हर महीने किसानों को 6000 रुपये, न्याय 2.0 के साथ मोदी सरकार के आगे चुनौती पेश कर सकती है कांग्रेस, क्या करेंगे पीएम मोदी
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हर महीने किसानों को 6000 रुपये, न्याय 2.0 के साथ मोदी सरकार के आगे चुनौती पेश कर सकती है कांग्रेस, क्या करेंगे पीएम मोदी

Lok Sabha Election 2024: अगर राहुल गांधी न्याय 2.0 के साथ सामने आते हैं तो देखना होगा कि पीएम मोदी उसके जवाब में क्या रणनीति या फिर कौन सा प्लान लेकर लोकसभा चुनाव के रण में उतरते हैं. 

राहुल गांधी, कांग्रेस नेता

Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस ने जिस तरह से लोकलुभाव वादों के साथ हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में जोरदार वापसी की है, उससे उसका न केवल आत्मविश्वास बढ़ा है, बल्कि इस नैरेटिव को भी चुनौती मिल रही है कि भाजपा का अभी कोई मुकाबला नहीं कर सकता. आने वाले मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh Election), छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Election) और राजस्थान (Rajasthan Election) में भी कांग्रेस इसी तरह की वापसी करने की कोशिश में है और उसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं. इसके अलावा अगर लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) की बात करें तो कांग्रेस न्याय 2 (Nyay-2) प्लान के साथ मोदी सरकार (Modi Govt) के सामने चुनौती पेश कर सकती है. न्याय योजना को पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने इंट्रोड्यूस किया था पर मोदी सरकार के किसान सम्मान निधि के आगे उसकी यह योजना फ्लाॅप हो गई थी. चुनाव के बाद कांग्रेस ने माना था कि वह न्याय योजना को लोगों के सामने ठीक से प्रजेंट नहीं कर पाई और इस वजह से उसे हार का सामना करना पड़ा. अगर कांग्रेस लोकसभा चुनाव से पहले न्याय 2 योजना लांच करती है तो इस बार मोदी सरकार के सामने मुसीबत खड़ी हो सकती है. 

  1. लोकसभा चुनाव के लिए न्या 2.0 लांच सकते हैं राहुल गांधी
  2. पीएम मोदी और बीजेपी को इस बार मिल सकती है बड़ी चुनौती

क्या है राहुल गांधी की न्याय योजना?

लोकसभा चुनाव 2019 से पहले तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बड़ा दांव चलते हुए देश के 20 फीसदी गरीबों को न्यूनतम आय की गारंटी वाली स्कीम लांच की थी. इस स्कीम में 5 करोड़ परिवारों को सालाना 72,000 रुपये यानी हर महीने 6,000 रुपये की न्यूनतम आय की गारंटी देनी थी. उस समय अनुमान लगाया गया था कि अगर यह लागू हुआ तो सरकारी खजाने पर हर साल 3.6 लाख करोड़ का बोझ पड़ेगा. उस समय राहुल गांधी ने कहा था, जो लोग हर महीने 12,000 रुपये से कम कमाते हैं, हम सुनिश्चित करेंगे कि उनकी आय 12,000 रुपये प्रति माह हो . 

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राहुल गांधी की न्याय योजना का आकार मनरेगा, स्वच्छ भारत अभियान, नेशनल हेल्थ मिशन, राष्ट्रीय साक्षरता अभियान आदि के लिए तब प्रस्तावित 3.27 लाख करोड़ से भी ज्यादा होता और भारत की कुल जीडीपी का करीब 2 फीसद होता. राहुल गांधी का कहना था कि यह योजना कई चरणों में लागू की जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना को आकार देने से पहले कांग्रेस ने कई वरिष्ठ अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों से राय ली है. 

न्याय के मुकाबले किसान सम्मान निधि

राहुल गांधी की न्याय योजना के जवाब में मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि को लांच कर दिया था. उस समय सरकार ने अंतरिम बजट में आंशिक रूप से इसे लागू भी कर दिया था. किसान सम्मान निधि योजना के तहत छोटे और सीमांत किसानों को तीन किश्तों में साल में 6,000 रुपये का भुगतान करना था. 2019 में किसान सम्मान निधि की वार्षिक लागत 75,000 करोड़ रुपये था और करीब 120 मिलियन किसानों को इसके दायरे में लाने का लक्ष्य था. इसके दायरे में सभी किसानों को लाने पर इसकी लागत 85,000 करोड़ रुपये से 90,000 करोड़ रुपये तक होना था.

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अभी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की 13 किस्तें किसानों को मिल चुकी हैं और 14वीं किस्त का इंतजार है. बताया जा रहा है कि 30 जून को 14वीं किस्त भी किसानों के खाते में क्रेडिट कर दी जाएगी. 10 करोड़ किसानों के खाते में 14वीं किस्त का पैसा पीएम नरेंद्र मोदी उनके खाते में डालने वाले हैं. फरवरी में पीएम नरेंद्र मोदी ने 13वीं किस्त किसानों के खाते में डाली थी. अप्रैल से जुलाई के लिए लिए पहली किस्त, अगस्त से नवंबर के लिए दूसरी किस्त और दिसंबर से मार्च के बीच तीसरी किस्त जारी की जाती है.

राहुल गांधी कैसे देंगे पीएम मोदी को टक्कर?

पीएम मोदी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए किसान सम्मान निधि की शुरुआत की थी. मतदाताओं ने किसान सम्मान निधि पर भरोसा किया था और राहुल गांधी की न्याय योजना को ठुकरा दिया था. अब 2024 का लोकसभा चुनाव आने वाला है तो मतदाताओं को लुभाने के लिए राजनीतिक दल इस बार भी नई-नई लांच कर सकते हैं. राहुल गांधी के पास न्याय 2 का विकल्प है तो पीएम मोदी भी मतदाताओं के लिए कुछ नया प्लान लेकर आ सकते हैं. राहुल गांधी को तब एडवांटेज मिल सकता है, जब पीएम मोदी कोई दूसरा प्लान न लांच करें. राहुल गांधी न्याय को और सुसंगत तरीके से पेश कर सकते हैं.

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चूंकि हिमाचल और कर्नाटक में लोकलुभावन वादों ने कांग्रेस को सत्ता दिलाई है तो कांग्रेस की कोशिश होगी कि या तो न्याय को ही अच्छे कलेवर में पेश करे या फिर इसी तरह की कोई और योजना के साथ हाजिर हो. हालांकि अगर बीजेपी को लगा कि मतदाताओं का रुझान दूसरी तरफ हो रहा है तो वह फौरी तौर पर कुल ऐलान कर सकती है. देखना दिलचस्प होगा कि वोटरों को लुभाने के लिए कौन क्या कर सकता है और वोटर किसके वादों पर भरोसा दिखाते हैं.

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