Jharkhand Police: सहायक पुलिसकर्मियों की सेवा में तत्काल एक महीने का विस्तार देने का आदेश जारी किया है. पूर्वी सिंहभूम सहित कई जिलों में सहायक पुलिसकर्मियों की सेवा समाप्त करने का आदेश जारी किया था.
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रांची: झारखंड के नक्सल प्रभावित पांच जिलों में कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे सहायक पुलिसकर्मियों की सेवा समाप्त करने का आदेश सरकार ने तात्कालिक तौर पर वापस ले लिया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का ने गुरुवार को सहायक पुलिसकर्मियों की सेवा में तत्काल एक महीने का विस्तार देने का आदेश जारी किया है. पत्र में कहा गया है कि इस दौरान सहायक पुलिसकर्मियों की मांगों पर निर्णय लिया जायेगा.
कई जिलों में सेवा समाप्त करने का आदेश
इसके पहले दुमका, पूर्वी सिंहभूम सहित कई जिलों में सहायक पुलिसकर्मियों की सेवा समाप्त करने का आदेश जारी किया था. अलग-अलग जिलों में जारी इससे संबंधित आदेशों की प्रतियां गुरुवार सुबह वायरल होते ही इसपर तीव्र विरोध शुरू हो गया. राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा के नेताओं और सहायक पुलिसकर्मियों के संगठन ने सेवा समाप्त करने के आदेश पर तीखी प्रतिक्रियाएं व्यक्त कीं. पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि सहायक पुलिस में गांव-देहात के बच्चे शामिल किए गए थे. झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ अभियान को लेकर इनकी नियुक्तियां की गयी थीं. लेकिन इस सरकार ने इनकी सेवा खत्म कर साबित कर दिया है कि वह युवाओं और गरीबों की विरोधी है.
यह जनता की सरकार है,जन सरोकारों की सरकार है……जिसका मुखिया एक सम्वेदनशील व्यक्ति है,जो सबकी सुनता है और सबके अच्छे के लिए ना सिर्फ़ सोचता है बल्कि उसे मूर्त रूप देने का हर न्यायसंगत प्रयास भी करता है।
साधुवाद माननीय @HemantSorenJMM जी. https://t.co/Dug3FDoepZ
— Mithilesh Kumar Thakur (@MithileshJMM) August 11, 2022
माना जा रहा है कि चौतरफा विरोध को देखते हुए सरकार ने तात्कालिक तौर पर इनकी सेवा में एक माह का विस्तार देने और इस दौरान उनकी मांगों पर निर्णय लेने का नया आदेश जारी किया है.
2500 सहायक पुलिसकर्मी अनुबंध पर कार्यरत
राज्य के 12 नक्सल प्रभावित जिलों में फिलहाल अनुबंध पर 2500 सहायक पुलिसकर्मी कार्यरत हैं. इनकी नियुक्ति पूर्ववर्ती रघुवर दास की सरकार के कार्यकाल में 2017 में हुई थी. इन्हें प्रतिमाह 10 हजार रुपये बतौर मानदेय मिलता है. हालांकि इनकी नियुक्ति के समय गृह विभाग ने जो नियमावली बनाई थी, उसमें कहा गया था कि इनकी सेवा अधिकतम पांच साल तक ली जायेगी. यह अवधि अब पूरी हो गयी है. विभिन्न जिलों के पुलिस अधीक्षकों ने बीते दिनों इसे लेकर राज्य सरकार से दिशा-निर्देश की मांग की थी. सरकार की ओर से कोई निर्देश न मिलने पर कई जिलों के पुलिस अधीक्षकों ने पूर्व के आदेश के अनुसार इनकी सेवा समाप्त करने की चिट्ठी निकाल दी.
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सेवा को स्थायी करने के लिए आंदोलन
गौरतलब है कि इसके पहले बीते वर्ष सितंबर में राज्य भर के सहायक पुलिसकर्मियों ने अपनी सेवा को स्थायी करने और मानदेय में वृद्धि की मांग को लेकर लंबा आंदोलन किया था. रांची के मोरहाबादी मैदान में उन्होंने लगातार 37 दिनों तक धरना दिया था. तब राज्य सरकार ने उनके साथ वार्ता कर आंदोलन खत्म कराया था. सरकार ने आश्वस्त किया था कि सीधी स्थायी नियुक्ति की मांग को छोड़ कर उनकी अन्य मांगों के समाधान के लिए एक उच्चस्तरीय समिति बनायेगी. हालांकि आठ महीने बाद इसपर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है. फिलहाल गुरुवार को इन्हें एक महीने का अवधि विस्तार देने का आदेश तो जारी कर दिया गया है, लेकिन अंतिम तौर पर निर्णय लिया जाना बाकी है.
(आईएएनएस)