Valmikinagar Lok Sabha Seat: वाल्मीकिनगर संसदीय सीट से जेडीयू सांसद सुनील कुमार कुशवाहा तो दावेदार हैं ही, कांग्रेस प्रत्याशी परवेश मिश्रा भी ताल ठोकने की फिराक में हैं. वहीं चर्चा इस बात की है कि बाहुबली राजन तिवारी के भाई राजू तिवारी भी इस सीट से चुनाव लड़ने का मूड बना चुके हैं.
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Valmikinagar Lok Sabha Seat: 2009 के परिसीमन के बाद महर्षि वाल्मीकि की यह धरती बतौर लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में आई और उसके बाद से अब तक इस सीट पर एनडीए का ही कब्जा रहा है. इस सीट से अभी जेडीयू के सुनील कुमार कुशवाहा सांसद हैं. जेडीयू के पूर्व सांसद वैद्यनाथ प्रसाद महतो के निधन के बाद 2020 में इस सीट पर उपचुनाव हुए थे. तब जेडीयू एनडीए के साथ थी और उसके उम्मीदवार सुनील कुमार कुशवाहा ने यहां से जीत हासिल की थी. अब जेडीयू एनडीए छोड़ इंडिया ब्लॉक में शामिल हो गई है. वोटरों के लिहाज से बात करें तो नेपाल और यूपी से सटे इस सीट पर ब्राह्मण वोटर निर्णायक हैं. वहीं थारू जनजाति, कुशवाहा, मुसलमान और यादव वोटर्स की आबादी भी ठीकठाक है. अभी तक ज्यादातर राजनीतिक दल यहां से ब्राह्मण और कुशवाहा वोटरों पर ही दांव आजमाते रहे हैं.
2020 के उपचुनाव में मुख्य मुकाबला एनडीए उम्मीदवार सुनील कुमार कुशवाहा और कांग्रेस उम्मीदवार परवेश मिश्रा के बीच हुआ था. इस बार देखना होगा कि यह सीट जेडीयू के खाते में आती है या फिर कांग्रेस के. दोनों दल इस समय इंडिया ब्लॉक में शामिल हैं. उधर, एनडीए की बात करें तो भाजपा के अलावा चिराग पासवान की पार्टी लोजपा और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल की भी इस सीट पर नजर है. जो भी इस बार का मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है. अगर कांग्रेस इस सीट से चुनाव लड़ती है तो देखना होगा कि जेडीयू के वोटर उसका साथ देते हैं या नहीं. एनडीए में इस तरह की कोई समस्या है ही नहीं, क्योंकि यहां से परंपरागत रूप से एनडीए प्रत्याशी ही जीतता आ रहा है.
2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो यहां से भाजपा प्रत्याशी सतीश चंद्र दुबे ने जीत हासिल की थी. 2019 में यह सीट जेडीयू के खाते में चली गई और पहले वैद्यनाथ प्रसाद महतो जीते और उनके निधन के बाद 2020 के उपचुनाव में सुनील कुमार कुशवाहा ने जीत हासिल की थी. 2019 और 2020 में कांग्रेस ने यहां ब्राह्मण कार्ड खेला था और क्रमश: शाश्वत केदार और परवेश मिश्रा को उम्मीदवार बनाया था लेकिन वे जीत नहीं पाए. 2019 में वैद्यनाथ प्रसाद महतो को 54 प्रतिशत वोट हासिल हुए तो 2020 में सुनील कुमार कुशवाहा ने 22 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी.
वाल्मीकिनगर संसदीय क्षेत्र में 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं- रामनगर, नरकटियागंज, बगहा, वाल्मीकिनगर, सिकटा और लौरिया. इनमें से अभी 4 पर भाजपा का कब्जा है. एक सीट जेडीयू और एक सीट भाकपा माले के खाते में है. रामनगर, बगहा, लौरिया और नरकटियागंज में भाजपा उम्मीदवारों की जीत हुई थी तो वाल्मीकिनगर में जेडीयू और सिकटा में भाकपा माले प्रत्याशी जीता था.
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जेडीयू के इंडिया ब्लॉक में शामिल होने के बाद भी यह सीट उसी के खाते में जाने की संभावना है. हालांकि कांग्रेस भी यह सीट अपने पास रखना चाहेगी लेकिन जिस तरह से नीतीश कुमार ने इंडिया ब्लॉक पर दबाव बनाया हुआ है और कांग्रेस को कोई माइलेज देने के मूड में नहीं दिख रहे, उससे लगता है कि कांग्रेस की यहां दाल नहीं गलने वाली.
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एनडीए की बात करें तो इस सीट पर चिराग पासवान की पार्टी की निगाहें गड़ी हुई हैं तो उपेंद्र कुशवाहा भी यहां से दावा ठोक सकते हैं. भाजपा चूंकि यह सीट जेडीयू को देती आई है तो हो सकता है इस बार भी यह सीट सहयोगी दलों को ही दे. देखना होगा कि लोजपा रामविलास या रालोजद, किसके खाते में सीट आती है. लोजपा रामविलास की ओर से अंदरखाने राजू तिवारी की तैयारी भी शुरू हो गई है. राजू तिवारी बाहुबली राजन तिवारी के भाई हैं और इस सीट से भाग्य आजमाने की फिराक में हैं. उधर, कुशवाहा वोटरों की बड़ी तादाद के चलते उपेंद्र कुशवाहा यहां लालल भरी निगाहों से देख रहे हैं. देखना यह है कि भाजपा वाल्मीकिनगर सीट खुद लड़ती है या किसी के हवाले करती है.