1977, 1996 और 2004 के फॉर्मूले पर विपक्षी एकता की नींव, क्या 2024 में रंग लाएगी कवायद | Lok Sabha Election 2024
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1977, 1996 और 2004 के फॉर्मूले पर विपक्षी एकता की नींव, क्या 2024 में रंग लाएगी कवायद | Lok Sabha Election 2024

वह लगातार देशभर के विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं. उन्हें एक छतरी के नीचे लाने की कोशिश कर रहे हैं. उनका दावा है कि यदि विपक्ष एकजुट हो जाए, तो बीजेपी को 100 सीटों के नीचे समेटा जा सकता है. 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

Lok Sabha Election 2024: देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. मोदी को सत्ता से बाहर करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी एकता की नई इबारत लिखने में जुटे हैं. इस कहानी को वह 1977, 1996 और 2004 के फॉर्मूले पर लिख रहे हैं. इस कड़ी में वह लगातार देशभर के विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं. उन्हें एक छतरी के नीचे लाने की कोशिश कर रहे हैं. उनका दावा है कि यदि विपक्ष एकजुट हो जाए, तो बीजेपी को 100 सीटों के नीचे समेटा जा सकता है. 

1977 में इंदिरा को किया आउट

  • 1977 में जनता पार्टी का गठन हुआ था. इसमें भारतीय क्रांति दल, भारतीय लोकदल, स्वतंत्र पार्टी, सोशलिस्ट पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, उत्कल कांग्रेस, भारतीय जनसंघ और कांग्रेस ओ का विलय हो गया था. 
  • आपातकाल के कारण इंदिरा गांधी के खिलाफ में पूरे देश में लहर चल रही थी.
  • नागरिकों के अधिकार छीन लिए गए थे, उन्हें सुप्रीम कोर्ट तक जाने से वंचित कर दिया गया था.
  • आपातकाल के दौरान प्रेस पर भी सेंसरशिप लग गई थी. नेता, कवि, समाजसेवी सभी को जेल में डाल दिया गया था.
  • अटल, आडवाणी, जेपी और मोरारजी देसाई जैसे विपक्षी नेताओं को जेल में डालने से जनता खफा थी.
  • नसबंदी कानून को लेकर लोगों में गुस्से का माहौल था. लोग कांग्रेस को सत्ता से बाहर करना चाहते थे. 
  • पूरे देश में जय प्रकाश नारायण की लोकप्रियता थी, जेपी के कहने पर विपक्ष भी एकजुट हो गया था. 

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1996 में कैसे देवगौड़ा बने PM?

  • देश ने किसी दल को बहुमत नहीं दिया. सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी बीजेपी ने सरकार बनाने की कोशिश की, लेकिन 13 दिन में ही वाजपेयी की सरकार गिर गई.
  • 141 सीटों के साथ कांग्रेस दूसरे नंबर पर थी, लेकिन वाजपेयी सरकार का हश्र देखकर आगे नहीं बढ़ी. जिससे गेंद क्षेत्रीय दलों के पाले में पहुंच गई थी.
  • ज्योति बसु का नाम भी पीएम पद के लिए आगे आया लेकिन उनकी पार्टी नहीं मानी. चंद्रबाबू नायडू के नाम का भी प्रस्ताव हुआ लेकिन उन्होंने सीएम होने का हवाला देकर मना कर दिया.
  • 46 सीटों के साथ जनता दल तीसरे नंबर की पार्टी थी. उस वक्त एचडी देवगौड़ा के नाम पर समाजवादियों ने एकजुटता दिखाई. यूनाइटेड फ्रंट ने उन्हें अपना नेता मान लिया बाद में कांग्रेस ने भी समर्थन कर दिया.
  • देवगौड़ा को प्रधानमंत्री बनाने में लालू यादव और मुलायम सिंह यादव ने अहम भूमिका निभाई थी. लालू तो खुद को किंगमेकर भी कहने लगे थे. उन्होंने कहा था कि मैं किंग तो नहीं बना लेकिन किंगमेकर बन गया हूं.

2004 में कैसे बाहर हुई बीजेपी?

  • कांग्रेस की ओर से यूपीए का गठन किया गया था, इसमें गैर-बीजेपी दलों को जोड़ा गया.
  • क्षेत्रीय पार्टियों का एक मजबूत गठबंधन तैयार हुआ था. ऐंटी-बीजेपी वोट के बंटने का खतरा समाप्त हो गया था.
  • विपक्ष की ओर से अटल की बढ़ती उम्र को निशाना बनाया गया और दबाव में वाजपेयी ने आडवाणी को आगे कर दिया था. अटल ने कहा था- ‘ना टायर्ड ना रिटायर्ड, अगले चुनाव में आडवाणी जी के नेतृत्व में विजय की ओर प्रस्थान.’  
  • पार्टी ने अटल के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा, लेकिन पहले ही गलत संदेश जा चुका था जिससे धर्म निरपेक्ष सोच वाले लोगों का वोट नहीं मिल सका. 
  • बीजेपी नेता अपनी सरकार के काम को जनता के सामने सही पेश नहीं कर पाए थे. 
  • यूपीए के सामने बीजेपी का शाइनिंग इंडिया और फीलगुड का नारा फेल हो गया था. 

2024 की कोशिशें

  • 1977 की तरह पूरा विपक्ष एक छतरी के नीचे खड़ा होगा.
  • बीजेपी के खिलाफ क्षेत्रीय दलों एकजुट किया जाए.
  • मोदी के खिलाफ पूरे देश में माहौल बनाया जाए.
  • बीजेपी को  100 से भी कम सीटों पर समेटने की कोशिश.
  • 1996 की तरह बाद में पीएम कैंडिडेट तय होगा. 

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