झारखंड विधानसभा में आज शीतकालीन सत्र के पहला दिन था, जहां शौक प्रार्थना के बाद सत्र को स्थगित किया गया. इसी बीच विपक्ष ने शोक प्रार्थना के दौरान साहेबगंज के मामले को उठाते हुए, आरोपियों को फांसी की सजा के साथ मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग भी की.
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रांचीः झारखंड विधानसभा में आज शीतकालीन सत्र के पहला दिन था, जहां शौक प्रार्थना के बाद सत्र को स्थगित किया गया. इसी बीच विपक्ष ने शोक प्रार्थना के दौरान साहेबगंज के मामले को उठाते हुए, आरोपियों को फांसी की सजा के साथ मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग भी की.
साहिबगंज मर्डर केस पर हेमंत सोरेन ने दिया बयान
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि मुझे लगता है कि आप लोगों को चर्चा कर बताएं जो झारखंड में विपक्ष हैं. किस तरह की राजनीति कर रहा है, मुझे लगता हैं कि शोक प्रस्ताव में जिन लोगों का नाम था, उनके पति उनकी श्रद्धा सुमन किस तरह से देखने को मिला, वह आप सब को भी देखने को मिला, देश में कई घटनाएं रोज होती है, जिस तरीके से विपक्ष घटना पर रोटी सेक रहा है, बाकी जो नामचीन लोग हैं, इन लोगों ने उनका मजाक उड़ाया है, साहिबगंज में जो घटना हुई, क्या दिल्ली में घटना नहीं हुई, मध्यप्रदेश में घटना नहीं हुई, घटना होती है और निश्चित रूप से मुझे लगता है. आज के दिन में जिस तरह घटना हो रही है. हर समाज के लिए एक चिंता का विषय है, ऐसा क्यों हो रहा है, यह भी एक चर्चा का विषय है और उसका समाधान कैसे हो यह भी चर्चा का विषय है, हर वर्ग हर समाज के लिए चिंता का विषय है, इस तरह की घटना वर्तमान राज्य में घर बनाने काम कर रही है, उसे कुचलने का पुरजोर प्रयास होना चाहिए, हर लोग मिलकर ऐसी घटनाओं को लेकर अपनी प्रतिक्रिया बातों को जो बिल्कुल लोकतंत्र में इसकी जगह नहीं है, उसे पनपने न दें.
'विपक्ष ने किया उनका अपमान'
आलमगीर आलम ने कहा कि विधानसभा का सत्र चलता है. सबका समय अलग-अलग है, मगर आज शोक प्रस्ताव के लिए होता है, इस तरह की बात नहीं होनी चाहिए थी. अगर विपक्ष ने उनका अपमान किया है. विपक्ष ने जो बात रखी अध्यक्ष ने भी उस बात को माना, बावजूद विपक्ष इस तरह का आज कार्य की है. अब विधानसभा के लिए अपमानजनक है जो घटना हुई है. उसके लिए विपक्ष के साथ सत्ताधारी भी काफी दुख जता रही है. अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा, अपराधी का किसी जाति का नहीं होता, दोषी को बख्शा नहीं जाएगा.
'श्रद्धांजलि देने की जगह किया अपमान'
कांग्रेस की विधायक दीपिका पांडे ने कहा कि इस घटना की निंदा सदन के बाहर और सदन के अंदर हम लोगों ने किया, लेकिन जो तमाशा विपक्ष ने सदन के अंदर आज किया है. उन सम्मानित नेताओं को श्रद्धांजलि देने की जगह अपमान किया गया. यह मुद्दा तो खत्म होने वाला नहीं था. वह कल भी हो सकता था. इस घटना से सिफ विपक्षी नहीं सत्ताधारी भी आहत है और आरोपियों को जल्द से जल्द कैसे फांसी की सजा हो, वह सरकार पहल कर रही है. मगर सदन में मर्यादा का अपमान करना विपक्ष ठीक नहीं कर रही है, विपक्ष ने जो बात रखी सदन समस्त था और अध्यक्ष ने भी नाम जोड़ने की बात कही. महिलाओं के नाम पर जो राजनीति की जा रही है. वह सही नहीं है. एक समुदाय विशेष की बात करते हैं. अपराधी का कोई जाति धर्म नहीं होता है. यह बार-बार जो महिलाओं के नाम पर राजनीति करने का प्रयास हो रहा है. यह राज्य में जो भी घटना घटी है, तुरंत कानून ने काम किया है. सरकार तुरंत दोषियों को सजा दिलाने के लिए गंभीर है और यह जो घटना हुई है, वह विपक्ष के साथ सरकार के लिए भी शर्मनाक है. मगर इस तरह की घटनाओं पर लगाम कैसे लगी वह सोचने की बात है, मैंने दिल्ली साहिबगंज समेत अन्य राज्यों में इस तरह की घटना देखी, मगर इस तरह की घटनाओं पर कैसे लगाम लगे ,उसको लेकर पक्ष विपक्ष को सोचना चाहिए.
इनपुट- आशीष तिवारी
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