Margshirsh Purnima 2022: मार्गशीर्ष पूर्णिमा 7 या 8 दिसंबर को कब है? जानिए सही तारीख
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Margshirsh Purnima 2022: मार्गशीर्ष पूर्णिमा 7 या 8 दिसंबर को कब है? जानिए सही तारीख

Margshirsh Purnima 2022: पंचांग के अनुसार इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि 7 दिसंबर को सुबह 08 बजकर 02 मिनट पर आरंभ होगी और अगले दिन 08 दिसंबर 2022 को सुबह 09 बजकर 36 मिनट पर इसका समापन होगा. इसलिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत इस साल 7 दिसंबर को ही रखा जाएगा. 

Margshirsh Purnima 2022: मार्गशीर्ष पूर्णिमा 7 या 8 दिसंबर को कब है? जानिए सही तारीख

पटनाः Margshirsh Purnima 2022: सनातन परंपरा में मार्गशीर्ष पूर्णिमा का विशेष महत्व है. यह तिथि श्रीकृष्ण के पूर्ण अवतार की तिथि भी है. मान्यता है कि इस दिन उन्होंने गीता अमृत सुनाकर पार्थ अर्जुन को विराट स्वरूप का दर्शन कराया था. पौराणिक मान्याताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह से ही सतयुग काल आरंभ हुआ था. मार्गशीर्ष का माह भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित किया जाता है. इस बार मार्गशीर्ष की पूर्णिमा को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति है कि यह कब है. इसकी तारीख को लेकर सही स्थिति स्पष्ट नहीं है. 

7 दिसंबर को है पूर्णिमा
पंचांग के अनुसार इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि 7 दिसंबर को सुबह 08 बजकर 02 मिनट पर आरंभ होगी और अगले दिन 08 दिसंबर 2022 को सुबह 09 बजकर 36 मिनट पर इसका समापन होगा. इसलिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत इस साल 7 दिसंबर को ही रखा जाएगा. वहीं पूर्णाहुति का स्नान-दान 08 दिसंबर गुरुवार को किया जाएगा. व्रत के दूसरे दिन गरीब लोगों या ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दान-दक्षिणा दें. श्रीसत्यनारायण की व्रत कथा का अनुष्ठान व श्रवण 7 दिसंबर को ही किया जाएगा. 

ये मिलता है फल
पौराणिक मान्यता के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर व्रत और पूजा से भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है. इस दिन तुलसी की जड़ की मिट्टी से पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करना चाहिए. शास्त्र कहते हैं कि इस दिन किए जाने वाले दान का फल अन्य पूर्णिमा की तुलना में 32 गुना अधिक मिलता है इसलिए इसे बत्तीसी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. मार्गशीर्ष पूर्णिमा के अवसर पर भगवान सत्यनारायण की पूजा और कथा सुनने का भी पुण्य फल मिलता है. सनातन परंपरा में कोई भी व्रत उदयातिथि के अनुसार रखा जाता है. उदयातिथि के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत इस बार 07 दिसंबर को ही रखा जाएगा. 

इस तरह से करें पूजन
सबसे पहले जल्दी उठ कर स्नान करें और घर में साफ-सफाई करें. घर के मुख्य द्वार पर बंदनवार लगाएं और घर के सामने रंगोली बनाएं. पूजा वाली जगह पर गंगाजल छिड़कें. तुलसी में जल चढ़ाएं. गंगाजल और कच्चा दूध मिलाकर भगवान विष्णु, भगवान गणेश, और मां लक्ष्मी को चढ़ाएं. इसके बाद अबीर, गुलाल, चंदन, अक्षत, फूल, मौली, तुलसी की पत्तियां भगवान को अर्पित करें. सत्यनारायण की कथा पढ़ें और पूजा में शामिल सभी बड़े लोगों से आशीर्वाद लें और सबको प्रसाद दें.

 

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