Maa Mansa Puja: रोहिणी नक्षत्र के समय गांव के लोग पूजा पाठ कर खेतों और जंगलों से विषैले कोबरा सांपों की खोज में जुट जाते हैं. पूजा में भाग लेने के लिए झारखंड,पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और बिहार के कई जिलों से लोग आते हैं.
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घाटशिला: झारखंड के घाटशिला का एक ऐसा गांव है, जहां ग्रामीण विषैले सांपो को जंगलो से पकड़कर कर अपने घरों में पालते हैं और सांपो की देवी मां मानसा की पूजा अर्चना कर गांवों को हर आपदा से बचाने की मन्नतें मांगतें हैं. हम बात कर रहे हैं घाटशिला के धालभूमगढ़ प्रखण्ड के मोहलीसोल गांव की. जहां लगभग 300 सालों से यह परंपरा चली आ रही है.
विषैले सांप डंसते रहते हैं
परम्परा के अनुसार रोहिणी नक्षत्र के समय गांव के लोग पूजा पाठ कर खेतों और जंगलों से विषैले कोबरा सांपों की खोज में जुट जाते हैं और एक एक कर कई विषैले सांपों को पकड़कर अपने घरों में लाकर रखते हैं. महीनो तक इन सांपों को खिलाया पिलाया जाता है और उनकी सेवा की जाती है. जिसके बाद गांव में आयोजित होने वाले मनसा पूजा के अवसर पर दर्जनों विषैले सांपो को अपने हाथों में लेकर ग्रामीण उस्ताद लकड़ी के बनाये रथ पर सवार होकर खुले बदन इन सांपो को अपने ऊपर छोड़ देते हैं. इस दौड़ान ये विषैले सांप इनके शरीर को डंसते रहते हैं. घाटशिला के मोहली शोल गांव में आयोजित होने वाले इस मनसा पूजा को लेकर यहां के लोगों का आस्था और विश्वास का अंदाजा इस अवसर पर जुटे महिला-पुरुषों और बच्चों की भीड़ से लगाया जा सकता है.
मां मनसा की पूजा अर्चना
बताया जाता है की गांव में आयोजित इस मनसा पूजा में भाग लेने के लिए झारखंड,पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और बिहार के कई जिलों से लोग आते हैं. गांव में इस बार भी मां मनसा की पूजा धूमधाम के साथ की गयी. इस मौके पर गांव के भक्तों ने गांव में स्थित मनसा मंदिर में पारंपरिक विधि-विधान के साथ नाग देवता और मां मनसा की पूजा अर्चना की गई. विषैले सांपों को लेकर झापान यात्रा के लिए बनाए गए रथ की परिक्रमा कर गांव के चयनित किए गए उस्तादों को चढ़ाकर उनके हाथों में इन विषैले सांपों को दिया गया.
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सांप हमारे जीवन का हिस्सा
पवित्र तालाब में इन सांपों को नहलाया गया और पूजा पाठ कर कलश में जल भरकर मंदिर लाया गया जहां पर नाग देवताओं के साथ मां मनसा पूजा की प्राण प्रतिष्ठा की गई और देर रात मंगल गीत और मनसा मंगल गाया गया.
इस गांव में आयोजित इस अनूठे पूजा कार्यक्रम झापान को लेकर पूजा कमेटी के सदस्यों ने बताया कि झापान में विषधर सांपो को लेकर गले में डालकर यह प्रदर्शन किया जाता है, और यह संदेश दिया जाता है कि सांप भी हमारे जीवन का ही हिस्सा है. इसके साथ जैसा व्यवहार किया जाएगा यह भी उसी तरह का व्यवहार करता है. ग्रामीणों ने बताया कि आज भी जड़ी बूटी से सांप के विष से बचा जा सकता है. जड़ी बूटी से ही दवा बनती है और जड़ी बूटी के गुणी ही सांपों को लेकर प्रदर्शन करते हैं.
इनपुट- रणधीर कुमार सिंह