जन्मकुंडली में पीड़ित बृहस्पति जातकों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है. इसके कारण जातक को विभिन्न क्षेत्रों में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. यदि कोई व्यक्ति शिक्षा क्षेत्र से जुड़ा है तो उसे इस क्षेत्र में परेशानियाँ आएंगी.
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Guru Grah Meen Rashi Transit: देवगुरु बृहस्पति मीन राशि में मार्गी हो चुके हैं. उनकी ये स्थिति बहुत शुभ फल प्रदान करने वाली होती है. ज्योतिष में भी गुरु ग्रह मार्गी होने की विशेषता बताई गई है. गुरु ग्रह अलग-अलग स्थितियों में विशेष फल देते हैं. किसी कुंडली के दसवें भाव में शुक्र या बुध के आने पर बृहस्पति अशुभ फल देता है. हालांकि, बृहस्पति किसी भी घर में अकेला होने पर कभी भी खराब परिणाम नहीं देता है. एक अशुभ बृहस्पति केतु (पुत्र) को बहुत प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है. यदि किसी कुंडली में बृहस्पति शनि, राहु या केतु के साथ स्थित हो तो अशुभ फल देता है .
गुरु कमजोर होने से जीवन में आने लगती हैं ये परेशानियां
जन्मकुंडली में पीड़ित बृहस्पति जातकों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है. इसके कारण जातक को विभिन्न क्षेत्रों में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. यदि कोई व्यक्ति शिक्षा क्षेत्र से जुड़ा है तो उसे इस क्षेत्र में परेशानियाँ आएंगी. पीड़ित गुरु के कारण व्यक्ति की वृद्धि थम जाती है और उसके मूल्यों का ह्लास होता है. पीड़ित गुरु व्यक्ति को शारीरिक कष्ट भी देता है. साथ ही ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह अगर अशुभ हो तो व्यक्ति को पेट से सबंधित रोग, अपच, पेट दर्द, एसिडिटी, कमज़ोर पाचन तंत्र, कैंसर जैसी बीमारी होने का ख़तरा रहता है.
मीन राशि में गुरु के मार्गी होने पर बनेगा विशेष योग
गुरु के स्वराशि मीन में मार्गी होने पर हंस पंच महापुरुष नाम का योग बनेगा. यह योग धन, व्यापार और करियर में वृद्धि का कारक होता है. वैदिक ज्योतिष गणना के मुताबिक हंस पंच महापुरुष योग से जातकों को कार्यों में सफलता और बुद्धि कौशल में तीव्र विकास दिलाता है. यह योग भाग्य में बढ़ोतरी और व्यवसाय में प्रगति के संकेत हैं.
धनु और मीन राशि के स्वामी हैं बृहस्पति
गुरु ग्रह को दो राशियों का आधिपत्य प्राप्त है धनु और मीन. गुरु ग्रह जब कर्क राशि में आते तब वे उच्च के होते हैं यानि वे कर्क राशि में अच्छा फल प्रदान करते हैं. जबकि मकर में नीच के होते हैं.