Bihar Caste Census: बिहार में जाति जनगणना को लेकर दायर याचिका पर आज यानी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी.
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Bihar Caste Census: बिहार में हुई जाति जनगणना पर सियासत जारी है. इस बीच 6 अक्टूबर, 2023 दिन शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में बिहार में जाति जनगणना को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई होनी है. याचिकाकर्ता ने सोमवार को जारी बिहार सरकार के जाति सर्वेक्षण को चुनौती देते हुए दावा किया है कि यह निजता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है. अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा है कि बिहार सरकार ने जाति सर्वेक्षण के आंकड़े प्रकाशित कर दिए हैं. लिहाजा, इस मामले पर सुनवाई की जानी चाहिए.
दरअसल, बिहार के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने 2 अक्टूबर, 2023 दिन सोमवार को कहा कि बिहार में पिछड़ा वर्ग 27.13 प्रतिशत है. अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01 प्रतिशत , सामान्य वर्ग 15.52 प्रतिशत है. बिहार की कुल जनसंख्या 13 करोड़ से अधिक है. सर्वेक्षण में पाया गया कि बिहार की आबादी भारी मात्रा में हिंदू है, जिसमें बहुसंख्यक समुदाय कुल आबादी का 81.99 प्रतिशत है, इसके बाद मुस्लिम 17.70 प्रतिशत हैं. आंकड़ों से पता चलता है कि अनारक्षित श्रेणी, उच्च जाति की कुल आबादी का 15.52 प्रतिशत है.
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बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जाति आधारित गणना का प्रस्ताव विधानमंडल में सर्वसम्मति से पारित किया गया था. बिहार विधानसभा के सभी 9 दलों की सहमति से यह निर्णय लिया गया कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से जाति आधारित जनगणना कराएगी और इसकी मंजूरी 02-06-2022 को मंत्रिपरिषद से दी गई थी. इसी आधार पर राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जाति आधारित जनगणना करायी है.
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उन्होंने कहा कि जाति आधारित जनगणना से न सिर्फ जातियों का पता चलता है बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति की भी जानकारी मिलती है. मुख्यमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि सभी वर्गों के विकास और उत्थान के लिए आगे भी कार्रवाई की जायेगी. जाति जनगणना, जिसका भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार ने विरोध किया था.