UP BJP Row: उत्तर प्रदेश में बीजेपी की अंदरूनी लड़ाई अब प्रधानमंत्री मोदी के दरवाजे तक पहुंच गई है. पीएम मोदी (PM Modi) की यूपी बीजेपी (up bjp crisis) में अंदरखाने चल रही तनातनी के पूरे एपिसोड पर पैनी नजर बनी हुई है. सीएम योगी (CM Yogi) और डिप्टी सीएम केशव मौर्या (Keshav Maurya Vs Yogi Adityanath) के बीच टकराव चरम पर है. बीजेपी की इस सियासी गहमागहमी के बीच गुरुवार सुबह 10.30 बजे पीएम आवास पर मोदी कैबिनेट की बैठक होगी. वहीं शाम शाम 5:30 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे.
- यूपी बीजेपी (UP BJP) में अंदरखाने पक रही खिचड़ी की पहली सीटी 14 जुलाई को लखनऊ में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक के दौरान सुनाई दी. हालांकि इस रस्साकसी की बुनियाद तो उस समय पड़ गई थी जब उत्तर प्रदेश में साल 2017 में बीजेपी की प्रचंड बहुमत वाली सरकार बनी. सीएम की कुर्सी के कई दावेदार थे. हालांकि योगी सब पर भारी पड़े और मुख्यमंत्री बने. पांच साल बाद फिर ऐसे हालात बने कि 2022 में योगी मजबूत हुए तो फिर रिपीट हुए. वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में जब बीजेपी की सीट और वोट शेयर दोनों घटे तो कभी संगठन का मजबूत स्तंभ रहे और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य अपनी ही सरकार पर सवाल उठाते हुए दिल्ली दौड़ लगाने लगे.
- उत्तर प्रदेश के CM योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच मतभेद (CM Yogi Adityanath Vs Keshav Maurya rift) की अटकलों के बीच पीएम मोदी से गृहमंत्री अमित शाह ने करीब 2 घंटे तक बैठक की है. इससे पहले यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी (Bhupendra Chaudhary) ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) और गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) से मुलाकात की थी. सूत्रों के मुताबिक यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी ने पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी ली और पीएम मोदी के साथ बैठक के दौरान पद छोड़ने की पेशकश की.
- सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष के साथ संगठन के प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की. ऐसा पता चला है कि बीजेपी किसी ओबीसी नेता को यूपी बीजेपी अध्यक्ष बनाने की इच्छुक है क्योंकि यूपी में ओबीसी मतदाता निर्णायक स्थिति में होने के साथ एक अहम फैक्टर हैं.
- दिल्ली में चल रही ताबड़तोड़ बैठकें लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी में चौंकाने वाली हार के बाद प्रदेश में एक योजनाबद्ध संगठनात्मक बदलाव की चर्चा के बीच आयोजित हुईं. संगठनात्मक बदलाव के नाम पर यूपी में संगठन और सरकार के बीच टकराव क्या खत्म हो जाएगा? अब सबकी नजर इस ओर बनी हुई है.
- 16 जुलाई को पहले केशव प्रसाद मौर्य बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से एक घंटा मुलाकात करते हैं. फिर यूपी बीजेपी के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी करीब घंटे भर तक राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा को फीडबैक देते हैं. आगे 17 जुलाई को इस खींचतान का मुद्दा सीधे पीएम आवास तक पहुंच जाता है. जहां बताया जा रहा है कि यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी की मुलाकात प्रधानमंत्री से करीब एक घंटे चली.
- इस बीच न्यूज़ एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि बीजेपी आलाकमान ने सभी को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता गिना दी है, जिसके तहत यूपी की 10 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में अच्छा प्रदर्शन करना है.
- बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने पार्टी आलाकमान को यूपी में लोकसभा चुनाव में संतोषजनक प्रदर्शन ना करने पाने की वजह पीएम मोदी समेत बड़े नेताओं को बताई है. चौधरी ने 80 सीटों पर पार्टी के 40000 कार्यकर्ताओं से बातचीत और फीडबैक के आधार पर इंटरनल रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट में चौधरी ने यूपी में पार्टी के खराब प्रदर्शन के कई कारण बताए हैं. खास वजहों की बात करें तो अधिकारियों का सरकार पर हावी होना (प्रशासन की मनमानी) भी एक वजह है. रिपोर्ट में सरकार के प्रति कार्यकर्ताओं का असंतोष, अग्निवीर स्कीम, ओल्ड पेंशन स्कीम, पेपर लीक और संविधान बदलने वाले बयानों को हार की वजह बताया गया है.
- केशव मौर्य के लगातार बगावती तेवर के बाद उत्तर प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है. केशव प्रसाद मौर्य के दिल्ली से लौटने के बाद तेवर कुछ नरम हुए हैं लेकिन वो 'संगठन ही सर्वोपरि है' वाला बयान लगातार दोहराए जा रहे हैं. नड्डा से मुलाकात के अगले दिन मौर्य ने बुधवार को फिर से ‘संगठन, सरकार से बड़ा है’ वाला बयान दोहराया. मौर्य के कार्यालय की ओर से ‘X’ पर की गयी एक पोस्ट में उपमुख्यमंत्री ने कहा- 'संगठन सरकार से बड़ा है, कार्यकर्ताओं का दर्द मेरा दर्द है. संगठन से बड़ा कोई नहीं, कार्यकर्ता ही गौरव हैं.'
- हालांकि उन्होंने अखिलेश यादव के सियासी बयानों पर भी जमकर पलटवार किया और भविष्य में भी यूपी में बीजेपी की सरकार बनने की बात कही. हालांकि मौर्य ने दिल्ली दौरे से पहले जब ये कहा- 'संगठन हमेशा सरकार से बड़ा होता है, और कोई भी संगठन से बड़ा नहीं हो सकता.' तब किसी ने सोंचा भी नहीं होगा कि मामला तूल पकड़कर पीएम मोदी की चौखट तक पहुंच जाएगा. यह टिप्पणी योगी आदित्यनाथ और BJP चीफ जेपी नड्डा की मौजूदगी में की गई थी. हालांकि उस बैठक में सीएम योगी ने चुनाव में हार के लिए अति-आत्मविश्वास को जिम्मेदार ठहराया था. योगी ने ये भी कहा था कि पार्टी विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के प्रचार अभियान का प्रभावी ढंग से मुकाबला नहीं कर सकी.
- मौर्य के अलावा, पार्टी के बदलापुर विधायक रमेश चंद्र मिश्रा ने भी कुछ दिन पहले कहा था कि पार्टी की स्थिति अच्छी नहीं है और 2027 में पार्टी के लिए मुश्किलें होंगी. बीजेपी एमएलसी देवेन्द्र प्रताप सिंह ने भी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया था और आरोप लगाया था कि पार्टी कार्यकर्ताओं का सम्मान नहीं किया जा रहा. इससे पहले बीते सोमवार को यूपी सरकार में मंत्री और NISHAD पार्टी के प्रमुख संजय निषाद ने 'गरीबों के खिलाफ बुलडोजर के दुरुपयोग' का मुद्दा उठाया था. इसी भूमिका के बीच बताया जा रहा है कि तमाम दबाव के चलते योगी की राज्य सरकार ने अपने दो हालिया फैसलों- 'कुकरैल नदी परियोजना के लिए ड्राइव और सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस के फैसले पर रोक लगा दी है.'