कॉलेज के पास हॉस्टल लेकिन छात्राएं बाहर रहकर पढ़ाई को मजबूर, तस्वीर भयावह

पटना :  इसमें शायद ही किसी को शंका है कि बिहार में स्कूल कॉलेज और विश्वविद्यालयों को लेकर भवन निर्माण का काम नहीं हुआ हो. बिहार की तकरीबन हर परंपरागत यूनिवर्सिटी को शिक्षा विभाग की तरफ से मुंह मांगी रकम मिली है, लेकिन इन सबके बावजूद गर्ल्स हॉस्टल की समस्या बरकरार है. राजधानी पटना के कई महिला महाविद्यालयों में हॉस्टल बनकर तैयार हैं लेकिन छात्राएं प्रबंधन की लापरवाही की वजह से वहां नहीं रह रही हैं. इससे भी बुरी स्थिति ब्वॉयज हॉस्टल की है. जिसकी तस्वीरें और हालत देखकर आपको यकीन नहीं होगा कि ये बिहार के हॉस्टल हो सकते हैं. 

शनिवार को शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने अपने संबोधन में जब ये कहा कि उनका विभाग शिक्षकों पर जितना रुपया खर्च कर रहा है. उसके मुताबिक परिणाम नहीं आ रहे हैं तो किसी को आश्चर्य नहीं लगा. दरअसल, कल पाटलिपुत्रा यूनिवर्सिटी की तरफ से आयोजित एक कार्यशाला को विजय कुमार चौधरी संबोधित कर रहे थे. 

हॉस्टल बनकर तैयार लेकिन नहीं रह रही छात्राएं
पाटलिपुत्रा यूनिवर्सिटी का एक अहम सरकारी महिला कॉलेज है जिसका नाम है श्री अरविंद महिला कॉलेज. इस कॉलेज में तकरीबन 9 हजार लड़कियां पढ़ती हैं. मगध महिला और पटना वीमेंस कॉलेज के विपरित इस कॉलेज में अधिकतर कम संपन्न परिवार की लड़की अध्ययन करती हैं. लिहाजा यहां एक बड़े हॉस्टल की सख्त जरूरत है. हालांकि यहां एक हॉस्टल बनकर तैयार है लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है. साल 2008 में अरविंद कॉलेज कैंपस में स्थित इस हॉस्टल का शिलान्यास किया गया और साल 2014 में इसका उद्घाटन कर दिया गया. आपको जानकर आश्यर्य होगा कि आठ साल बाद भी इस हॉस्टल में कोई छात्रा नहीं रहती हैं. हालांकि इस हॉस्टल में एक छात्रा को रहने के लिए सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है. अलग से बिजली का फीडर है, रूम में पंखे लगाए गए हैं, बिस्तर भी पड़े हुए हैं. किताब कॉपी रखने के लिए आलमीरा भी है लेकिन नहीं हैं तो रहनेवाली छात्राएं. यहां पढ़ने वाली छात्राएं दूर दराज से ऑटो से आती हैं. पटना और बाढ़ से यहां पहुंचने वाली छात्राएं कहती हैं कि अगर हॉस्टल मिल जाए तो फिर आने जाने की समस्या खत्म हो जाएगी. साल 2014 में जिस हॉस्टल का उद्घाटन हुआ था वो आठ साल बाद भी शुरू क्यों नहीं हो सका. इसका जवाब देते हुए कॉलेज की प्रिंसिपल पूनम ने कहा कि इस शैक्षणिक सत्र से हॉस्टल का आवंटन शुरू हो जाएगा.

