Bihar Politics: नीतीश कुमार अफसरों में नेता क्यों ढूंढते हैं? RCP सिंह के बाद अब मनीष वर्मा को बताया जा रहा है उत्तराधिकारी
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Bihar Politics: नीतीश कुमार अफसरों में नेता क्यों ढूंढते हैं? RCP सिंह के बाद अब मनीष वर्मा को बताया जा रहा है उत्तराधिकारी

Bihar Politics: सियासी जानकारों के मुताबिक, आरसीपी सिंह के जाने के बाद से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उनके विकल्प की तलाश थी. मनीष वर्मा में वह सारी खासियत हैं, जो आरसीपी सिंह में थीं. मनीष वर्मा भी आरसीपी सिंह की तरह आईएएस रहे हैं. नालंदा के रहने वाले हैं.

पूर्व IAS मनीष वर्मा

Bihar Politics: बिहार की सियासत में एक और रिटायर्ड नौकरशाह की एंट्री हो गई है. रिटायर्ड IAS अधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू का दामन थाम लिया है. इस तरह से उन्होंने आधिकारिक रूप से राजनीति में कदम रख लिया था. हालांकि, परोक्ष रूप से वह पहले से सीएम नीतीश कुमार की मदद करते रहे हैं. सरकारी नौकरी छोड़ने बाद से वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अतिरिक्त परामर्शी की भूमिका निभा रहे हैं और उनके काफी करीबी लोगों में से एक हैं. उन्होंने इस लोकसभा चुनाव में जेडीयू के लिए रणनीति तैयार करने का काम किया था. इसके साथ ही नालंदा में जेडीयू कैंडिडेट कौशलेंद्र कुमार की जीत सुनिश्चित करने के लिए दिन-रात मेहनत की थी. 

उनके जेडीयू में शामिल होने को बड़ा घटनाक्रम माना जा रहा है. मनीष वर्मा को जेडीयू का नया आरसीपी सिंह कहा जा रहा है, क्योंकि वह भी सीएम नीतीश के गृह जिले नालंदा से आते हैं और स्वजातीय हैं. जैसे एक समय आरसीपी सिंह हुआ करते थे. कहा जा रहा है कि आने वाले समय में पार्टी में उनको बड़ी भूमिका मिल सकती है. सियासी गलियारों में तो उन्हें नीतीश कुमार का उत्तराधिकारी भी बताया जा रहा है. अब सवाल ये है कि नीतीश कुमार आखिर अफसरों में ही नेता क्यों ढूंढ रहे हैं? इसके अलावा क्या मनीष वर्मा सच में आरसीपी सिंह की कमी को पूरा कर पाएंगे?

RCP सिंह की कमी पूरी हुई!

सियासी जानकारों के मुताबिक, आरसीपी सिंह के जाने के बाद से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उनके विकल्प की तलाश थी. मनीष वर्मा में वह सारी खासियत हैं, जो आरसीपी सिंह में थीं. मनीष वर्मा भी आरसीपी सिंह की तरह आईएएस रहे हैं. नालंदा के रहने वाले हैं और नीतीश कुमार की जाति कुर्मी से आते हैं. पटना और पुर्णिया के जिलाधिकारी रह चुके हैं. मनीष वर्मा ने वीआरएस लेने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अतिरिक्त परामर्शी के तौर पर पिछले कई सालों से सेवा दे रहे थे. अभी तक नीतीश कुमार के लिए वह पर्दे के पीछे से सियासी बिसात बिछा रहे थे और लोकसभा चुनाव में सफलता भी हासिल की. 

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अफसर ही क्यों भाते हैं?

दरअसल, बेहतर तरीके से सरकार चलाने के लिए शासन-प्रशासन का समन्वय काफी जरूरी होता है. इसके अलावा सरकार की योजनाओं को धरातल पर उतारने की पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होती है. प्रशासनिक अधिकारी जितना बेहतर काम करेंगे, जनता तक सरकार की योजनाओं का लाभ उतना ज्यादा पहुंचेगा. वहीं जनता की जरूरत के अनुसार योजनाएं बनाने में प्रशासनिक अधिकारियों के सुझाव काफी अहम होते हैं. नेताओं की अपेक्षा उन्हें समस्याओं की जानकारी ज्यादा बेहतर तरीके से होती है. उदाहरण के लिए बिहार में शराबबंदी योजना हमेशा सवालों के घेरे में रही है. विरोधियों के अलावा सहयोगी भी इसकी मुखालफत करते रहे हैं, लेकिन इसके बाद सीएम नीतीश इसे वापस लेने को तैयार नहीं है. इसका सबसे कारण है कि शराबबंदी से महिलाओं को काफी फायदा हुआ है. घरेलू हिंसा में काफी गिरावट आती है. इसी कारण से महिलाएं नीतीश कुमार की वोटर बन चुकी हैं और हर चुनाव में सीएम का जमकर समर्थन करती हैं. 

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मनीष वर्मा को लाने का मकसद?

सूत्रों के मुताबिक, मनीष वर्मा को जल्द ही पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. सीएम नीतीश कुमार का उद्देश्य विधानसभा चुनाव से पहले संगठन को मजबूत करना है. यही वजह है कि मनीष तो पार्टी में लाया गया है. अब वह अपने स्तर से संगठन का कार्यभार देखेंगे और संगठन को मजबूत करेंगे. पार्टी के विस्तार के लिए कार्यकर्ताओं को वह दिशा-निर्देश देंगे. वहीं मुख्यमंत्री अब अपना पूरा फोकस सरकार पर देंगे. विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें 10 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा निभाना है.

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