Chirag Paswan Vs Pahupati Paras: रामविलास पासवान के निधन के बाद से राजनीति में चिराग पासवान अलग-थलग पड़ गए थे. हालांकि, 2024 लोकसभा चुनाव से उनका कद काफी बढ़ गया है.
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Chirag Paswan Vs Pahupati Paras: बिहार के दिवंगत नेता रामविलास पासवान का परिवार एकजुट नहीं हो सकता है. रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान के बयान से तो यही लगता है. दरअसल, रामविलास पासवान के निधन के बाद उनके छोटे भाई पशुपति पारस ने चिराग पासवान से रिश्ता खत्म कर लिया था. इतना ही नहीं उन्होंने पार्टी भी तोड़ दी थी. इसके बाद से दोनों के बीच अदावत चली आ रही है. हालांकि, चिराग के केंद्रीय मंत्री के बाद उनके चाचा और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस से उन्हें परिवार का बड़ा बेटा कहा था. इससे लगा था कि अब शायद पासवान परिवार फिर से एक हो जाए. लेकिन अब चिराग ने इस मामले पर दो टूक जवाब दिया है. चाचा पशुपति पारस से रिश्ते पर चिराग पासवान ने साफ कहा कि पार्टी और परिवार तोड़ने वालों से किसी तरह का समझौता नहीं हो सकता है.
पटना में कार्यकर्ता सम्मान समारोह में चिराग पासवान ने साफ कहा कि जिन लोगों ने पार्टी के साथ गद्दारी की उनके लिए हमेशा के लिए दरवाजा बंद हो गए हैं. चाचा पशुपति पारस पर तंज कसते हुए चिराग ने कहा कि जो लोग परिवार को और पार्टी को तोड़े थे, वे आज कहां हैं सब देख रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि जिन लोगों ने 5 सांसदों के साथ अलग पार्टी बनाई थी, आज वह 0 पर हैं और हमारे 5 सांसद हो गए हैं. लोजपा आर के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी ने कहा कि चिराग ने बड़ी मेहनत से लोजपा (रामविलास) का गठन किया था. बिहार की जनता ने चिराग पासवान को ही दिवंगत नेता रामविलास पासवान का असली उत्तराधिकारी बनाया है.
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बता दें कि रामविलास पासवान के निधन के बाद से और 2024 लोकसभा चुनाव से पहले तक राजनीति में चिराग पासवान अलग-थलग पड़ गए थे. हालांकि, बिहार विधानसभा के उपचुनाव में चिराग ने जिस तरीके से बीजेपी की मदद की और उपचुनाव में बीजेपी की जीत हुई, उसके बाद उनका कद बढ़ा. यही कारण है कि एक सांसद वाली चिराग की पार्टी (लोजपा-रामविलास) को 5 सीटें दी गईं और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली. 2024 चुनाव परिणाम का रिजल्ट चिराग पासवान के लिए संजीवनी का काम किया. LJPR को सभी पांचों सीटों पर जीत मिली थी.