Jharkhand Samachar: झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा, 'मरीजों के परिजन ब्लैक में ऑक्सीजन खरीदे थे, सेंट्रल का ऑक्सीजन पर कब्जा था और संसद में आप खड़े होकर कहते हैं कि ऑक्सीजन से एक भी मौत नहीं हुई है.'
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Ranchi: कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मौत की वजहों को लेकर सियासत जारी है. बता दें कि ये सियासत केंद्र सरकार के संसद में दिए गए उस जवाब के बाद शुरू हुई है जिसमें केंद्र ने दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से मौत की जानकारी राज्यों से नहीं मिलने की बात कही थी. केंद्र के जवाब के बाद से विपक्षी दल हमलावर हैं.
दूसरी लहर में मौत की वजह पर सवाल
बता दें कि कोरोना (Corona) की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों पर केंद्र सरकार का जवाब विपक्ष को नागवार गुजरा है. दरअसल, केंद्र सरकार ने मंगलवार को एक सवाल के जवाब में राज्यसभा में बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश में ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत की जानकारी राज्यों की ओर से नहीं दी गई है. सरकार ने ये भी कहा कि दूसरी लहर में पहली लहर की तुलना में ऑक्सीजन की डिमांड काफी बढ़ गई थी.
वहीं, केंद्र के संसद में दिए जवाब को झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य (Supriyo Bhattacharya) ने झूठ करार दिया है, उन्होंने कहा, 'मरीजों के परिजन ब्लैक में ऑक्सीजन खरीदे थे, सेंट्रल का ऑक्सीजन पर कब्जा था और संसद में आप खड़े होकर कहते हैं कि ऑक्सीजन से एक भी मौत नहीं हुई है.'
JMM के केंद्रीय महासचिव यहीं नहीं रुके, उन्होनें बीजेपी (BJP) पर आरोप लगाते हुए कहा कि 'केंद्र की सरकार राज्य सरकार को बंधुआ मजदूर बना रखी है.'
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सरकार के जवाब से सियासत को 'संजीवनी'
वहीं, झारखंड बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता अमित सिंह ने कहा, 'जब कोरोना की दूसरी लहर थी तो राज्य सरकार ने बार-बार कहा था कि हमारे यहां ऑक्सीजन की किल्लत है और केंद्र सरकार मदद नहीं कर रही है, लेकिन आज केंद्र सरकार ने रिपोर्ट को सामने रख दिया और इनकी सच्चाई सामने आ गई.'
झारखंड में ऑक्सीजन से मौत के मामले नहीं आए सामने- अरूण कुमार
ऑक्सीजन की किल्लत से मौत को लेकर एक ओर जहां सियासत चरम पर है तो वहीं झारखंड सरकार ने ऑक्सीजन की कमी से मौत के मामले से इनकार किया है. झारखंड के अपर मुख्य स्वास्थ्य सचिव अरूण कुमार ने कहा, 'हमारे राज्य में ऑक्सीजन की कमी से मौत का मामला प्रकाश में नहीं आया है. हमनें ऑक्सीजन की सप्लाई सुनिश्चित की, संजीवनी वाहन चलाया, जिससे कि किसी भी अस्पताल को अगर ऑक्सीजन की कमी लगती है तो तुरंत उपलब्ध कराई जा सके.'
उन्होनें ऑक्सीजन के कुशल प्रबंधन की बात करते हुए कहा, 'संजीवनी वाहन भी स्टैंडबाय ही रह गया. कोई खास यूज नहीं हो पाया. हमारा ऑक्सीजन का बैंक भी हमारे यहां के अस्पतालों ने प्रोपर मेंटेन किया. ऑक्सीजन टास्क फोर्स ने भी हमारे यहां सुचारू रूप से काम किया. हमारे यहां ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट है, ये हमारे लिए फक्र की बात है. जिससे कि झारखंड ने संकट काल में 15 राज्यों को ऑक्सीजन की आपूर्ति भी की.'
ऐसे में जाहिर है कि जिन राज्यों ने कोरोना काल में दूसरे राज्यों को ऑक्सीजन की आपूर्ति की वहां ऑक्सीजन की कमी से मृत्यु नहीं होने की बात अगर की जाती है तो ये समझा जा सकता है, लेकिन पूरे देश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरन ऑक्सीजन की किल्लत से मौत नहीं होने की दलील समझ से परे है और यही वजह है कि विपक्ष केंद्र सरकार के जवाब पर सवाल खड़े कर रहा है.