उद्घाटन को 24 दिनों से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन ब्लड बैंक में अब तक 23 युनिट ब्लड ही स्टोर किया गया था. इस बीच ब्लड बैंक से केवल 13 यूनिट खून ही मरीजों को उपलब्ध कराया जा सका है.
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Supaul Blood Bank: बिहार के सुपौल जिले में लंबे इंतजार के बाद नवनिर्मित ब्लड बैंक उद्घाटन के बाद भी अब तक पूरी तरह क्रियाशील नही हो सका है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उद्घाटन को 24 दिनों से अधिक समय बीत चुका है. ब्लड बैंक में अब तक 23 युनिट ब्लड ही स्टोर किया गया था. इस बीच ब्लड बैंक से केवल 13 यूनिट खून ही मरीजों को उपलब्ध कराया जा सका है. हालांकि, शनिवार (8 जुलाई) को बैंक में महज 10 यूनिट खून उपलब्ध था.
इसको लेकर ब्लड बैंक के इंचार्ज बीएन झा ने बताया कि नवनिर्मित ब्लड बैंक का शुभारंभ बीते 14 जून को सूबे के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव एवं उर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव ने किया था. हालांकि, समुचित संसाधन नहीं होने के कारण 25 जून तक ब्लड बैंक से किसी को भी एक युनिट खून नही दिया जा सका था. उन्होंने कहा कि इसका मुख्य कारण ब्लड बैंक में रक्त का होने वाला पांच प्रकार का अनिवार्य टेस्ट नही होना था. जो 25 जून से शुरू हुआ. हालांकि अब भी यह टेस्ट किट के माध्यम से किया जा रहा है. जबकि यह जांच मशीन के माध्यम से किया जाना है.
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बीएन झा ने बताया कि ब्लड बैंक के विधिवत संचालन के लिए फंड भी आवंटित नही किया गया है. संसाधन उपलब्ध कराने के लिए विभाग को लिखा पत्र इसको लेकर सुपौल सदर अस्पताल में नवनिर्मित ब्लड बैंक के प्रभारी बीएन झा ने कहा कि हमलोगों ने 25 जून से विधिवत बैंक के माध्यम से मरीजों को खून उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है. बैंक में फंड एवं संसाधन की कमी है. जिसके लिए बीमसील को पत्र लिखा गया है. उम्मीद है कि जल्द ही फंड एवं संसाधन उपलब्ध करा दिया जाएगा.
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मोटे तौर पर ब्लड बैंक चालू है, लेकिन ब्लड बैंक के विधिवत संचालन के लिए फंड भी आवंटित नहीं किया गया है. दूसरी ओर सदर अस्पताल में पूर्व से चल रहा ब्लड स्टोरेज सेंटर भी अब तक संचालित है. मोहन झा ने कहा कि इस ब्लड बैंक की 500 यूनिट स्टोरेज क्षमता है, जहां अभी रक्त की कमी है. इसे दूर करने के लिए विभागीय स्तर से प्रयास कर जल्द ही जिले में रक्तदान के लिए मेगा ड्राइव चलाया जाएगा. इसमें जिले के विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों की मदद ली जाएगी. इससे ब्लड बैंक में रक्त की कमी नहीं रहेगी.
रिपोर्ट- मोहन प्रकाश