झारखंड का गढ़वा और लातेहार जिला के बीच बूढ़ा पहाड़ ही एक ऐसा पहाड़ था जो भाकपा माओवादियों का गढ़ माना जाता था, लेकिन बुधवार को गढ़वा के पुलिस अधीक्षक पुलिस और सीआरपीएफ की टीम के साथ बूढ़ा पहाड़ की चोटी पर पहुंच गए.
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रांचीः झारखंड और छत्तीसगढ़ पुलिस के लिए दशकों से चुनौती बना बूढ़ा पहाड़ अब पूरी तरह से भाकपा माओवादी नक्सलियों से मुक्त हो चुका है. बुधवार को जिले के पुलिस कप्तान अंजनी झा और सीआरपीएफ 172 बटालियन के जवानों ने बूढ़ा पहाड़ की चोटी पर पहुंच यह अहसास दिलाया की अब इस क्षेत्र में नक्सलियों का नामोनिशान नहीं है.
क्या है पूरा मामला
झारखंड का गढ़वा और लातेहार जिला के बीच बूढ़ा पहाड़ ही एक ऐसा पहाड़ था जो भाकपा माओवादियों का गढ़ माना जाता था, लेकिन बुधवार को गढ़वा के पुलिस अधीक्षक पुलिस और सीआरपीएफ की टीम के साथ बूढ़ा पहाड़ की चोटी पर पहुंच गए. सुरक्षा बल के इस कामयाबी पर पूरे क्षेत्र में अब शांति का माहौल है. माओवादियों के हौशले को सुरक्षाबलों ने कुचलने का काम किया है. भविष्य में अगर यहां फिर से नक्सली आते है तो उससे निपटने का कार्य सुरक्षा बल करेगा.
अब बूढ़ा पहाड़ पर पुलिस का कब्जा
पुलिस अधीक्षक अंजनी कुमार झा ने बताया कि अब पूरी तरह बूढ़ा पहाड़ गढ़वा पुलिस के कब्जे में है. वहीं दूसरी तरफ लातेहार पुलिस की टीम मोर्चा संभाले हुए है. गढ़वा पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में सुरक्षा बल बूढ़ा पहाड़ के हर तरफ सर्च ऑपरेशन चला रही है. सुरक्षा बल ये जांच कर रहे हैं कि कहीं नक्सलियों ने किसी तरह का कोई लैंड माइंस तो नहीं लगाया है. उन्होंने दावा किया है की अब यह क्षेत्र शैलानियों के लिए भी बहुत जल्द खूबसूरत जगह बनने वाला है.
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