Bihar Politics: मीडिया रिपोर्ट की मानें तो आयोग ने ओबीसी आरक्षण कैटेगरी में तीन या चार श्रेणी बनाने का सुझाव दिया है. पहले सुझाव में तीन कैटेगरी बनाने और 1000 जातियों को 10 फीसद आरक्षण देने की बात कही गई है. ये 1000 जातियां वो हैं, जिन्हें अब तक आरक्षण का लाभ नहीं मिला है.
Trending Photos
Bihar Politics: ओबीसी आरक्षण के उपवर्गीकरण के लिए गठित जी. रोहिणी कमीशन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. 2 अक्टूबर 2017 को इस आयोग का गठन किया गया था. आयोग ने अपनी रिपोर्ट ऐसे समय में दी है, जब कुछ ही महीनों में पांच राज्यों में विधानसभा और अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. आयोग ने 6 साल बाद अपनी रिपोर्ट दी है और इस आयोग का 14 बार कार्यकाल बढ़ाया गया था. आयोग की रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है.
बताया जा रहा है कि ओबीसी के 27 फीसद आरक्षण की कैटेगरी में शामिल सभी जातियों को इसका लाभ पहुंचाने के लिए आयोग ने इसकी 3 या 4 श्रेणियां बनाने की सिफारिश की है. आयोग की स्टडी में कहा गया है कि ओबीसी में 2633 जातियां शामिल हैं पर 1000 जातियों को तीन दशकों में एक बार भी आरक्षण का लाभ नहीं मिल सका है. सबसे बड़ा तथ्य यह है कि आरक्षण का आधा लाभ केवल 48 जातियों के खाते में आई हैं तो 70 फीसद का लाभ केवल 554 जातियों ने उठाया है.
ये भी पढ़ें: खेसारी ने तनुश्री के साथ किया पलंग तोड़ रोमांस, Video देखकर घर से बाहर नहीं जाएंगे!
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो आयोग ने ओबीसी आरक्षण कैटेगरी में तीन या चार श्रेणी बनाने का सुझाव दिया है. पहले सुझाव में तीन कैटेगरी बनाने और 1000 जातियों को 10 फीसद आरक्षण देने की बात कही गई है. ये 1000 जातियां वो हैं, जिन्हें अब तक आरक्षण का लाभ नहीं मिला है. एक अन्य सुझाव में चार श्रेणी बनाने को कहा गया है, जिसमें उल्लेख किया गया है कि कम लाभ से अधिक लाभ हासिल करने वाली जातियों के बीच क्रमशः 10, 9, 6 और 2 प्रतिशत आरक्षण देने का सुझाव दिया गया है.
रोहिणी आयोग ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है तो जाहिर है अब सबकी निगाहें पीएम नरेंद्र मोदी पर टिकी हैं. सबसे बड़ा सवाल यह है कि चुनाव से पहले क्या मोदी सरकार इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करेगी या स्वीकार करेगी. यूपी और बिहार में यादव को छोड़ बाकी ओबीसी जातियों को भाजपा समर्थक माना जाता है तो क्या भाजपा चुनाव से पहले इतना बड़ा रिस्क लेना चाहेगी. इस रिपोर्ट पर आगे बढ़ते ही जातीय जनगणना पर देशव्यापी मांग भी तेज हो सकती है.