Magh Gupta Navaratri 2023: देवी सती से कैसे हुई तंत्र की 10 महाविद्याओं की उत्पत्ति, जानिए ये कथा
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Magh Gupta Navaratri 2023: देवी सती से कैसे हुई तंत्र की 10 महाविद्याओं की उत्पत्ति, जानिए ये कथा

Magh Gupta Navaratri 2023: देवी सती अपने पिता के यज्ञ में जाने के लिए हठ कर रही थीं, जब महादेव ने उन्हें रोकने का प्रयास किया तो उन्होंने भयानक रूप धर लिया

 

Magh Gupta Navaratri 2023: देवी सती से कैसे हुई तंत्र की 10 महाविद्याओं की उत्पत्ति, जानिए ये कथा

पटना: Magh Gupta Navaratri 2023: माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से माघ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. इस बार यह तिथि रविवार 22 जनवरी 2023 को है. नवरात्रि का समापन 30 जनवरी 2023 को होगा. गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा के 10 महाविद्या स्वरूप की पूजा का विधान हैं. इन 10 महाविद्याओं की उत्पत्ति महादेव शिव की पहली पत्नी सती के क्रोध से हुई है. 

देवी सती को नहीं था देवत्व का ज्ञान
देवी सती को अपना देवत्व ज्ञात नहीं था, इसलिए वह सामान्य स्त्रियों की ही भांति व्यवहार करती थीं. इसलिए उन्हें क्रोध भी आ जाता था और वह रूठ भी जाती थीं. महादेव शिव तंत्र ज्ञान के जरिए उनकी कुंडलियों को जागृत करना चाहते थे, लेकिन उनकी चेतना बहुत ही सुप्त अवस्था में था. इसी सुप्त अवस्था में एक दिन उनके क्रोध से दसों महाविद्याओं का जन्म हुआ था. 

देवी भागवत पुराण में है जिक्र
इस रोचक कथा का देवी भागवत पुराण में ज़िक्र है कि महाविद्याओं की उत्पत्ति भगवान शिव व उनकी पत्नी सती से हुई थी. असल में सती के पिता दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव का अपमान करने के उद्देश्य से यज्ञ का आयोजन किया था और उस यज्ञ में भगवान शिव व सती को आमंत्रित नहीं किया गया था. सती, पिता के आयोजित इस यज्ञ में जाने के लिए लगातार हठ कर रही थीं. 

शिव को सती ने डराया
शिव सती को अनसुना कर रहे था. जब सती यज्ञ में जाने के लिए तत्पर हो गईं तो शिव महादेव ने उन्हें रोकने का प्रयास किया. इससे क्रोधित होकर सती ने काली का भयानक रूप धारण कर लिया.जिसे देखकर भगवान शिव शंकर इधर-उधर भागने लगे तथा पति को डरा जानकर सती ने उन्हें रोकने के लिये 10 अलग-अलग रूप धरे. भगवान शिव जिस दिशा में भी भागने का प्रयास करते, सती एक  नए रूप के साथ उन्हें रोकती. शिव को दस दिशाओं में रोकने के लिये सती ने दस रूप धरे. यही दस रूप बाद में दस महाविद्याएं कहलाईं. 

बाद में मां पार्वती ने भी समय-समय पर दुष्टों का संहार करने के लिए इन रूपों में पूर्ण अवतार लिया था. बाद में महादेव ने हर अवतार को एक शक्तिपीठ के रूप में स्थापित किया.

 

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