एनएचएम में इन पदों के तबादलों से प्रभावित हो रहा काम, जानें कौन है नए निदेशक
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar1347594

एनएचएम में इन पदों के तबादलों से प्रभावित हो रहा काम, जानें कौन है नए निदेशक

एनएचएम का मुख्य उद्देश्य न्यायसंगत, सस्ती और गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य सेवाएं सभी लोगों मुहैया कराना है. दरअसल, झारखंड में परियोजना निदेशकों के बार-बार तबादले से कई प्रकार की योजनाएं भी प्रभावित हो रही है. 

एनएचएम में इन पदों के तबादलों से प्रभावित हो रहा काम, जानें कौन है नए निदेशक

रांची : एनएचएम का मुख्य उद्देश्य न्यायसंगत, सस्ती और गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य सेवाएं सभी लोगों मुहैया कराना है. दरअसल, झारखंड में परियोजना निदेशकों के बार-बार तबादले से कई प्रकार की योजनाएं भी प्रभावित हो रही है. बता दें कि कोरोना दौर के समय दो साल में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन झारखंड (जेएनएचएम) में अब तक पांच परियोजना निदेशकों का तबादला हो चुका है. साथ ही बता दें कि डॉ भुवनेश प्रताप सिंह ने छठे निदेशक के रूप में अपनी नई जिम्मेदारी संभाली है.

इन कारण स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ता है असर
बता दें कि वह बतौर प्रभारी निदेशक अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इधर, लगातार तबादलों के कारण कोरोना काल में सेवा देनेवाली देश की बड़ी कंपनियों को करोड़ों रुपये का भुगतान नहीं हुआ है. यहां कारण है कि अब कंपनियां सप्लायरों को दो टूक जवाब देने लगी हैं कि वह झारखंड में सेवाएं नहीं दे सकती हैं. ऐसे में स्वास्थ्य सेवाओं पर असर पड़ सकता है. साथ ही बता दें कि तबादला के बाद जिस भी नये परियोजना निदेशक ने योगदान दिया, उसने पुरानी फाइलों को किनारे कर दिया. नतीजा यह हुआ कि दो साल गुजरने के बाद भी फाइलें अभी भी पड़ी हुई हैं. राज्य के एक बड़े सप्लायर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि कोरोना काल में जिन कंपनियों को कार्यादेश दिया गया.

तय समय सीमा पर नहीं होता है पैसा भुगतान
बता दें कि बकायदा निविदा से चयनित होने के बाद जांच किट, दवा और मशीनों की आपूर्ति की है. साथ ही उनको तय समय सीमा में पैसा भुगतान का आश्वासन मिला था. वहीं पैसा का भुगतान नहीं होने से नयी निविदा भी आमंत्रित नहीं हो पा रही है. कुछ निविदाओं को आमंत्रित भी किया जाता है, तो उनमें कंपनियां भाग नहीं ले रही हैं.

स्वास्थ्य सेवाओं के प्रोजेक्ट पर भी पड़ा है असर
बता दें कि स्वास्थ्य सेवाओं में कई कंपनियों द्वारा प्रोजेक्ट पर काम किया जाता है, लेकिन अब वह काम नहीं कर रही हैं. प्रोजेक्ट बीटा थैलेसिमिया (गर्भवती महिलाओं की जांच) की जांच में काम करने वाली कंपनी ने काम नहीं हुआ है. यहीं नहीं इसके अलावा भी कई प्रोजेक्ट पर काम रुका हुआ है.

ये भी पढ़िए- जिहादियों के आगे नतमस्तक है झारखंड सरकार : सीपी सिंह

Trending news