Bihar Samachar: तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर लिखा कि 'BJP-JDU एक सोची समझी तुच्छ नीति के तहत अपनी Fixed और Friendly 'छींटाकशी' से ज्वलंत मुद्दों व सरकार की नाकामी से ध्यान भटकाने के लिए मुख्यमंत्री के इशारे पर नौटंकी कर रहे है.'
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Patna: बिहार में कोरोना की लहर लगातार अपना कहर बरसा रही है. आए दिन सैकड़ों लोगों की मौत की खबर सामने आ रही है. ऐसे में भी बिहार विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच वार-पलटवार का दौर जारी है. इसी क्रम में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक बार फिर बीजेपी और जेडीयू पर निशाना साधा है.
तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर लिखा कि 'BJP-JDU एक सोची समझी तुच्छ नीति के तहत अपनी Fixed और Friendly 'छींटाकशी' से ज्वलंत मुद्दों व सरकार की नाकामी से ध्यान भटकाने के लिए मुख्यमंत्री के इशारे पर नौटंकी कर रहे है.'
'इन बेशर्म नेताओं को बेड, डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मियों, ऑक्सीजन, वैक्सीन, दवा, वेंटिलेटर व ईलाज की कमी से मर रहे लाखों लोगों की कोई परवाह नहीं है.'
BJP-JDU एक सोची समझी तुच्छ नीति के तहत अपनी Fixed और Friendly 'छींटाकशी' से ज्वलंत मुद्दों व सरकार की नाकामी से ध्यान भटकाने के लिए CM के इशारे पर नौटंकी कर रहे है।
इन बेशर्म नेताओं को बेड,डॉक्टर, ऑक्सीजन,वैक्सीन,दवा,वेंटिलेटर व ईलाज की कमी से मर रहे लोगों की कोई परवाह नहीं है।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) May 7, 2021
उन्होंने आगे लिखा 'संक्रमण व मृत्यु के आंकड़ों को 20-30 गुणा कम करके और आपसी नूराकुश्ती से लोगों का ध्यान भटकाकर BJP-JDU वाले समझते हैं कि लोगों को इनकी कामचोरी और धूर्तता के कारण रोज हो रही हजारों मौतों के बारे में पता नहीं चलेगा. इस निकम्मी नीतीश सरकार के पास ना दिल है, ना दिमाग, ना लगन और ना ही संवेदना.'
'बिहार के लोग आज अस्पतालों में मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से अपने प्राण त्याग रहे है. लेकिन ये कुर्सीवादी लालची लोग अपनी निम्नस्तरीय अमानवीय राजनीति के चलते मरते लोगों की चिंता छोड़ प्रदेशवासियों का ध्यान हटाने के लिए हेडलाइन मैनेज करने में लगे हैं.'
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तेजस्वी यादव ने कहा कि 'मैंने 2019 लोकसभा चुनाव में ही कहा था यह ड़बल इंजन नहीं ट्रबल इंजन है. बिहारवासियों को इस कथित ड़बल इंजन का क्या फायदा मिला? इस ड़बल इंजन ट्रबल ट्रेन में सवार एनडीए के 48 सांसदों, 5 केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्री, दो-दो उपमुख्यमंत्रियों में से किसी माई के लाल में है दम जो बता सके इस महामारी के वक्त बिहार को सबसे कम मदद क्यों मिल रही है? क्या ये अंधे, गूंगे-बहरे नकारे लोग बिहारवासियों की जान लेने के लिए चुने गए है? इनमें से किसी में हिम्मत नहीं जो मूलभूत स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करा सके?'