'अधिका​री तो छोड़िए, एक कर्मचारी तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बात नहीं सुनता', तेजस्वी यादव ने किया अब तक का सबसे बड़ा हमला
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'अधिका​री तो छोड़िए, एक कर्मचारी तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बात नहीं सुनता', तेजस्वी यादव ने किया अब तक का सबसे बड़ा हमला

TeJAshwi on CM Nitish Kumar: अधिकारियों के हाथ पैर जोड़ने की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आदत तेजस्वी यादव को नागवार गुजरी है और उन्होंने मुख्यमंत्री के खिलाफ बहुत बड़ा हमला बोल दिया है. 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव

पटना में पथ निर्माण विभाग की ओर से गंगा पथ के एक हिस्से का उद्घाटन करने पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने राघोपुर पुल के निर्माण में देरी पर नाराजगी जताई. इसके बाद सीएम नीतीश कुमार ने मंच से अधिकारी को कहा- 'इसको जल्दी करवा दीजिए, कहिए तो इसके लिए हम आपके पैर छू लें'. अब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने एक प्रेस रिलीज जारी कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथ जोड़ने और पैर छूने पर बड़ा हमला बोला है. 

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प्रेस रिलीज के माध्यम से तेजस्वी यादव ने कहा, पूरे विश्व में इतना असहाय,अशक्त,अमान्य,अक्षम, विवश,बेबस,लाचार और मजबूर कोई ही मुख्यमंत्री होगा, जो BDO, SDO, थानेदार से लेकर वरीय अधिकारियों और यहाँ तक कि संवेदक के निजी कर्मचारी के सामने बात-बात पर हाथ जोड़ने और पैर पड़ने की बात करता हो?

तेजस्वी यादव का कहना है कि बिहार में बढ़ते अपराध, बेलगाम भ्रष्टाचार, पलायन एवं प्रशासनिक अराजकता का मुख्य कारण यह है कि एक कर्मचारी तक (अधिकारी तो छोड़िए) मुख्यमंत्री की नहीं सुनता? क्यों नहीं सुनता और क्यों नहीं आदेशों का पालन करता, यह विचारनीय विषय है? हालाँकि इसमें कर्मचारी व अधिकारियों का अधिक दोष भी नहीं है.

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उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए कहा, एक कमजोर और बेबस मुख्यमंत्री के कारण बिहार में होना वही है जो “चंद” सेवारत और “सेवानिवृत्त” अधिकारियों ने ठाना है, क्योंकि अधिकारी भी जानते है कि ये 43 सीट वाली तीसरे नंबर की पार्टी के मुख्यमंत्री हैं. 

तेजस्वी यादव ने यह भी कहा, जब शासन में इक़बाल खत्म हो जाए हो और शासक में आत्मविश्वास ना रहे, तब उसे सिद्धांत,जमीर और विचार किनारे रख ऊपर से लेकर नीचे तक बात-बात पर ऐसे ही पैर पड़ना पड़ता है. बहरहाल, हमें कुर्सी की नहीं बल्कि बिहार और 14 करोड़ बिहारवासियों के वर्तमान और भविष्य की चिंता है.

इनपुट: रूपेंद्र श्रीवास्तव 

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