Haryana Elections 2024: बीजेपी डैमेज कंट्रोल में जुटी, कांग्रेस में कलह; किसे होगा फायदा?
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Haryana Elections 2024: बीजेपी डैमेज कंट्रोल में जुटी, कांग्रेस में कलह; किसे होगा फायदा?

 हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections 2024) में नामांकन वापसी की अंतिम तारीख 16 सितंबर है. अब सभी पार्टियां मिशन मोड में बागियों को साधने में लग गई हैं. 

Haryana Elections 2024: बीजेपी डैमेज कंट्रोल में जुटी, कांग्रेस में कलह; किसे होगा फायदा?

Haryana Chunav: हरियाणा में चुनाव के लिए पर्चा भरने का 12 सितंबर को अंतिम दिन था. बीजेपी और कांग्रेस दोनों को ही इस बार टिकट बांटने में बहुत दिक्‍कत आई. बीजेपी जहां 10 साल से सत्‍ता में है और तीसरा टर्म देख रही है लिहाजा उसके यहां दावेदारों की सबसे लंबी लाइन थी वहीं कांग्रेस सत्‍ता विरोधी लहर का लाभ उठाकर एक दशक के सियासी वनवास को खत्‍म करना चाहती है. सो उसके यहां भी टिकट चाहने वालों की कमी नहीं रही. इस चक्‍कर में उसका आप और सपा से गठबंधन तक नहीं हो सका. इन सबका नतीजा ये निकला कि जिसने चुनाव लड़ने का मन बना ही लिया था वो अब सब कहीं न कहीं से पर्चा भरकर मैदान में उतर गए हैं. अब सभी दलों की टेंशन इन बागियों को थामने की है क्‍योंकि 16 सितंबर तक नामांकन वापसी की आखिरी तारीख है. 

बीजेपी के बागी
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी को फीडबैक मिला है कि कई सीटों पर टिकट नहीं मिलने से नाराज नेताओं ने बगावत तो नहीं की है, लेकिन वे चुनाव प्रचार अभियान से अलग होकर घर बैठ गए हैं. पार्टी को दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर बगावत या नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है. भाजपा के सूत्रों के मुताबिक, पार्टी ने बागी नेताओं को मनाने के लिए जिला और राज्य स्तर पर कुछ वरिष्ठ, अनुभवी और पुराने कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी है. नेताओं की यह टोली बागियों को मनाने का प्रयास करेगी. बागियों को मनाने के लिए जहां जरूरत पड़ेगी, वहां संघ के नेताओं और कार्यकर्ताओं की भी मदद ली जाएगी.

इस पूरे अभियान की निगरानी दिल्ली से पार्टी आलाकमान भी करेगा और अगर किसी बागी नेता से बात करने की आवश्यकता हुई तो राष्ट्रीय नेतृत्व यानी पार्टी आलाकमान उनसे बात कर भविष्य के लिए आश्वासन देने के लिए तैयार रहेगा. भाजपा इसी तरह के फॉर्मूले का सफल प्रयोग गुजरात, बिहार और उत्तर प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में कर चुकी है.

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कांग्रेस में कलह
इस बार कांग्रेस को आशा है कि भाजपा को सत्ता से बाहर करने में वह कामयाब रहेगी. लेकिन, जिस तरह से टिकट बंटवारे के बाद कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता एक-एक कर पार्टी छोड़ते गए और इनेलो एवं आप जैसी पार्टियों का दामन थामते गए, उसने बहुत कुछ बता दिया. कांग्रेस के लिए यह इस चुनाव में अच्छे संकेत नहीं माने जा रहे हैं. इसके पीछे कई अन्‍य वजहें भी हैं:  एक तो कांग्रेस का अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला, दूसरा कांग्रेस का आप से गठबंधन नहीं होना और सबसे अहम हरियाणा की क्षेत्रीय पार्टियों जैसे इनेलो और जजपा का इस चुनाव के लिए दमखम लगाना.

कांग्रेस में खेमेबाजी भी खूब देखने को मिल रही है. एक तरफ कुमारी शैलजा के समर्थक, दूसरी तरफ भूपेंद्र हुड़्डा के समर्थक और तीसरी तरफ रणदीप सिंह सुरजेवाला को चाहने वाले कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता.

इनेलो को फायदा?
इन सबके मद्देनजर राजनीतिक विश्‍लेषकों के मुताबिक कांग्रेस को हरियाणा की कम से कम 30 सीटों पर इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) सीधी टक्कर देकर खेल में बड़ी वापसी करती नजर आ रही है. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह भी कांग्रेस पार्टी के अंदर का अतर्कलह ही है. क्योंकि, कांग्रेस के कई नेता और कार्यकर्ता इनेलो के साथ हो गए हैं और इनेलो ने इनमें से कई को टिकट भी दे दिया है.

सपा की 'कुर्बानी'
हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन का जो हश्र हुआ, उसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. कांग्रेस, आप और समाजवादी पार्टी मिलकर यहां भाजपा के खिलाफ मैदान में उतरने के लिए आवाज बुलंद कर रही थी. आम आदमी पार्टी तो समझ गई थी कि अब कांग्रेस उनकी पार्टी के साथ गठबंधन में यहां से चुनाव नहीं लड़ेगी. ऐसे में आनन-फानन में अपने उम्मीदवार मैदान में उतार लिए. लेकिन, सपा तो इसी इंतजार में रही कि शायद कांग्रेस की तरफ से कभी तो इशारा मिलेगा और गठबंधन यहां पूरे दमखम से भाजपा के खिलाफ मैदान में होगा. लेकिन, समाजवादी पार्टी का इंतजार शायद ज्यादा लंबा हो गया और कांग्रेस ने अंतिम क्षण तक इस बात पर मुहर नहीं लगाई. हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी समाजवादी पार्टी की झोली खाली रह गई.

अंदरखाने की बात यह है कि कांग्रेस ने सपा से दो सीटों का वादा किया था, लेकिन उसे अंत तक एक भी सीट नहीं मिल पाई. सपा को शायद इसकी भनक पहले ही लग चुकी थी. ऐसे में कुछ दिनों पहले सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव कहने लगे थे कि वह भाजपा को हराने के एवज में किसी भी तरह की कुर्बानी देने को तैयार हैं.

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