सुशील कुमार मोदी ने यह भी आरोप लगाया था कि सीएम नीतीश कुमार विपक्षी एकता के लिए देश भर में भ्रमण करने और प्रधानमंत्री बनने का सपना पूरा करने के लिए बिहार की जनता पर 350 करोड़ रुपये से अधिक का बोझ डाल दिया है.
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Jet Plane and Opposition Unity: आप इसे सपनों की उड़ान कहिए, हौसलों की उड़ान कहिए या फिर कुछ और... बिहार के सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने एक माह में 7 बार बिहार से बाहर का दौरा किया है. पहले दिल्ली, फिर कोलकाता, फिर उसी दिन लखनऊ, उसके बाद भुवनेश्वर और फिर झारखंड की राजधानी रांची और सबसे अंत में महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई. विपक्षी एकता के नाम पर किए गए इन दौरों पर लाखों रुपये खर्च हुए. विपक्षी दल बीजेपी के नेताओं और प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) का कहना है कि यह किसी भी एक मुख्यमंत्री का राज्य से बाहर कम समय में किया गया सर्वाधिक दौरा है. दिसंबर महीने में बिहार सरकार ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए 10 प्लस 2 सीटर जेट और 10 सीटर हेलीकाॅप्टर की खरीद की थी. इसे लेकर उस समय भी राजनीति गरमा गई थी और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने नीतीश कुमार की सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे. आगे की बात करें, उससे पहले जान लेते हैं कि जेट की खरीद और विपक्षी एकता का क्या कनेक्शन है.
बिहार के सीएम नीतीश कुमार का 12 अप्रैल को दिल्ली दौरा, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मुलाकात हुई. इस दौरान वाम दलों के अलावा आम आदमी के नेता अरविंद केजरीवाल से मुलाकात हुई. 24 अप्रैल को कोलकाता दौरा जिसमें ममता बनर्जी और उसी दिन ताबड़तोड़ लखनऊ का दौरा जिसमें सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से मुलाकात हुई. 9 मई को भुवनेश्वर में बीजद प्रमुख नवीन पटनायक से भेंट हुई. बता दें कि भुवनेश्वर दौरा 5 मई को ही होने वाला था पर किसी कारणवश नहीं हो पाया. 10 मई को रांची में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से मुलाकात और 11 मई को महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के नेता उद्धव ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात. एक महीने में बिहार से बाहर 7 दौरे.
भाजपा के राज्यसभा सदस्य और वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने दिसंबर में आरोप लगाया था-
250 करोड़ रुपये का 12 सीटर प्लेन और 100 करोड़ का 10 सीटर हेलीकाॅप्टर खरीदना बिहार जैसे गरीब राज्य की जनता के पैसे की सरासर बर्बादी है. सीएम नीतीश कुमार विपक्षी एकता के लिए देश भर में भ्रमण करने और प्रधानमंत्री बनने का सपना पूरा करने के लिए बिहार की जनता पर 350 करोड़ रुपये से अधिक का बोझ डाल दिया है.
सुशील कुमार मोदी ने यह भी कहा था-
नीतीश कुमार अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी को खुश करना चाह रहे होंगे, इसलिए उन्होंने जेट विमान और हेलीकाॅप्टर की खरीद का फैसला लिया है.
हालांकि सुशील कुमार मोदी ने तेजस्वी यादव का नाम नहीं लिया था. सुशील कुमार मोदी ने यह भी बताया था-
किराये पर हवाई जहाज लेना हमेशा सस्ता होता है, जबकि खरीद करने के बाद उसके मेंटीनेंस पर बहुत बड़ी रकम खर्च होती है.
सुशील कुमार मोदी के आरोपों पर उस समय नीतीश कुमार ने बहुत ही कड़ा जवाब दिया था. आम तौर पर उन्हें कड़े जवाब देने के लिए नहीं जाना जाता. जब वे नाराज होते हैं, तभी तल्ख लफ्जों का प्रयोग करते हैं. तब नीतीश कुमार ने कहा था-
पहले ये लोग हेलीकाॅप्टर और जेट खरीदने की बात करते थे और अब उसका विरोध कर रहे हैं. जेट पहले से खरीदे हुए हैं. उनको ट्रेनिंग के लिए रखा गया है. हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन क्या बोल रहा है.
वहीं जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा था, मैं सुशील मोदी की बात सुनकर हैरान हूं.
पीएम मोदी के लिए एक विमान 8460 करोड़ रुपये में खरीदा जा रहा है. उनके विदेश दौरों पर विमानों के इस्तेमाल का खर्च 2021 करोड़ रुपये है. सुशील कुमार मोदी को पीएम मोदी से स्पष्टीकरण मांगना चाहिए.
जेट की खरीद से पहले बिहार सरकार के पास किंग एयर का विमान था, जो 2005 में बूटा सिंह के राज्यपाल रहते 14.5 करोड़ रुपये में खरीदा गया था. उस समय राज्य में राष्ट्रपति शासन था. इसके बाद बिहार में कोई भी जेट या हेलीकाॅप्टर की खरीद नहीं की गई. उस समय सरकार की ओर से कहा गया था कि किंग एयर का विमान 6 सीटों वाला है और वह जेट नहीं है. जब किसी वीवीआईपी को राज्य से बाहर का दौरा करना होता है तो उससे दिक्कतें होती हैं और समय भी बहुत लगता है. तब सरकार की ओर से यह भी कहा गया था कि विमान की खरीद केवल वीवीआईपी के लिए नहीं, बल्कि कानून व्यवस्था और आपदा प्रबंधन के लिए भी की जा रही है.
बिहार के बारे में कहा जाता है कि जब भी राज्य में विमान की खरीद होती है, विवाद होते ही हैं. 1980 में तत्कालीन सीएम एसएन सिन्हा ने 7 करोड़ रुपये में 2 हेलीकाॅप्टर खरीदने का आदेश दिया था, तब उन पर भी वीवीआईपी कल्चर को बढ़ावा देने के आरोप लगे थे. जब लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री बने थे, उससे पहले सीएम रहे जगन्नाथ मिश्रा ने राज्य के लिए उड़नखटोला खरीदे थे. इसे लेकर लालू प्रसाद अकसर जनसभाओं में कहते थे- खरीदेला केहू और चढ़ेला केहू. इसका मतलब यह कि कोई खरीदता है और कोई चढ़ता है. उनका इशारा जगन्नाथ मिश्रा की तरफ था कि वे खरीदे तब भी हम चढ़ रहे हैं.