Bihar Politics: लालू यादव, नीतीश कुमार और अरविंद केजरीवाल में सबसे बड़ा नेता कौन?
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Bihar Politics: लालू यादव, नीतीश कुमार और अरविंद केजरीवाल में सबसे बड़ा नेता कौन?

Bihar Politics: लालू यादव और नीतीश कुमार की अपेक्षा अरविंद केजरीवाल काफी आगे निकल चुके हैं. उनकी पार्टी ने 10 साल के भीतर ही राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल कर लिया है. जबकि आरजेडी या जेडीयू को यह कामयाबी अभी तक नहीं मिली और इसके आसार भी नजर नहीं आ रहे हैं.  

लालू-नीतीश-केजरीवाल
Bihar Politics: 'मोदी सरकार बहुत कमजोर है, अगस्त में सरकार गिर जाएगी...' अगस्त तो गुजर गया और राजद सुप्रीमो लालू यादव के तमाम दावों के विपरीत अभी तक केंद्र की मोदी सरकार बड़े आराम से चल रही है. लालू जो कहते हैं, जरूरी नहीं कि वह सच हो ही जाए, पर उनकी बातों पर लोग भरोसा जरूर कर लेते हैं. वे भी समय-समय पर ऐसे शिगूफे छोड़ते रहे हैं. उनके इस शिगूफों में कई बार विरोधियों की नींद उड़ा चुके हैं. 2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने शिगूफा छोड़ा कि बीजेपी आरक्षण खत्म कर देगी. उनकी इस बात पर बिहार के लोगों ने भरोसा भी किया और बीजेपी को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी थी. इस बार के लोकसभा चुनाव के दौरान लालू ने संविधान बदलने का शिगूफा छोड़ा, जिसे इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने पूरे देश में फैला दिया था. बीजेपी को इससे नुकसान भी झेलना पड़ा. इतनी जबरदस्त लोकप्रियता के बावजूद लालू यादव अपनी पार्टी आरजेडी को बिहार के बाहर नहीं खड़ा कर पाए. झारखंड में जेएमएम और कांग्रेस के सहयोग से उन्हें थोड़ी बहुत सीटें जरूर मिल जाती हैं. 
 
बिहार के ही दूसरे नेता हैं- नीतीश कुमार. भारतीय राजनीति नीतीश बाबू हमेशा से ही अबूझ पहेली बने रहे हैं. वह कब-क्या करेंगे, इसकी जानकारी किसी को नहीं रहती. पॉलिटिकल पंडितों ने जब-जब नीतीश कुमार को कमतर आंका, वह और ताकतवर होकर उभरे. इस लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने टूकड़ों में बिखरे विपक्ष को एकजुट करके दिखाया. हालांकि, जब उसी इंडिया ब्लॉक में उन्हें सम्मान नहीं मिला तो वापस एनडीए में आ गए. सभी उन्हें एनडीए की सबसे कमजोर कड़ी मान रहे थे, लेकिन जब रिजल्ट आया तो सभी चौंक गए. जेडीयू किंगमेकर की भूमिका में निकलकर सामने आई. उनके पलटने वाली आदत से विपक्ष खुश हो गया और उन्हें अपनी तरफ मिलाने की कोशिश में जुटा है, लेकिन नीतीश बाबू भी फेविकोल के अटूट जोड़ की तरह पीएम मोदी के साथ खड़े हुए हैं. नीतीश कुमार ने दो बार पीएम बनने की कोशिश में बीजेपी से नाता तोड़ा, लेकिन वापस एनडीए में ही आना पड़ा. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू भी राष्ट्रीय पार्टी नहीं बन सकी.
 
 
वहीं अरविंद केजरीवाल को बहुत जल्दी ही कामयाबी के शिखर तक पहुंचने में सफलता हासिल हुई. केजरीवाल ने अपने पहले चुनाव में ही सीएम बनने का कीर्तिमान स्थापित किया. हालांकि, इस दौरान कांग्रेस का समर्थन था. जल्द ही गठबंधन टूटा और फिर से चुनावी मैदान में उतरे और आम आदमी पार्टी को प्रचंड जीत हासिल हुई. इसके बाद से केजरीवाल ने पीछे मुडकर नहीं देखा. आज दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी की पूर्ण बहुमत के साथ सरकार है. महज 10 साल के अंदर ही आप को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल गया.  इस तरह से लालू और नीतीश से केजरीवाल कही बड़े नेता नजर आ रहे हैं. हालांकि, वर्तमान समय में उनकी पार्टी के तमाम नेता शराब घोटाले में फंसे हुए हैं. इस घोटाले में खुद केजरीवाल जेल में हैं और वहीं से अपनी सरकार चला रहे हैं. मनीष सिसोदिया और संजय सिंह जमानत पर बाहर आ गए हैं.
 
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