Bihar Politics: राजनीति में कोई ना तो स्थाई दोस्त होता है और ना स्थाई दुश्मन. नीतीश कुमार इस कहावत को पूरी तरह से सार्थक करते हैं. उन्हें जहां से भी अपना फायदा नजर आता है वो तुरंत उसकी तरफ खड़े हो जाते हैं.
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Bihar Politics: देश के पांचों राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में से रविवार (03 दिसंबर) को 4 राज्यों के रिजल्ट जारी हो रहे हैं. इन राज्यों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना हैं. सभी राज्यों में वोटों की गिनती शुरू हो चुकी है. मिजोरम के परिणाम सोमवार (04 दिसंबर) को जारी होंगे. इन चुनावों को लोकसभा चुनाव 2024 का सेमीफाइनल कहा जा रहा है, लिहाजा इस चुनाव पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं. बिहार के राजनीतिक दल इस चुनावों को बड़ी गंभीरता से रहे हैं. इस सबके बीच बड़ा सवाल ये है कि अगर हिंदी भाषी प्रदेशों में बीजेपी की सरकार बनती है, तो क्या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मन में दूसरा लड्डू फूटेगा?
दरअसल, बीजेपी से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने बिखरे विपक्ष को एकजुट किया था लेकिन बाद में उसे कांग्रेस पार्टी ने हाईजैक कर लिया. राजद अध्यक्ष लालू यादव पहले नीतीश कुमार को अगुवाकार बता रहे थे. बाद में वह भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी का समर्थन करने लगे. उन्होंने तो राहुल से साफ कह दिया कि तुम बारात निकालो हम लोग बाराती बनने को तैयार हैं. कांग्रेस के कारण नीतीश कुमार को विपक्षी गठबंधन का संयोजक तक नहीं बनाया गया. इससे नीतीश कुमार को बड़ा झटका लगा था. इससे बाद नीतीश कुमार के फिर से एनडीए में वापसी की अटकलें तेज हो गई थीं.
कहते हैं कि राजनीति में कोई ना तो स्थाई दोस्त होता है और ना स्थाई दुश्मन. नीतीश कुमार इस कहावत को पूरी तरह से सार्थक करते हैं. उन्हें जहां से भी अपना फायदा नजर आता है वो तुरंत उसकी तरफ खड़े हो जाते हैं. अब अगर हिंदी भाषी प्रदेशों में बीजेपी जीतती है तो इसका असर बिहार की राजनीति में पड़ना तय है. हो सकता है कि नीतीश कुमार एक बार फिर से बीजेपी के साथ खड़े दिखाई दें. पिछली बार भी नीतीश कुमार ने आखिरी वक्त में महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में वापसी की थी और बीजेपी के साथ मिलकर 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था.