Champai Soren: बीजेपी में शामिल होने के अटकलों के बीच झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने एक्स पर एक भावुक पोस्ट शेयर किया है. पोस्ट में उन्होंने बीते दिनों उनके साथ हुए वर्ताव को बताया है.
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रांची: झारखंड की सियासत में पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को लेकर उठे सवाल का अब खुद चंपई सोरेन ने जवाब दिया है. चंपई सोरेन ने एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए अपनी मन की बात कही है. इस पोस्ट उन्होंने अगले राजनीतिक कदम को लेकर जवाब दिया साथ ही उन्होंने बीते दिनों जेएमएम पार्टी में उनके साथ किए गए नाइंसाफी को भी बताया है. चेपई सोरेन ने पोस्ट करते हुए लिखा अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत में औद्योगिक घरानों के खिलाफ मजदूरों की आवाज उठाने से लेकर झारखंड आंदोलन तक, मैंने हमेशा जन-सरोकार की राजनीति की है. राज्य के आदिवासियों, मूलवासियों, गरीबों, मजदूरों, छात्रों एवं पिछड़े तबके के लोगों को उनका अधिकार दिलवाने का प्रयास करता रहा हूं. किसी भी पद पर रहा अथवा नहीं, लेकिन हर पल जनता के लिए उपलब्ध रहा, उन लोगों के मुद्दे उठाता रहा, जिन्होंने झारखंड राज्य के साथ, अपने बेहतर भविष्य के सपने देखे थे.
चंपई सोरेन ने बताया कि मुख्यमंत्री बनने के बाद हूल दिवस के अगले दिन बताया गया कि अगले दो दिनों के मेरे सभी कार्यक्रमों को पार्टी नेतृत्व द्वारा स्थगित करवा दिया गया है. इसमें एक सार्वजनिक कार्यक्रम दुमका में था, जबकि दूसरा कार्यक्रम पीजीटी शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरण करने का था. पूछने पर पता चला कि गठबंधन द्वारा 3 जुलाई को विधायक दल की एक बैठक बुलाई गई है, तब तक आप सीएम के तौर पर किसी कार्यक्रम में नहीं जा सकते.
जोहार साथियों,
आज समाचार देखने के बाद, आप सभी के मन में कई सवाल उमड़ रहे होंगे। आखिर ऐसा क्या हुआ, जिसने कोल्हान के एक छोटे से गांव में रहने वाले एक गरीब किसान के बेटे को इस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया।
अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत में औद्योगिक घरानों के खिलाफ मजदूरों की आवाज…
— Champai Soren (@ChampaiSoren) August 18, 2024
चंपई सोरेन ने अपना दर्द बयान करते हुए लिखा कि क्या लोकतंत्र में इस से अपमानजनक कुछ हो सकता है कि एक मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कोई अन्य व्यक्ति रद्द करवा दे? अपमान का यह कड़वा घूंट पीने के बावजूद मैंने कहा कि नियुक्ति पत्र वितरण सुबह है, जबकि दोपहर में विधायक दल की बैठक होगी, तो वहां से होते हुए मैं उसमें शामिल हो जाऊंगा. लेकिन, उधर से साफ इंकार कर दिया गया.
चंपई सोरेन ने आगे लिखा कि कहने को तो विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार मुख्यमंत्री का होता है, लेकिन मुझे बैठक का एजेंडा तक नहीं बताया गया था. बैठक के दौरान मुझ से इस्तीफा मांगा गया. मैं आश्चर्यचकित था, लेकिन मुझे सत्ता का मोह नहीं था, इसलिए मैंने तुरंत इस्तीफा दे दिया, लेकिन आत्म-सम्मान पर लगी चोट से दिल भावुक था.
वहीं जेएमएम छोड़ने को लेकर उन्होंने लिखा कि मैंने भारी मन से विधायक दल की उसी बैठक में कहा कि - "आज से मेरे जीवन का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है." इसमें मेरे पास तीन विकल्प थे. पहला, राजनीति से सन्यास लेना, दूसरा, अपना अलग संगठन खड़ा करना और तीसरा, इस राह में अगर कोई साथी मिले, तो उसके साथ आगे का सफर तय करना. उस दिन से लेकर आज तक, तथा आगामी झारखंड विधानसभा चुनावों तक, इस सफर में मेरे लिए सभी विकल्प खुले हुए हैं.