Jharkhand: पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत, कोर्ट ने दिया ये आदेश
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Jharkhand: पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत, कोर्ट ने दिया ये आदेश

एनटीपीसी जमीन अधिग्रहण के खिलाफ प्रदर्शन में हुए गोलीकांड मामले में आज झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान जस्टिस आर मुखोपाध्याय और जस्टिस अंबुज नाथ की खंडपीठ ने योगेंद्र साव की अर्जी स्वीकार करते हुए जमानत दे दी.

(फाइल फोटो)

रांची: पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने साव की जमानत अर्जी स्वीकार कर ली है, जिससे अब उनके जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है. जानकारी के अनुसार, योगेंद्र साव पिछले 4 साल से जेल में बंद हैं. उन पर चिरुडीह में जमीन अधिग्रहण के दौरान हुए हिंसा से जुड़ा मामला दर्ज है जिसमें उन्हें 10 साल की सजा हुई है.

  1. पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को बड़ी राहत
  2. कोर्ट ने साव को दी जमानत

दरअसल, एनटीपीसी जमीन अधिग्रहण के खिलाफ प्रदर्शन में हुए गोलीकांड मामले में आज झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान जस्टिस आर मुखोपाध्याय और जस्टिस अंबुज नाथ की खंडपीठ ने योगेंद्र साव की अर्जी स्वीकार करते हुए जमानत दे दी.

बहस के दौरान साव के वकील शुभाशीष रसिक सोरेन ने न्यायालय को बताया कि इस मामले में पूर्व मंत्री योगेंद्र साव घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे. इसलिए बेल की सुविधा मिलनी चाहिए.

जानकारी के अनुसार, पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को निचली अदालत से इस मामले में 10 साल की सजा सुनाई गई है, जिसके खिलाफ उनकी ओर से अपील दाखिल की गई थी. अपील के साथ-साथ उनकी तरफ से जमानत देने की भी गुहार लगाई गई थी. जिस पर आज सुनवाई हुई और कोर्ट ने उन्हें बड़ी राहत दी.

कौन हैं योंगेंद्र साव?
कांग्रेस नेता योगेंद्र साव झारखंड सरकार में कृषि मंत्री रह चुके हैं. उन्होंने 2009 से 2014 झारखंड विधानसभा में बड़कागांव निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधि किया था. उन पर 2001 में 13 ग्रामीणों की हत्या और मृतकों के सिर के साथ फुटबॉल खेलने में शामिल होने का आरोप है. 

इस मामले में उन्हें 5 अक्टूबर 2014 को गिरफ्तार किया गया था. अप्रैल 2019 में उन्होंने रांची की एक अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया, जहां उन्हें उनकी सशर्त जमानत रद्द करने के साथ हिरासत में भेज दिया गया. उन पर दंगा और हिंसा भड़काने से संबंधित कई मामले दर्ज हैं.

(इनपुट-कामरान जलीली)

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