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पटनाः Kheer Importance in Shraddh:सनातन परंपरा में पितृ पक्ष का बहुत अधिक महत्व होता है. पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है. पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है. पितृ पक्ष जारी है और 25 सितंबर 2022 को पितृ पक्ष का समापन हो जाएगा. श्राद्ध के दौरान पितरों के लिए खीर का प्रसाद बनाने का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता है कि खीर का भोग लगाने से पितर प्रसन्न होते हैं और परिवार को खुशहाली का आशीर्वाद देते हैं.
श्राद्ध पक्ष में सबसे उत्तम भोजन है खीर
श्राद्ध पक्ष में सबसे उत्तम खीर बनाना है क्योंकि खीर का भोजन देवताओं के लिए भी दुर्लभ माना गया है. पूर्वजों के निमित्त खीर का भोजन करना सबसे उत्तम बताया गया है. आजकल प्रचलन में है कि लोग बड़ी संख्या में नातेदार और रिश्तेदारों और अन्य लोगों को भोजन के लिए बुलाते हैं लेकिन शास्त्र में श्राद्धपक्ष के दिन पूर्व के निमित्त केवल एक ब्राह्मण को ही भोजन कराने की बात कही गई है, और इससे ज्यादा आयोजन शास्त्र के विरुद्ध है.
पूर्ण तृप्ति के लिए बनती है खीर
खीर मीठी होती है, दूध के साथ सत्व होने पर पौष्टिक भी हो जाती है. मिठाई के साथ भोजन करने पर अतिथि को पूर्ण तृप्ति का अनुभव होता है. इसी भावना के साथ श्राद्ध में भी पितरों की पूर्ण तृप्ति के लिए खीर बनाई जाती है. इसका मनोवैज्ञानिक भाव यह भी है कि श्राद्ध के भोजन में खीर बनाकर हम अपने पितरों के प्रति आदर-सत्कार प्रदर्शित करते हैं. श्राद्ध में खीर बनाने के पीछे एक पक्ष यह भी है कि श्राद्ध पक्ष से पहले का समय बारिश का होता है. पहले के समय में लोग बारिश के कारण अधिकांश समय घरों में ही व्रत-उपवास करके बिताते थे. अत्यधिक व्रत-उपवास के कारण शरीर कमजोर हो जाता था. इसलिए श्राद्ध पक्ष के 16 दिनों तक खीर-पूड़ी खाकर व्रती अपने आप को पुष्ट करते थे. इसलिए श्राद्ध में खीर बनाने की परंपरा है.
पिंडदान तर्पण हवन पूजन-
ब्रह्म काल में ही सूर्योदय के साथ ही तर्पण करना श्रेयस्कर है. श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों के निमित्त हवन पूजन और वस्त्र दान का महत्व शास्त्रों में बताया गया है. गयाजी, कुरूक्षेत्र, हरिद्वार और अयोध्या में सरयू नदी के तट पर पूर्वजो के निमित्त श्राद्ध पक्ष पर हवन तर्पण पूजन का विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है.
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