Jan Suraj: जन सुराज की लॉन्चिंग के साथ ही NDA और महागठबंधन को बेचैन कर गए प्रशांत किशोर, जानें कैसे?
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Jan Suraj: जन सुराज की लॉन्चिंग के साथ ही NDA और महागठबंधन को बेचैन कर गए प्रशांत किशोर, जानें कैसे?

Prashant Kishor Politics: प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी लॉन्चिंग के साथ ही एनडीए और महागठबंधन को बेचैन कर दिया है. उनकी नजर हर क्षेत्र, हर समाज और हर तबके पर है.

प्रशांत किशोर

Prashant Kishor Politics: बिहार की सियासत में एक और दल का उदय हो चुका है. चुनावी रणनीतिकार के रूप में पीएम मोदी से लेकर सीएम नीतीश कुमार तक के साथ काम कर चुके प्रशांत किशोर अब खुद के लिए रणनीति सेट करेंगे. मतलब साफ है कि पीके अब लालू यादव और नीतीश कुमार जैसे राजनेताओं की कतार में खड़े हो चुके हैं, जिनके पास अपनी खुद की पार्टी है. पीके ने अपनी पार्टी का नाम जन सुराज पार्टी रखा है. पार्टी लॉन्चिंग के साथ ही प्रशांत किशोर ने एनडीए और महागठबंधन को बेचैन कर दिया है. एनडीए में जेडीयू और बीजेपी के साथ-साथ चिराग पासवान भी टेंशन में दिखाई दे रहे हैं. तो महागठबंधन में राजद और कांग्रेस दोनों दल परेशान दिखाई दे रहे हैं.

दरअसल, पीके ने अपनी पार्टी को लॉन्च करने से पहले लंबी मेहनत की है. उन्होंने बिहार के गांव-गांव घूम-घूमकर पीके ने प्रदेश के सियासी तबियत और तरबियत दोनों को समझा है. पीके अच्छी तरह से जानते हैं कि बिहार में जातीय राजनीति ही सफलता का एकमात्र आधार है. हर जाति का अपना दल और अपना नेता है और सफल भी हो रहा है. पीके इसी फॉर्मूले पर आगे बढ़ रहे हैं. उन्होंने अपनी पार्टी का पहला कार्यकारी अध्यक्ष भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी मनोज भारती को बनाया है. मनोज भारती दलित समाज से आते हैं. मनोज भारती के सहारे प्रशांत किशोर ने तगड़ा दांव खेलते हुए दलित समाज को एक संदेश देने की कोशिश की है.

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इससे चिराग पासवान और पशुपति पारस सहित एनडीए के सभी दल बेचैन हो गए हैं. इतना ही नहीं सीएम नीतीश कुमार के सबसे बड़े वोट बैंक को लुभाने के लिए पीके ने महिलाओं को लुभाने के लिए बड़े-बड़े वादे किए हैं. उन्होंने वादा किया है कि अगले साल 2025 विधानसभा चुनाव में 40 महिला उम्मीदवारों को जन सुराज से जिताकर सदन में लाएंगे. उन्होंने महिलाओं से वादा किया कि आपका भाई प्रशांत किशोर 2025 में छठ के मौके पर ये सुनिश्चित करेगा कि आपके पति, बेटे को रोजगार के लिए बड़े शहर नहीं जाना पड़े. उनके लिए बिहार में ही 10-15 हजार रूपए के रोजगार की व्यवस्था करेंगे. यह नीतीश कुमार के कोर वोटर को छीनने की है. हालांकि, शराबबंदी का विरोध करके वह कथित तौर पर महिलाओं को नाराज कर रहे हैं.

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पीके की नजर राजद के वोटबैंक पर भी है. राजद के कोर वोटर समझे जाने वाले बिहार के मुसलमानों को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. पीके ने अपनी पार्टी में मुसलमान समाज को 18 प्रतिशत के हिसाब से नियुक्ति देने का वादा किया है. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी में बिहार में मुसलमानों की जनसंख्या के आधार पर ही काम किया जाएगा. उन्हें उसी मुताबिक हिस्सेदारी मिलेगी. सियासी जानकारों की मानें, तो पीके ने ये मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है. लोगों का कहना है कि वो दिन दूर नहीं जब बिहार के मुसलमान लालू और नीतीश को छोड़कर पीके को सपोर्ट करने लग जाएंगे.

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