चार साल पहले हुआ हॉस्टल का उद्घाटन आज तक नहीं हो सका चालू
बात सिर्फ अरविंद महिला कॉलेज की ही क्यों पाटलिपुत्रा यूनिवर्सिटी के ही एक और सरकारी कॉलेज गंगा देवी महिला की भी कर लेते हैं. यहां भी एक हॉस्टल बनकर तैयार है छात्राओं के लिए. तकरीबन सभी सुविधाएं छात्राओं के लिए मौजूद हैं लेकिन मौजूद नहीं हैं तो छात्राएं. यहां भी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की ही छात्राओं की संख्या ज्यादा हैं. 75 फीसदी उपस्थिति जरूरी है लिहाजा छात्राओं को बस और टैक्सी में धक्का खाकर भी यहां पहुंचना होता है. साल 2018 में इस हॉस्टल का उद्घाटन तब के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के हाथों हुआ था लेकिन चार साल बाद भी ये हॉस्टल छात्राओं के लिए चालू नहीं हो सका. अब ये हॉस्टल क्यों नहीं शुरू हो सका है इसका भी बहाना कॉलेज प्रबंधन के पास है. कॉलेज की प्रभारी प्रिंसिपल प्रो. मणिबाला के मुताबिक, इस हॉस्टल को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने तैयार कराया था. 67 लाख में ये हॉस्टल बनकर तैयार हुआ है लेकिन ठेकेदार को 38 लाख का ही भुगतान हुआ. लिहाजा ठेकेदार ने इस हॉस्टल को हैंडओवर नहीं किया है. दूसरे शब्दों में कहें तो कॉलेज प्रबंधन की लापरवाही की वजह से सीधा-सीधा नुकसान छात्राओं को हो रहा है.  इस हॉस्टल में आरो वाटर, शानदार बेड, आलमीरा की भी व्यवस्था है, बिजली के अलग से फीडर दी गई है लेकिन छात्राएं नहीं रह रही हैं. 

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इसी तरह पाटलिपुत्रा यूनिवर्सिटी के ही जानकी देवी महिला महाविद्यालय यानी जेडी वीमेंस कॉलेज में एक हॉस्टल है. हालांकि ये हॉस्टल छात्राओं की संख्या के लिहाज से पर्याप्त नहीं है. कॉलेज की प्रिंसिपल प्रोफेसर डॉक्टर मीरा कुमारी के मुताबिक छात्राओं की सुविधा के लिए सभी चीजें यहां मौजूद हैं. 

पटना विश्वविद्यालय के कई कॉलेजों के छात्रावास की हालत भी खस्ताहाल 
यहां स्थिति सिर्फ पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के छात्रावासों की खराब नहीं है. बल्कि पटना विश्वविद्यालय की भी हालत खराब है. हालांकि मगध महिला कॉलेज में मई में उद्घाटित महिमा छात्रावास देशभर के गर्ल्स हॉस्टल में बेहतर है लेकिन दूसरे कॉलेजों के छात्रावासों का क्या? हम पटना यूनिवर्सिटी के बिहार नेशनल कॉलेज यानी बीएन कॉलेज के हॉस्टल को देखकर आपके रौंगटे खड़े हो जाएंगे. हॉस्टल की स्थिति बेहद की खराब है. तीन ब्लॉक में बंटे इस हॉस्टल के दो ब्लॉक बदहाली की तस्वीर पेश कर रहे हैं. इमारत के गिरने का तो डर है ही. कमरा पूरी तरह सिलन से अटा पड़ा है. सिलन छिपाने के लिए यहां रह रहे छात्र अखबार का सहारा ले रहे हैं, लेकिन सबसे खराब हालत शौचालय की है. पुराने जमाने की शौचालय में दरवाजा नहीं है, लेकिन छात्रों को दिन हो या रात शौचालय में जाना पड़ता है. बिजली के तार काफी पुराने हो चुके हैं. 

हॉस्टल के खराब हालात पर पटना यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर गिरिश कुमार चौधरी और पाटलिपुत्रा यूनिवर्सिटी के वीसी प्रोफेसर आर के सिंह ने बेहतरी का भरोसा जता दिया. पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर आर के सिंह के मुताबिक हॉस्टल की समस्या दूर करने के लिए जल्द ही बैठक बुलाई जाएगी. 

उच्च शिक्षा विभाग का ये है दावा
वहीं उच्च शिक्षा विभाग के दावों की मानें तो साल 2018 में तीन नई यूनिवर्सिटी बनाई गई. ये हैं पूर्णिया, मुंगेर और पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय. साल 2016 के बाद से 110 बीएड कॉलेज, 80 नर्सिंग, 31 इंजीनियरिंग और 3 नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना हुई. छात्राओं की उपस्थिति बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना की शुरुआत हुई और इसके तहत स्नातक करने वाली छात्राओं को पहले 25 हजार और अब 50 हजार रुपए दिए जाते हैं. अब तक इस योजना से 1 लाख 50 हजार 29 छात्राओं को लाभ मिला है. 

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