BJP MPs Of SC/ST communities met PM Modi: अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) कोटे में कोटा मामले को लेकर समाज के इन वर्गों से आने वाले भाजपा के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों ने शुक्रवार को संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इसके बाद सियासी कयास लगाए जाने लगे हैं कि क्या सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए मोदी सरकार एक बार फिर अध्यादेश ला सकती है.
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Supreme Court On Creamy Layer In SC/STs: एसटी/एससी समुदायों से आने वाले लोकसभा और राज्यसभा के भारतीय जनता पार्टी के सांसदों ने शुक्रवार को संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. सांसदों ने संयुक्त रूप से एसटी/एससी के लिए क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को लेकर पीएम मोदी एक ज्ञापन सौंपा और मांग की कि इस फैसले को हमारे समाज में लागू नहीं किया जाना चाहिए.
SC/ST समुदायों के कल्याण और सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध- पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अहम मुलाकात के बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर तस्वीरें पोस्ट की. उन्होंने लिखा, 'आज SC/ST सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की. एससी/एसटी समुदायों के कल्याण और सशक्तिकरण के लिए अपनी प्रतिबद्धता और संकल्प दोहराया.'
Met a delegation of SC/ST MPs today. Reiterated our commitment and resolve for the welfare and empowerment of the SC/ST communities. pic.twitter.com/6iLQkaOumI
— Narendra Modi (@narendramodi) August 9, 2024
पीएम मोदी ने आश्वासन दिया कि मामले पर गौर करेंगे, सांसदों का दावा
सांसदों के मुताबिक पीएम मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह इस मामले पर गौर करेंगे. पीएम मोदी से मुलाकात के बाद भाजपा सांसद प्रोफेसर (डॉ) सिकंदर कुमार ने कहा कि पीएम मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि सरकार सांसदों के पक्ष में काम करेगी. उन्होंने कहा, "कुछ दिन पहले, सुप्रीम कोर्ट ने SC, ST आरक्षण पर अपना फैसला सुनाया. दोनों सदनों के लगभग 100 सांसदों वाले एक प्रतिनिधिमंडल ने आज पीएम मोदी से मुलाकात की और अपनी चिंताओं को उठाया. पीएम ने सभी सांसदों को सुना और हमें आश्वासन दिया कि सरकार इसके पक्ष में काम करेगी."
फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर करेगी चिराग पासवान की पार्टी
भाजपा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इसे लागू नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा, "हमने पीएम मोदी से कहा कि एससी/एसटी में क्रीमी लेयर की पहचान (और उन्हें आरक्षण लाभ से बाहर करने) पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू नहीं किया जाना चाहिए. पीएम ने भी यह कहा कि इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए." केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने पहले सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से असहमति व्यक्त की और कहा कि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर करेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने एक अगस्त को ऐतिहासिक फैसले में क्या-क्या कहा था
सुप्रीम कोर्ट ने एक अगस्त को एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि राज्यों के पास एससी और एसटी को उप-वर्गीकृत (सब कैटेगराइज्ड) करने की शक्ति है. कोर्ट ने कहा कि संबंधित प्राधिकारी को यह तय करते समय कि वर्ग का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं, प्रभावी के आधार पर पर्याप्तता की गणना करनी चाहिए न कि प्रतिनिधित्व में मात्रात्मक के आधार पर. सुप्रीम कोर्ट ने 6:1 के बहुमत से फैसला सुनाया कि एससी और एसटी आरक्षण के भीतर उप-वर्गीकरण की अनुमति है. मामले में छह अलग-अलग राय दी गईं.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सात जजों की पीठ की फैसला
यह फैसला भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सात-न्यायाधीशों की पीठ ने सुनाया. पीठ ने ईवी चिन्नैया मामले में पहले के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि उप-वर्गीकरण की अनुमति नहीं है क्योंकि एससी/एसटी समरूप वर्ग बनाते हैं. सीजेआई चंद्रचूड़ के अलावा, पीठ में अन्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई, विक्रम नाथ, बेला एम त्रिवेदी, पंकज मिथल, मनोज मिश्रा और सतीश चंद्र शर्मा थे.
जस्टिस बीआर गवई ने सुझाव दिया कि राज्य को सकारात्मक कार्रवाई के लाभ से बाहर करने के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से भी क्रीमी लेयर की पहचान करने के लिए एक नीति विकसित करनी चाहिए. वहीं, जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी ने असहमति जताते हुए कहा कि वह बहुमत के फैसले से असहमत हैं कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के भीतर उप-वर्गीकरण की अनुमति है.
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सियासी हलचल तेज, पक्ष-विपक्ष में दलीलें
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सियासी हलचल तेज हो गई थी. इस साल तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले फैसले को भुनाने की कोशिश में राजनीतिक दल जुट गए. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा था, 'SC/ST के लिए आरक्षित सीट से एक बार कोई विधायक सांसद बन गया वो क्रीमिलेयर हो जाएगा और दोबारा उस सीट से नही लड़ पायेगा. संसद और विधानसभा में भी वंचित समाज के लोगों का प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा.'
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वहीं, समाजवादी पार्टी की ओर से फैजाबाद के सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा कि संविधान में क्रीमी लेयर का प्रावधान नहीं. लेकिन मोदी जी की बातों का क्या भरोसा! इसी मामले पर केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि पीएम मोदी ने भरोसा दिलाया है कि SC, ST आरक्षण में क्रीमी लेयर नहीं होगा. उन्होंने कहा कि पीएम का आभार है. SC, ST आरक्षण में क्रीमी लेयर नहीं होना चाहिए. निजी तौर पर कोटे में कोटा का समर्थन करता हूं.