Jharkhand Politics: झारखंड में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनाव से ठीक पहले प्रदेश की सत्ता में एक बार फिर से बड़ा बदलाव हो गया है. बुधवार (3 जून) को नाटकीय परिवर्तन तरह से चंपई सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और हेमंत सोरेन को विधायक दल का नेता चुन लिया गया. सूत्रों के मुताबिक, वह 7 जुलाई को तीसरी बार सीएम पद की शपथ ले सकते हैं. इस्तीफा देने के बाद उन्होंने कहा कि मैंने स्वेच्छा से इस्तीफा दिया है. उन्होंने कहा कि हमने नेतृत्व परिवर्तन किया था. हेमंत सोरेन के आने के बाद हमारे गठबंधन ने उन्हें एक बार फिर नेता चुना गया है. झारखंड में आज जो हुआ वह कभी तमिलनाडु में भी हो चुका है.
दरअसल, तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री और AIDMK नेत्री जे जयललिता भी जब आय से अधिक संपत्ति के मामले में जेल गईं थीं तो अपने विश्वासपात्र ओ. पनीरसेल्वम को कुर्सी सौंप दिया था और जेल से वापस आने पर दोबारा सत्ता की बागडोर संभाल लिया था. जयललिता के प्रति अपने सम्मान को व्यक्त करने के लिए पन्नीरसेल्वम उस कुर्सी का इस्तेमाल नहीं करते थे, जिस पर मुख्यमंत्री के रूप में उनकी नेता (जे. जयललिता) बैठा करती थीं. कहा जाता है कि सीएम बनाए जाने के बाद पन्नीरसेल्वम कभी भी सीएम वाली कुर्सी पर नहीं बैठते थे, बल्कि वह विजिटर चेयर पर बैठना पसंद करते थे. इस दौरान उन्होंने संजीदा फाइलों को भी हाथ नहीं लगाया. पनीरसेल्वम की निष्ठा को देखते हुए जयललिता उन पर आंख बंद करके भरोसा करती थीं और जेल जाने पर सत्ता और संगठन की जिम्मेदारी उनको ही सौंपती थीं.
इसी तरह से जब हेमंत सोरेन को जेल जाने की नौबत आई थी, तो उनके सामने भी अपना उत्तराधिकारी चुनने की चुनौती थी. हेमंत सोरेन पहले अपनी पत्नी को सीएम की कुर्सी सौंपना चाहते थे, लेकिन पार्टी में बगावत के सुर उठते देख उन्होंने चंपई सोरेन पर दांव चला. 5 महीने बाद हेमंत सोरेन को हाईकोर्ट ने आरोपों से बरी कर दिया. जेल से रिहा होने के बाद झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन के विधायक दल की बैठक हुई, जिसमें हेमंत सोरेन को विधायक दल का नेता चुना गया. तय हुआ कि हेमंत सोरेन फिर से सरकार की अगुवाई करेंगे. इसलिए चंपाई सोरेन को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. जानकारी के मुताबिक, हेमंत सोरेन 7 जुलाई को झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में फिर से शपथ ले सकते हैं.