Bihar Politics: विनोद तावड़े का डेटा तेजस्वी यादव की चिंता बढ़ाने वाला है. इस डेटा के हिसाब से तेजस्वी के हाथ से सत्ता की चाभी दूर है. हालांकि, लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के मुद्दे अलग होते हैं और वोटिंग का ट्रेंड भी अलग होता है.
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Bihar Politics: बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसको लेकर बीजेपी ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है. इसी कड़ी में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने गुरुवार (18 जुलाई) को कार्यकर्ताओं में जोश भरा. इस दौरान उन्होंने एक ऐसा आंकड़ा पेश किया जिससे राजद नेता तेजस्वी यादव की नींद उड़ सकती है. बिहार से जुड़े लोकसभा चुनाव के इस डेटा से विनोद तावड़े काफी उत्साहित दिखे और विधानसभा चुनाव में जीत का दावा कर दिया. पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए तावड़े ने कहा कि उनकी मेहनत के कारण आज केंद्र में तीसरी बार नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं. उन्होंने कहा कि इस बेहतर परिणाम के लिए बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं का अभिनंदन के हकदार हैं.
उन्होंने कहा कि बिहार में एनडीए की जीत सही अर्थों में बीजेपी कार्यकर्ताओं की मेहनत का परिणाम परिणाम है. यह परिणाम उनकी मेहनत को दर्शाता है. अगले विधानसभा चुनाव में जीत का दावा करते हुए बीजेपी नेता ने कहा कि इस लोकसभा चुनाव में एनडीए ने बिहार की 243 सीटों में से 174 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाई है, जबकि राजद मात्र 34 सीटों पर आगे रही. उन्होंने कहा कि ये अगले विधानसभा चुनाव के परिणाम के स्पष्ट संकेत हैं. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि अगले विधानसभा चुनाव में एनडीए पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएगी. उन्होंने दावा किया कि एनडीए 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में 2010 का भी रिकॉर्ड तोड़ेगी और पूर्ण बहुमत की मजबूत सरकार बनाएगी.
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विनोद तावड़े ने इस दौरान कांग्रेस पर भी जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली है. 13 राज्यों में कांग्रेस के एक भी सांसद नहीं हैं. जनता ने उन्हें नकार दिया है. तावड़े ने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि वो सदन में ऐसा प्रदर्शन कर रहे हैं, जैसे कांग्रेस चुनाव जीत गई है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पिछले 3 लोकसभा चुनावों में उतनी भी सीट नहीं जीत सकी है, जितनी भाजपा ने 2024 चुनाव में जीती है. वहीं विनोद तावड़े का डेटा तेजस्वी यादव की चिंता बढ़ाने वाला है. इस डेटा के हिसाब से तेजस्वी के हाथ से सत्ता की चाभी दूर है. हालांकि, लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के मुद्दे अलग होते हैं और वोटिंग का ट्रेंड भी अलग होता है.