Garhwa: FCI अधिकारियों की मनमानी से किसान परेशान, CM के आदेशों का भी असर नहीं
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Garhwa: FCI अधिकारियों की मनमानी से किसान परेशान, CM के आदेशों का भी असर नहीं

Garhwa Samachar: गढ़वा में एफसीआई की मनमानी से किसान परेशान हैं. आलम ये है कि एफसीआई के अधिकारी जिला के किसी स्तर के अधिकारियों की बात नहीं मान रहे हैं.

FCI अधिकारियों की मनमानी से किसान परेशान. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Garhwa: गढ़वा जिले के धान क्रय केंद्रों पर धान सड़ रहे हैं और अपनी मेहनत की कमाई को बचाने के लिए परेशान किसान हर मुमकीन कोशिश करने में जुटे हैं. यहां एक नहीं करीब 14 धान क्रय केंद्रों पर एक जैसा मंजर है. पिछले एक महीने से धान की खरीदी बंद किए जाने से परेशान किसान आंदोलन करने को विवश हो गए हैं. लेकिन उनके आंदोलन का एफसीआई के अधिकारियों पर कोई असर नहीं हो रहा है.

किसानों के बुरे हालात को लेकर एक सामाजिक कार्यकर्ता ने मुख्यमंत्री को ट्वीट भी किया. जिसके जवाब में सीएम ने किसी भी सूरत में ऐसी व्यवस्था बर्दाश्त नहीं करने और इलाके के डीसी को तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया. लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री की बातों को भी FCI के अधिकारी अनसुना कर रहे हैं.

वहीं, राज्य के मंत्री के बुलावे पर भी धान क्रय केंद्र के अधिकारी बैठकों में नहीं पहुंच रहे हैं. इसको लेकर सूबे के पेयजल स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कार्रवाई करने तक की चेतावनी दी है लेकिन नतीजा सिफर है और आज किसानों के धान क्रय केंद्र पर रखे अनाज सड़ रहे हैं.

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इधर, FCI अधिकारियों की मनमानी के कारण जिला आपूर्ति पदाधिकारी भी परेशान हैं. जिला आपूर्ति पदाधिकारी बृजेन्द्र कुमार ने कहा कि उनकी बातों को भी FCI के अधिकारी अनसुना कर दे रहे हैं.

अधिकारियों की मनमानी का किसानों पर बुरा असर हो रहा है. कांडी प्रखण्ड के घटुवाकला गांव में किसानों के घर में पड़े-पड़े धान के बोरों से अब अंकुर निकलने लगे हैं. किसान अपने-अपने धान को दूसरे बोरे में पलट रहे है, कोई अंकुर को हटा रहा है तो कोई भीगे धान को सूखा रहा है. किसानों का ये हाल FCI द्वारा धान खरीदी बंद किए जाने के कारण हुआ है. कुछ किसान तो बिचौलिए के द्वारा औने-पौने दाम पर धान की फसल बेचने को मजबूर हैं.

बता दें कि झारखंड में गढ़वा, पलामू और चतरा ये तीनों जिले सूबे के 35 प्रतिशत धान की पैदावार करते हैं और इन तीनों जिलों में ही एफसीआई धान की खरीदी करती है. प्रदेश के बाकी जिलों में पैक्स के द्वारा धान की खरीदारी होती है. ऐसे में यहां के किसान अब अपनी मेहनत की कमाई को बचाने की गुहार लगा रहे हैं.

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