मजहरूल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के नाम पर धांधली! 60 से अधिक नॉलेज रिसोर्स सेंटर के परिणाम रोके
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मजहरूल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के नाम पर धांधली! 60 से अधिक नॉलेज रिसोर्स सेंटर के परिणाम रोके

बिहार के सरकारी विश्वविद्यालयों में अनियमितता, लेटलतीफी की खबरें लगातार मिल रही हैं. शायद ही कोई ऐसे विश्वविद्यालयों हों जहां के काम काज पर गंभीर सवाल खड़े नहीं हो रहे हैं. 

मजहरूल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के नाम पर धांधली! 60 से अधिक नॉलेज रिसोर्स सेंटर के परिणाम रोके

पटनाः पटना के मीठापुर स्थित मौलाना मजहरूल हक अरबी एवं फारसी विश्वविद्यालय में एफलिएशन के नाम पर बड़ी धांधली की बात सामने आ रही है. यूनिवर्सिटी ने 60 से अधिक नॉलेज रिसोर्स सेंटर यानि केआरसी के परिणाम रोक दिए गए हैं. यूनिवर्सिटी की दलील है कि, परिणाम ऐसे ही केआरसी के रोके गए हैं जिनको लेकर कुछ संदेह है. ऐसे में सवाल ये है कि यूनिवर्सिटी ने अब जाकर नॉलेज रिसोर्स सेंटर के परिणाम क्यों रोके हैं, जबकि यूनिवर्सिटी धड़ल्ले से नॉलेज रिसोर्स सेंटर को एफलिएशन दे रही थी तब इनकी जांच क्यों नहीं की गई.

नॉलेज रिसोर्स सेंटर के एफलिएशन का है मामला
बिहार के सरकारी विश्वविद्यालयों में अनियमितता, लेटलतीफी की खबरें लगातार मिल रही हैं. शायद ही कोई ऐसे विश्वविद्यालयों हों जहां के काम काज पर गंभीर सवाल खड़े नहीं हो रहे हैं. इसी कड़ी में पटना में मीठापुर स्थित मौलाना मजहरूल हक अरबी एवं फारसी विश्वविद्यालय भी है. दरअसल पूरा मामला नॉलेज रिसोर्स सेंटर यानि (केआरसी) के एफलिएशन से जुड़ा है. अरबी एवं फारसी विश्वविद्यालय ने पहले तो बीएलएस जैसे विषयों की परीक्षा के परिणाम जारी करने में देरी की और जब नतीजे आए तो 60 केआरसी के परिणाम रोक दिए गए. 

किसी बड़े खेल के होने की आशंका
दलील दी गई है नॉलेज रिसोर्स सेंटर की जांच हो रही है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि बिना जांच के ही इतनी बड़ी संख्या में केआरसी को मान्यता कैसे मिली. क्या एफलिएशन के नाम पर इस यूनिवर्सिटी में कोई बड़ा खेल तो नहीं हो रहा है. अब विश्वविद्यालय की गलती का खामियाजा छात्र और केआरसी संचालक भुगत रहे हैं. उनके मुताबिक, पारदर्शिता के अभाव की वजह से ऐसा हुआ है. यूनिवर्सिटी के रवैये से वैसे छात्र ज्यादा नाराज हैं जो बैचलर इन लाइब्रेरी सांइस यानि बीएलएस के छात्र हैं. 

अरबी एवं फारसी विश्वविद्यालय से मिली है मान्यता
दरअसल, विश्वविद्यालय ने छात्रों की सुविधा के लिए बिहार के अलग-अलग जिलों में केआरसी बनाए गए हैं. इन केआरसी को अरबी एवं फारसी विश्वविद्यालय से मान्यता मिली हुई है. विश्वविद्यालय ने बीएलएस, बीबीए और बीसीए की परीक्षा ली और इसके परिणाम घोषित कर दिए. हालांकि इसमें भी काफी देरी हुई. अरबी एवं फारसी के प्रोवीसी प्रोफेसर ईद मोहम्मद अंसारी के मुताबिक  जिन नॉलेज रिसोर्स सेंटर के नतीजे रोके गए हैं उनके क्रियाकलापों की जांच चल रही है. 

60 से अधिक नॉलेज रिसोर्स सेंटर की फाइलों की हो रही है जांच
ईद मोहम्मद अंसारी के मुताबिक 60 से अधिक नॉलेज रिसोर्स सेंटर की फाइलों की जांच हो रही है. अगर जांच में सारी चीजें सही मिलती हैं तो परिणाम घोषित कर दिया जाएगा. ये पूछे जाने पर कि क्या आखिर किस आधार पर इन नॉलेज रिसोर्स सेंटर को एफलिएशन दिया गया. जवाब में प्रोवीसी कहते हैं कि जिस वक्त इन केआरसी सेंटर को मान्यता दी गई उस वक्त यूनिवर्सिटी का प्रबंधन किन्हीं और के जिम्मे था. सवाल ये है कि क्या कोई यूनिवर्सिटी इस तरह के बहाना बनाकर एफलिएशन देने के मामले में इस तरह से बच सकती है. 

धांधली की खबरें भी आ रही हैं सामने
फिलहाल यूनिवर्सिटी एफलिएशन मामले में रक्षात्मक है तो दूसरी ओर परिणाम रोके जाने से 12 हजार से अधिक छात्रों को मुश्किलें खड़ी हो गई है. यूनिवर्सिटी की तरफ से बैचलर इन लाइब्रेरी साइंस यानि बीएलएस,बीसीए और बीबीए के नतीजे जारी किए गए हैं. विश्वविद्यालयों के मामले में शिक्षा विभाग और इसके मंत्री विजय कुमार चौधरी अपनी असमर्थता कई बार जगजाहिर कर चुके हैं. लेकिन हकीकत ये है कि बिहार के विश्वविद्यालय न सिर्फ कक्षा और परीक्षा सत्र में हो रही देरी के लिए बदनाम हो रहे हैं बल्कि अब यहां पर धांधली की खबरें भी आने लगी हैं. 
रिपोर्टः प्रीतम कुमार

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